मनुष्य को नहीं, बल्कि प्रकृति को केंद्र में रखकर होना चाहिए विकास- RSS विचारक K.N गोविंदाचार्य
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मनुष्य को नहीं, बल्कि प्रकृति को केंद्र में रखकर होना चाहिए विकास- RSS विचारक K.N गोविंदाचार्य

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और RSS विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा की देश में विकास मनुष्य को नहीं बल्कि प्रकृति को केंद्र रखकर होना चाहिए. विकास के नाम पर प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ को बंद करना होगा, वरना आने वाली पीढ़ियों को इसका परिणाम भुगतना होगा.

मनुष्य को नहीं, बल्कि प्रकृति को केंद्र में रखकर होना चाहिए विकास- RSS विचारक K.N गोविंदाचार्य

Jaipur news: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और RSS विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा की देश में विकास मनुष्य को नहीं बल्कि प्रकृति को केंद्र रखकर होना चाहिए. विकास के नाम पर प्रकृति के साथ की जा रही छेड़छाड़ को बंद करना होगा, वरना आने वाली पीढ़ियों को इसका परिणाम भुगतना होगा. जयपुर के सुबोध कॉलेज में बुधवार को प्रकृति केंद्रित विकास विषय पर व्याख्यान हुआ. व्याख्यान को संबोधित करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि सरकार आम आदमी को साथ में जोड़कर प्रकृति को बचाने के काम में विफल रही है. शासन में रही अब तक किसी भी सरकार ने प्रकृति पर नहीं दिया ध्यान. 

यही कारण है कि बाजारवाद पूंजीवाद के दबाव में सरकारे प्रकृति के संरक्षण और उत्थान के लिए कोई काम नही कर पाती है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग इस देश में प्रकृति के संरक्षण का काम कर रहे है. लेकिन अब सब लोगो को एकजुट होकर काम करने की जरुरत है. समाज के पीछे सत्ता होगी तभी सही तरीके से विकास होगा. उन्होंने कहा कि भारत का एक प्रतिशत व्यक्ति 57 प्रतिशत संसाधनों का मालिक है. एक डॉलर से कम में जीने वालों को संख्या करोड़ों हो गई है. विश्व में जितना 5000 हजार साल में नहीं बदला, उतना 500 साल में बदला. 

500 साल में नहीं बदला उतना 50 साल में बदल गया
200 साल पहले हर गांव में गाय जमीन गोचर तालाब होते थे, लेकिन हमने सब खो दिया. अब वापस इससे जुड़ना होगा. गोविंदाचार्य ने कहा कि प्रकृति के संसाधनों का हम दुरुपयोग कर रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना होगा. हमें विकास की दिशा को जीडीपी या भौतिक संसाधनों के बजाय प्रकृति के साथ जोड़ना होगा. गांव का किसान बारिश नहीं होने पर सोचता है, भगवान नाराज हैं. लेकिन उन्हें जलवायु परिवर्तन की जानकारी नहीं है. जहां अच्छे काम चल रहे हैं लोगों की मदद से वो स्थान तीर्थ के समान है. जो इसे काम कर रहे हैं वो देवतुल्य है.

आज देश में फसलों को बचाने के तारबंदी कर दी. लेकिन भूखी गौमता गर्दन फंसा कर लहूलुहान हो रही है. जिस देश में गाय की सूनी आखें हो, वो कैसे आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि व्यक्ति से बड़ा दल है. लेकिन दल से बड़ा देश. जो जानें उसे माने, सत्ता पीछे है. आगे समाज इसको लेकर आगे बढ़ना होगा. हम जिस घेरे में ही उसे लांघना होगा. अनुभव बांटना, लेना संवाद के साथ सहमति की कोशिश करना जरूरी है.

इस दौरान पद्मश्री लक्ष्मण सिंह ने कहा कि संकल्प के बिना जिंदगी में कुछ नहीं हो सकता. अपना खुद का घर बना लेने से सब कुछ नहीं हो सकता. गांव को भी ठीक करना होगा. तभी विकास होगा. उन्होंने कहा कि श्रमदान से आपसी प्रेम सम्मान भी बढ़ेगा और काम करेंगे तो कामयाब होंगे. वहीं NIA के कुलपति संजीव शर्मा ने कहा कि विकास सतत प्रक्रिया रही है. विकास की यात्रा में पिछले कुछ सालों में द्रुत गति देखी जा रही है. विकास मनुष्य के सुख और उन्नति के लिए होना चाहिए. विकास के कई आयाम है. इस दौरान बड़ी संख्या में जयपुर के प्रबुद्धजन मौजूद रहे.

आडवाणी के विशेष सहायक रहे गोविंदाचार्य
बता दें कि वर्ष 1988-91 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के विशेष सहायक रहे गोविंदाचार्य 1990 में आडवाणी की निकाली गई रथयात्रा के एक मुख्य योजनाकार माने जाते हैं. इस रथयात्रा ने राम जन्मभूमि आंदोलन को गति दी थी. गोविंदाचार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक और भाजपा के महासचिव भी रहे थे.

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