बगरू,जयुरः राजस्थान में कृषि के बाद कारखाने प्रदेश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया हैं, जिसके लिए राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को प्रदेश में जगह-जगह कारोबारी क्षेत्रों की स्थापना जिम्मा सौंपा गया है.
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बगरू,जयुरः रीको प्रशासन प्रदेश में सैकड़ों औधिगिक क्षेत्रों की स्थापना कर उद्यमियों को इन कारोबारी क्षेत्रों में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए आमंत्रित करता है, जब रीको उद्यमियों को प्रदेश के कारोबारी क्षेत्रों में उद्यम लगाने के लिए आमंत्रित करता है, तो रीको के प्रतिनिधि उद्यमियों को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, उन्हे सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का वादा भी करते हैं,
लेकिन प्रदेश में स्थापित रीको के कारोबारी क्षेत्रों की हकीकत रीको के प्रतिनिधियों के वादों से परे हैं, राजधानी जयपुर से महज 30 किलोमीटर दूर जयपुर अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बगरू कस्बे के पास रीको प्रशासन की ओर से 3 कारोबारी क्षेत्रों की स्थापना की गई, लेकिन दशकों से ये सभी कारोबारी क्षेत्र आज भी पानी, यातायात, सुगम सड़कों व डंपिंग यार्ड जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे थे,
बगरू इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के पदाधिकारियों और उद्यमियों के लंबे संघर्ष के बाद हाल ही में रीको ने डंपिंग यार्ड के लिए 12 हजार मीटर भूमि आवंटित तो कर दी, लेकिन कारोबारी क्षेत्रों से संचालित इकाइयों की संख्या और उनसे निकलने वाले ठोस अपशिष्ट के मुकाबले ये जगह बेहद कम है, सीधे शब्दों में कहें तो ये ऊंट के मुंह में जीरे वाली कहावत को चरितार्थ करती है.
बगरू रीको औधोगिक क्षेत्र की विभिन्न इकाइयों से निकलने वाला कचरा और ठोस अपशिष्ट आसपास निवास करने वाले लोगों ओर यहां से गुजरने वाले राहगीरों के लिए भी बड़ी समस्या बना हुआ है, डंपिंग यार्ड नहीं होने के चलते उद्यमी अपनी इकाइयों से निकलने वाला वेस्ट नालों और सड़क किनारे डालते रहे हैं,
स्थानीय निवासी पूर्व जिला परिषद सदस्य गोपाल मीणा ने बताया कि औधोगिक क्षेत्र के नाले औधोगिक वेस्ट से अटे पड़े हैं जिसके चलते पानी का बहाव बाधित हो गया है. नालों में जमा गंदा पानी दुर्गंध मारने लगा है, जिसके चलते औधोगिक क्षेत्र की सड़को से गुजरना बेहद मुश्किल हो जाता है, सड़क किनारे डाला गया मार्बल पत्थर का पाउडर आंखो और मुंह में जाने से स्थानीय लोग अकारण ही गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं.
बगरू कस्बे के आसपास रीको की ओर से तीन औधोगिक क्षेत्रों की स्थापना की गई है, बगरू इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश शेखावाटिया ने बताया कि रीको की ओर से पुराना रीको औधोगिक क्षेत्र 1980, बगरू विस्तार प्रथम 1992 ओर बगरू विस्तार द्वितीय 2005 में बसाया गया जिनमे वर्तमान में लगभग 550 औधोगिक इकाइयां संचालित है जिनमे मुख्यतः मार्बल ग्रेनाइट प्रोसेसिंग, स्टील, प्लास्टिक, हैंडीक्राफ्ट, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल, रंगाई छपाई की इकाइयां संचालित है.
रीको ने यहां औधोगिक क्षेत्रों की स्थापना करते समय उद्यमियों को अपने उद्योग कारखाने लगाने के लिए आमंत्रित करते समय सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का वादा किया था, लेकिन डंपिंग यार्ड जैसी अतिआवश्यक सुविधा उपलब्ध करवाने के भी सालों गुजारा दिए, मजबूरन उद्यमियों को अपनी इकाइयों से निकलने वाला कचरा और ठोस अपशिष्ट सड़को और नालों में डालना पड़ रहा है.
कारोबारी क्षेत्रों की स्थापना होने के साथ ही उद्यमियों को और से लगातार मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग की जाती रही हैं, करीब 2 दशक बीत जाने के बाद रीको प्रशासन ने उद्यमियों को जैसे-तैसे डंपिंग यार्ड की सौगात दे तो दी, लेकिन आधी-अधूरी, बगरू इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल बताते हैं कि बगरू के तीनों औधोगिक क्षेत्रों में संचालित करीब 550 औधोगिक इकाईयों के लिए लंबी जद्दोजेहद के बाद रीको प्रशासन ने 12 हजार मीटर जगह डंपिंग यार्ड के लिए आवंटित की है,
जो कि यहां स्थापित औधोगिक इकाईयों से निकलने वाले कचरे और ठोस अपशिष्ट के लिए पर्याप्त नही है, जबकि उद्यमियों ने रीको प्रशासन से डंपिंग यार्ड के लिए करीब एक लाख मीटर जगह की मांग की थी.
हालांकि रीको प्रशासन ने उद्यमियों की मांग के पर जगह उपलब्ध करवाने के लिए स्थानीय राजस्व विभाग को डंपिंग ग्राउंड के लिए आवश्यकता अनुसार भूमि उपलब्ध करवाने के लिए पत्र लिखा है.
रीको औधोगिक क्षेत्रों का कचरा और अपशिष्ट स्थानीय लोगों ओर उद्यमियों के लिए ही परेशानी का सबब नही है, इसकी अनावश्यक मार बगरू नगर पालिका प्रशासन को भी झेलनी पड़ रही है, बगरू नगर पालिका की अधिशाषी अधिकारी मोनिका सोलंकी का कहना है कि रीको के औधोगिक क्षेत्रों में डंपिंग यार्ड की कमी के चलते औधोगिक इकाईयों का भारी मात्रा में कचरा और अपशिष्ट बगरू नगर पालिका क्षेत्र में डाला जा रहा है. जिससे कस्बे को सुंदरता पर बदनुमा दाग तो लग रही रहा है,
वहीं, नगर पालिका प्रशासन के लिए भी ये कचरा और ठोस अपशिष्ट सिर दर्द बना हुआ है, क्योंकि एक और तो कस्बे की सफाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है, वहीं दूसरी ओर नगर पालिका प्रशासन के पास इस कचरें का निस्तारण करने के पर्याप्त संसाधन नहीं है, जिसके चलते करोड़ों रुपए खर्च करने ओर अतिरिक्त मेहनत करने के बाद भी पालिका प्रशासन कस्बे की सुंदरता को कायम रखने में सफल नहीं हो पा रहा है.
करीब चार दशक के चली आ रही सैकड़ों उद्यमियों की डंपिंग यार्ड की मांग पर रीको प्रशासन ने सुनवाई तो कि पर प्रशासन उद्यमियों को समस्या के पूरी तरह निजात नही दिला पाया है, अब देखने वाली बात है कि रीको प्रशासन कब तक उद्यमियों और औधोगिक क्षेत्रों को इस बड़ी समस्या से निजात दिला पता है.
रिपोर्ट - अमित यादव
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