'जल जीवन मिशन' में पहले खिलाई चहेतों को मलाई, 2 साल बाद पाइप खरीद में शर्तों की आई याद
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'जल जीवन मिशन' में पहले खिलाई चहेतों को मलाई, 2 साल बाद पाइप खरीद में शर्तों की आई याद

राजस्थान के 'जल जीवन मिशन' में पहले तो चहेती फर्मों को करोड़ों के टेंडर की जमकर रेवडियां बांटी, उसके बाद अब बाकी बची हुई फर्मों के लिए जेजेएम डायरेक्टर, चीफ इंजीनियर जेजेएम और प्रोजेक्ट ने नए टेंडर में पाइपो के भुगतान के लिए शर्ते बदल दी.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: राजस्थान के 'जल जीवन मिशन' में पहले तो चहेती फर्मों को करोड़ों के टेंडर की जमकर रेवडियां बांटी, उसके बाद अब बाकी बची हुई फर्मों के लिए जेजेएम डायरेक्टर, चीफ इंजीनियर जेजेएम और प्रोजेक्ट ने नए टेंडर में पाइपो के भुगतान के लिए शर्ते बदल दी.

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पहले जेजेएम में फर्म द्वारा पाइप खरीद पर 100 किलोमीटर का 70 प्रतिशत भुगतान किया जाता था, लेकिन अब नई शर्तों के तहत 25 किलोमीटर तक का भुगतान फर्म को किया जाएगा. नई शर्ते कब से लागू होगी, इसकी जानकारी चीफ इंजीनियर को ही नहीं है, जबकि आदेश निकालने वाले ये साहब ही है.

पहले फर्जीवाड़ा, फिर धांधली, अब चालाकी
जलदाय विभाग के जल जीवन मिशन की लूट अब किसी से नहीं छिपी, लगातार फर्जीवाड़े और धांधली के मामले उजागर हो रहे हैं, लेकिन अब तो चीफ इंजीनियर्स की चालाकी भी इस मिशन को और दाग लगाने का काम रहे हैं. पहले ही जेजेएम चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल की घटिया मॉनिटरिंग के कारण सीएम गहलोत के निर्देशों की पालना नहीं हो रही थी, लेकिन अब तो चुनिंदा फर्मों को मलाई खिलाने में भी चीफ इंजीनियर्स कोई कसर नहीं छोड रहे. जल जीवन मिशन के चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल और चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट दलीप कुमार गौड़ के विवादित आदेश के बाद में ये सवाल उठने लगे हैं.

पहले जमकर खिलाई मलाई 
जल जीवन मिशन में पहले चुनिंदा और चहेती फर्मों के लिए पाइपों के भुगतान के लिए कोई कड़े नियम लागू नहीं किए. 2020 से राजस्थान में जल जीवन मिशन में पानी की पाइप लाइन डालने का काम किया जा रहा है. तब 100 किलोमीटर की पाइप खरीद पर 70 प्रतिशत भुगतान हाथोहाथ कर दिया जाता था, लेकिन इसके बाद अब अचानक से इस आदेश को ही बदल दिया और नई स्पेशल शर्तें जल जीवन मिशन चीफ और स्पेशल चीफ इंजीनियर के इस प्रोजेक्ट के लिए लगा दी.

जल जीवन मिशन के चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल का कहना है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि यह आदेश पहले काम रही फर्म पर लागू होगा या नहीं. इसकी जानकारी चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट दलीप कुमार से लीजिए, जबकि आदेश पर जल जीवन मिशन चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल के भी हस्ताक्षर है.

फिर 2 साल बाद पाबंदी लगाई
अब अचानक से जल जीवन मिशन के चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल और चीफ इंजीनियर स्पेशल प्रोजेक्ट ने शर्ते लगा दी, जिसके बाद अब विवाद शुरू हो गया है. पाइपों के भुगतान पर इन पाइपों के लिए 70 प्रतिशत भुगतान की शर्त रखी गई है.

1. 250 एमएम के 25 किलोमीटर तक ही एमएस,डीआई पाइप का भुगतान किया जाएगा.

2. 250 एमएम से ज्यादा 25 किलोमीटर तक ही एमएस,डीआई पाइप का भुगतान किया जाएगा.

3. 110 एमएम के एचपीई पाइप का 50 किलोमीटर तक का भुगतान हो सकेगा.

4.110 एमएम से अधिक एचपीई पाइप का 25 किलोमीटर तक का भुगतान हो सकेगा.

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इसके अलावा 20 प्रतिशत भुगतान लाइन बिछाने के बाद किया जाएगा. वहीं 5-5 प्रतिशत भुगतान टेस्टिग और कार्य पूरा होने पर किया जाएगा. इन शर्तों पर स्पेशल प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर दलीप कुमार गौड़ ने कहा कि यह आदेश कब से लागू होगा, यह तो जो इंचार्ज होगा वो ही तय करेगा. यानि आदेश निकालने वाले अफसरों को ही नहीं पता कि यह आदेश कब से लागू होगा. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तक जल जीवन मिशन में सब कुछ गोलमोल चलता रहेगा. क्यों दो साल बाद विभाग के अफसरों को इन शर्तों की याद आई.

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