Power Crisis: राजस्थान में दिवाली से पहले बिजली संकट गहराने लगा है. लगातार कटौती और बिजली बनाने वाली यूनिट्स के बंद होने से इसकी आशंका अधिक हो गई है. बता दें कि एक्सपर्ट के अनुसार कोयले की किल्लत इस पूरे संकट की जड़ में है.
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Jaipur: राजस्थान में दीपावली से पहले बिजली संकट गहराने लगा है. लगातार कटौती और बिजली बनाने वाली यूनिट्स के बंद होने से इसकी आशंका अधिक हो गई है. बता दें कि एक्सपर्ट के अनुसार कोयले की किल्लत इस पूरे संकट की जड़ में है. विभागीय अधिकारियों को इस परेशानी के लिए जिम्मेदारी माना जा रहा है, क्योंकि उनकी लापरवाही के चलते राजस्थान में अब केवल चार दिन का कोयला बचा है.
आपको बता दें कि इस कारण राजस्थान के चार बिजली घरों की 11 यूनिट्स बंद हो चुकी है. इनमें सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 4, कोटा थर्मल पावर प्लांट की 3, राजवेस्ट की 2, छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की 1 और रामगढ़ की 1 यूनिट शामिल है. इनसे पैदा होने वाली 2400 मेगावाट कैपिसिटी बिजली का प्रोडक्शन रुक गया है.
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) की असेसमेंट रिपोर्ट में साल 2022-23 में प्रदेश में बिजली की पीक आवर्स में डिमांड 17757 मेगावाट तक पहुंचने और उपलब्ध कैपेसिटी 12847 रहने का अनुमान है. इस आधार पर 4910 मेगावाट बिजली की कमी पड़ेगी. माना जा रहा है कि इस त्योहारी सीजन में डिमांड 17700 मेगावाट तक पहुंच सकती है. कोयला सप्लाई और बिजली प्रोडक्शन के हालात नहीं सुधरे, तो प्रदेश के लोगों को बड़े पावर कट का सामना करना पड़ सकता है. RVUNL अफसरों की घोर लापरवाही के कारण राजस्थान को आज बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है.
दीपावली मेंटेनेंस के नाम पर रोज बिजली कटौती
दीपावली मेंटेनेंस के नाम पर रोजाना 4-4 घंटे की कटौती 2 से 4 ब्लॉक में प्रदेश में की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि मेंटेनेस से ज्यादा कटौती का कारण बिजली की कमी का होना है. मेंटेनेंस का बहाना बनाकर पिछले 17-18 दिनों से रोजाना ही पावर कट किया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीडर्स को रोस्टर के आधार पर चलाकर लोड शेडिंग कर बिजली कटौती की जा रही है. ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में ही नहीं शहरी इलाकों में भी लगातार पावर कट का सामना त्योहारी सीजन में बिजली उपभोक्ताओं को करना पड़ रहा है. प्रदेश में 1 करोड़ 47 लाख बिजली उपभोक्ता हैं. सभी पर बिजली कटौती की मार पड़ रही है.
कोयला स्टॉक भी औसत 4 दिन का बचा
राजस्थान के थर्मल बिजली घरों में औसत 4 दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है, जबकि केंद्र की गाइडलाइंस के मुताबिक 26 दिन का होना चाहिए. प्रदेश के बिजली घरों में कोयले की कमी लगातार पिछले 1 साल से बनी हुई है.
राजस्थान को छत्तीसगढ़ की माइंस से कोयले की सप्लाई है बंद
छत्तीसगढ़ में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RVUNL) को अलॉट कोल माइंस-पारसा ईस्ट और कैंटे बासन कोल ब्लॉक में कोयला खत्म हो गया है. इस कारण 9 रैक यानी 36000 मीट्रिक टन कोयला आना बंद हो चुका है. कोयले की सप्लाई में हुई इस कमी के कराण करीब 2000 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. ट्रेन की एक रैक में 4000 मीट्रिक टन कोयला आता है. प्रदेश के सभी 6 थर्मल पावर प्लांट्स में केवल 4 दिन का ही औसत कोयला स्टॉक बचा है. यह कोयला फ्यूल के तौर पर बिजली घरों की पावर यूनिट्स को चलाने के काम आता है. केंद्र की गाइडलाइंस है कि 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए, लेकिन पिछले 1 साल से ज्यादा वक्त से राजस्थान में केंद्रीय गाइडलाइंस का भी उल्लंघन हो रहा है.
सरगुजा में कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने लगा रखी है कोल माइनिंग पर रोक
छत्तीसगढ़ के ही सरगुजा में 841 हेक्टेयर के एक्सटेंशन ब्लॉक में माइनिंग पर छत्तीसगढ़ सरकार ने रोक लगा रखी है. आदिवासियों, स्थानीय नेताओं, एनजीओ के विरोध, जल-जंगल-जमीन आंदोलन और छत्तीसगढ़ सरकार में ही अंदरूनी विरोध के कारण माइनिंग शुरू नहीं हो पा रही है. केंद्रीय कोयला और ऊर्जा मंत्रालय में पिछले दिनों राजस्थान के एनर्जी मिनिस्टर भंवर सिंह भाटी, प्रिंसिपल सेक्रेट्री एनर्जी और डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए सावंत और RVUNL के सीएमडी राजेश कुमार शर्मा ने एडिशनल कोयला सप्लाई उपलब्ध कराने की गुहार लगाई थी. केंद्र ने राजस्थान सरकार को दो टूक कहा कि वह जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार से बातचीत कर माइनिंग शुरू करवाए.
प्रदेश सरकार के बिजली संकट की बात कहने और अनुरोध-आग्रह पर कोल इंडिया की सब्सिडरी कंपनियों से 3 रैक एक्सट्रा कोयला देने की मांग केंद्र ने फिलहाल मानी है. वह भी उड़ीसा के महानदी माइंस इलाके का कोयला अलॉट किया है, जिसकी क्वालिटी छत्तीसगढ़ के मुकाबले हल्की है. केंद्र ने समुंद्र और रेल मार्ग दोनों के जरिए राजस्थान को कोयले का उठाव करने को कहा है, लेकिन इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने की आशंका जताते हुए इम्प्लीमेंटेशन में ढिलाई बरती जा रही है. इसलिए राजस्थान के बिजली घरों को चलाने के लिए कोयला जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पा रही है.
कोयले की 37 रैक की रोज जरूरत
राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स को फुल कैपिसिटी में चलाने के लिए 37 रैक कोयले की रोजाना सप्लाई चाहिए. पहले 20 रैक कोयला राजस्थान को रोजाना औसत मिल रहा था, जो घटकर अब 14 रैक रह गया है, इसके अलावा प्रदेश के पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक भी मेंटेन करने की जरूरत है.
पावर एक्सचेंज और करार के जरिए बिजली खरीद पर जोर
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने बिजली की कमी और पावर क्राइसिस से निपटने के लिए एक्सचेंज से बिजली खरीदने का रास्ता अपना रखा है. 60-70 लाख यूनिट तक बिजली की खरीद करके क्राइसिस को डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है. RVUNL अपने बिजली घरों से प्रोडक्शन बढ़ाने, बंद यूनिट्स को जल्द से जल्द सुधारकर चालू करने में इंट्रेस्ट नहीं ले रहा है. सूत्र बताते हैं कोयला ही पूरा नहीं है, तो पावर यूनिट्स को कोयले के मिस मैनेजमेंट से ठप दिखाने की बजाय कुछ ना कुछ टेक्निकल खराबी बताकर बंद किया जाने लगा है.
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