आपके सामने कोई अचानक हो जाए बेहोश तो कैसे बचाए जान, SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया
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आपके सामने कोई अचानक हो जाए बेहोश तो कैसे बचाए जान, SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया

देशभर में इन दिनों कार्डियक अरेस्ट के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की जान बचाने के लिए चिकित्सा विभाग और परिवहन विभाग एक साथ मिलकर काम कर रहा है.

आपके सामने कोई अचानक हो जाए बेहोश तो कैसे बचाए जान, SMS अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया

Jaipur News : देशभर में इन दिनों कार्डियक अरेस्ट के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की जान बचाने के लिए चिकित्सा विभाग और परिवहन विभाग एक साथ मिलकर काम कर रहा है. अगर किसी घायल व्यक्ति को सही समय पर सही उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. कार्डियक अरेस्ट मामले में अगर मरीज को समय पर सही तरीके से सीपीआर दिया जाए तो उसकी भी जान बचाई जा सकती है.

राजस्थान सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने पर जवाहर कला केंद्र में सरकार की उपलब्धियो पर विभिन्न विभागों के द्वारा प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 4 साल में किए गए विकास कार्यो को प्रदर्शनी के माध्यम से दर्शाया जा रहा है . इसी कड़ी में परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा लगाई गई स्टाल पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई विजिट में बेसिक लाइफ सपोर्ट ओर गुड सेमेरिटन के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया. सवाई मानसिंह चिकित्सालय के सीनियर नर्सिंग ऑफिसर राजकुमार राजपाल ने बताया परिवहन एंव सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा सड़क दुर्घटना में अनजान घायल व्यक्ति की मदद कर जीवन बचाने वाले को मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना के अंतर्गत 5000 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया जाता है. उन्होंने बताया परिवहन विभाग द्वारा ट्रोमा सेंटर सवाई मान सिंह हॉस्पिटल में स्किल लेब का निर्माण किया गया है. जहां आम नागरिक को बेसिक लाइफ सपोर्ट सीपीआर का सर्टिफिकेट प्रशिक्षण एक्सपर्ट मास्टर ट्रेनर्स के द्वारा दिया जाता है.

राजकुमार राजपाल जिन्हें रोड सेफ्टी पर दो बार नेशनल अवार्ड द्वारा समानित किया जा चुका है 2017 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा नेशनल फ्लोरेन्स नाइटन्गेल अवार्ड ओर 2021 में नेशनल रोड सेफ्टी अवार्ड राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी द्वारा प्रदान किया गया. तीन बार राज्य अवार्ड द्वारा मुख्यमंत्री और विभाग द्वारा समानित किया गया.

राजपाल ने बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में विस्तृत रूप से बताया कि हॉस्पिटल के बाहर अचानक किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए एक आम इंसान तब तक क्या करे जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती या फिर घायल को हॉस्पिटल नहीं पहुंचा दिया जाता. जिससे उसकी जान को बचाया जा सके, ट्रोमा सेंटर सवाई मान सिंह चिकित्सालय में परिवहन एव सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा स्किल लेब का निर्माण किया गया है. जहां परिवहन विभाग एव सवाईमान सिंह चिकित्सालय के संयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क बेसिक लाइफ सपोर्ट का सर्टिफिकेट प्रशिक्षण दिया जाता है. जहां कोई भी आम नागरिक रजिस्ट्रेशन करवा कर इस कोर्स को कर सकता है.

बेसिक लाइफ सपोर्ट BLS में सबसे पहले जैसे ही आप कोई रोड एक्सीडेंट देखते है सीन सेफ्टी अपनी सुरक्षा ओर दुर्घटना स्थल सुरक्षित है या नहीं यह देखते हुए एम्बुलेंस 108 पर कॉल करे. और कितने दुर्घटना ग्रस्त लोग हैं उनमें से सबसे सीरियस कौन है यह देखे जो अचेत अवस्था मे घायल है उसके पास जा कर थपथपाते हुए पूछे क्या तुम ठीक हो अगर वो सही होगा तो आपको रेस्पांस देगा नही तो नहीं देगा. फिर 10 सेकेंड के अंदार उसकी गले पर कैरोटिड पल्स और साथ ही श्वास गति को चेक करे चल रही ह या नही यदि नही चल रही तो सीपीआर देगे. CPR कार्डियो पलमोनरी रेसेसिटेशन देगे जिसमे छाती पर हार्ट पर स्टारनम बॉन पर हाथो की हथेलियों को रख कर कोहनी को सीधा रखते हुए 1 मिनिट में 100 से 120 बार तक दबाव देगे 2 से 2.4 इंच तक दबाएंगे छाती को वापस फूलने को देंगे 30 बार दबाव देने के बाद 2 बार मुंह से श्वास देंगे.

अमेरीकन हर्ट असोसिएशन की 2020 नई गाइड लाइन के अनुसार

यदि आप मुंह से श्वास न देना चाहे तो ना दे लगातार हार्ट को दबाव तब तक देते रहे जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती या आप हॉस्पिटल नही पहुंच जाते. वही परिवहन निरीक्षक यशपाल ने बताया चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर परिवहन विभाग भी आमजन की जान बचाने का कार्य करता है. हाईवे पर तैनात सभी परिवहन अधिकारी और कर्मचारी सीपीआर की ट्रेनिंग लिए हुए हैं. जहां भी दुर्घटना होती है वहां विभाग के कर्मचारी घायल व्यक्ति की मदद करते हुए उसकी जान बचाते हैं. परिवहन निरीक्षक ने बताया सरकार ने भी नियमों में ढील देते हुए बड़े कदम उठाए हैं घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले का नाम पता तक पुलिस और चिकित्सक नहीं पूछते हैं जिससे घायल व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने में बहुत बड़ी मदद मिलती है और समय पर उपचार होने से उसकी जान बचाई जा सकती है.

इसी के साथ ही प्रदर्शनी में आए युवाओं ने भी सीपीआर की पूरी प्रक्रिया को जाना और उन्होंने भी यहां से यह प्रण लिया कि अगर भविष्य में उनके सामने कोई घायल व्यक्ति होगा तो वह उसकी मदद करने के लिए तत्पर रहेंगे जिससे उसकी जान बचाई जा सके. सरकार के विभाग के साथ-साथ आमजन को भी लोगों की जान बचाने के लिए आगे आना चाहिए जिससे घायल व्यक्ति की मदद हो और उसका परिवार खुशहाल रहे. इसी के साथ ही अब यह भ्रम भी दूर होना चाहिए कि घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने वाले से पुलिस पूछताछ करती है.

Reporter- Anup Sharma

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