जयपुर के फुलेरा के रेनवाल में प्रगतिशील किसान राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित सुंडा राम कुमावत ने 1 लीटर पानी में 2500 पौधे लगाने की नई तकनीक इजाद की है.
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Jaipur: जयपुर के फुलेरा के रेनवाल में प्रगतिशील किसान राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित सुंडा राम कुमावत ने अनूठी पहल की शुरुआत की है. किसान ने गोपाल गौशाला में स्वाभिमान संस्था के तत्वधान में 1 लीटर पानी में 2500 पौधे लगाने की नई तकनीक इजाद की है. स्वाभिमान संस्था एवं एचडीएफसी बैंक की गो ग्रीन एक्टिविटी- 2022 परिवर्तन के तहत किशनगढ़ रेनवाल की श्रीगोपाल गौशाला में एक लीटर पानी की तकनीक से 2500 पौधे लगाए गए हैं. एक लीटर पानी की तकनीक को लेकर पद्मश्री से नवाजे गए दातारामगढ़ के प्रगतिशील किसान सुंडाराम वर्मा की पहल पर नीम, शीशम, बेर, रोहिड़ा एवं खेजड़ी के छायादार पौधे विकसित किए गए हैं.
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए किसान पद्मश्री सुंडाराम वर्मा ने कहा कि वर्षा जल को भूमि द्वारा अवशोषित करने के पश्चात उस जल को भूमि में साल भर कैसे संरक्षित किया जाता है, इसके लिए भूमि को तैयार करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 1982 में खेती में उनकी रुचि को देखते हुए, उन्हें IARI पूसा द्वारा एक राष्ट्रीय युवा किसान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए कहा गया था, यहां उन्होंने पहली बार विभिन्न कृषि तकनीकों को देखा. 2 महीने तक चलने वाले इस कोर्स ने उनके वैज्ञानिक ज्ञान के आधार में काफी वृद्धि की बाद में उन्होंने अपने खेत में जो सीखा, उसके साथ प्रयोग करना जारी रखा. नवाचार से ठीक एक साल पहले, मानसून की शुरुआत में, वर्मा ने अपने 17 एकड़ के परिवार के स्वामित्व वाले खेत की सीमाओं पर कई पौधे लगाए, फसलों के साथ प्रयोग करना एक श्रमसाध्य लंबी प्रक्रिया है, जिसके लिए अत्यधिक धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है. इस अवसर पर एचडीएफसी बैंक के रीजनल हेड परविंद्र सिंह बसीन, स्टेट हेड डेरिक फर्रो, सिटी हेड, मनीष वशिष्ठ, श्री गोपाल गौशाला के अध्यक्ष कैलाश शर्मा, व्यापार महासंघ अध्यक्ष अशोक असावा, कपड़ा व्यापार संघ के अध्यक्ष माली राम कुमावत, नटवरलाल तोतला, राजेश ककरालिया, रामस्वरूप कुमावत, कविता देवी, अंजू देवी, ओंकार मारवाल, मनोज वर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहें.
शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी की नमी को बचाने के लिए ऐसे करें प्रयोग
इस दौरान वर्मा ने कहा कि बारिश के पानी को बहने से रोकने के लिए खेत को समतल करें. पहली बारिश के बाद 5-6 दिनों के लिए, खरपतवार और केशिकाओं को हटाने के लिए खेतों को एक फुट गहरी जुताई करें जिससे बारिश का पानी जमीन में रिस सके और सतह पर न उठे. बारिश खत्म होने के तुरंत बाद दूसरी बार गहरी जुताई करें. इससे ऊपरी मिट्टी खेत में कम से कम 10 इंच गहरी हो जाएगी, जिससे मिट्टी में पानी बंद हो जाएगा.
इसके बाद दूसरी जुताई के कुछ दिन बाद एक फुट गहरे और 4-5 इंच चौड़े गड्ढे खोदें. गड्ढों में पौधे लगाएं और सुनिश्चित करें कि जड़ें सतह से कम से कम 20 सेमी नीचे हों, नमी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए पौधे को गीली मिट्टी से ढक दें और अंत में गड्ढे में एक लीटर पानी डालें और पौधे को बढ़ने दें.
यह होगा फायदा
वर्मा ने बताया कि इस तकनीक से पौधे विकसित होने पर मवेशियों को नियमित चारा मिलेगा, पर्यावरण में सुधार होगा, ऑक्सीजन बढ़ेगा, क्लाइमेंट में हो रहें परिवर्तन में सुधार होगा. इसके साथ ही गर्मी में गौवंश को टीन शेड के नीचे बांधने की बजाय छायादार पौधों के नीचे बांधने को उत्तम बताया. वर्मा ने कहा कि ऐसे पौधे लगाने से खेतों में आसानी से खेती भी की जा सकती है और आमदनी भी होती है.
Reporter - Amit Yadav
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