Rajasthan High Court : सचिन पायलट गुट के करीब डेढ़ दर्जन एमएलए को विधानसभा स्पीकर के अयोग्यता नोटिस विवाद मामले में केन्द्र सरकार के तीन साल में भी जवाब पेश नहीं करने पर आश्चर्य जताया है. वहीं अदालत ने केन्द्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने का आखिरी मौका दिया है.
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Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके गुट के करीब डेढ़ दर्जन एमएलए को विधानसभा स्पीकर के अयोग्यता नोटिस विवाद मामले में केन्द्र सरकार के तीन साल में भी जवाब पेश नहीं करने पर आश्चर्य जताया है. वहीं अदालत ने केन्द्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने का आखिरी मौका दिया है. अदालत ने कहा कि यदि इस दौरान जवाब पेश नहीं किया जाता है तो फिर उनका जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने मामले में मोहनलाल नामा की ओर से प्रकरण की जल्द सुनवाई करने के लिए पेश प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि अभी सभी पक्षों की लिखित बहस पेश नहीं हुई है. ऐसे में प्रार्थना पत्र का कोई औचित्य नहीं है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पीआर मीणा व अन्य की याचिका में मोहनलाल नामा के प्रार्थना पत्र पर दिया.
सुनवाई के दौरान मोहनलाल नामा के अधिवक्ता विमल चौधरी व योगेश टेलर ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव की अधिसूचना अक्टूबर 2023 में लागू हो जाएगी और मौजूदा याचिकाकर्ता एमएलए दिसंबर 2023 में पूर्व हो जाएंगे. ऐसे में मामले की जनहित में जल्द सुनवाई की जाए. जिस पर अदालत ने सभी पक्षकारों से पूछा कि क्या उन्होंने जवाब पेश कर दिया है. इस पर राज्य सरकार व स्पीकर सहित अन्य की ओर से जवाब पेश करने की जानकारी दी गई. वहीं केन्द्र सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया.
इस पर केस से जुडे अधिवक्ता पीसी भंडारी ने विरोध करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने तीन साल में भी अब तक जवाब पेश नहीं किया है. ऐसे में केन्द्र सरकार पर भारी हर्जाना लगाया जाना चाहिए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने केन्द्र सरकार को जवाब पेश करने के लिए आखिरी मौका दिया है. गौरतलब है कि पीआर मीणा सहित अन्य एमएलए ने याचिका में विधानसभा स्पीकर की ओर से उन्हें 14 जुलाई 2020 को दिए गए अयोग्यता के नोटिस को चुनौती दी थी. जिस पर हाईकोर्ट ने 24 जुलाई 2020 के अंतरिम आदेश से स्पीकर के नोटिस की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी. वहीं कुछ संवैधानिक बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई करना तय किया था.
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