राजस्थान पुलिस के वायरलैस सेट पर छाए संकट के बादल अभी नहीं छंट पाए हैं. वायरलैस सैट के स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस के लिए 85 करोड़ 76 लाख रुपए का भुगतान किया लेकिन केंद्र सरकार स्पेक्ट्रम लाइसेंस पर लेट फीस के रूप में 132 करोड़ रुपए मांग रहा है
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Jaipur news: राजस्थान पुलिस में वायरलैस सैटस के नेटवर्क संचालन के लिए केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय से फ्रिक्वेंसी का आवंटन तथा वायरलैस सेटस रखने का लाइसेंस लिया हुआ है. राज्य सरकार पर वायरलैस सैट के स्पेक्ट्रम लाइसेंस और रॉयल्टी का करीब सवा अरब रुपए का भुगतान बकाया चल रहा था. दूरसंचार मंत्रालय की डब्ल्यू पीसी विंग ने स्पैक्ट्रम चार्जेज भुगतान नहीं करने पर नई फ्रिक्वेंसी आवंटन और नए सैट की खरीद पर रोक लगाने की चेतावनी भी दी थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए केंद्रीय दूर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर 84 करोड़ रुपए की स्पेक्ट्रम रॉयल्टी माफ करने की मांग करते आ रहे थे. केंद्र सरकार से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया . इधर राजस्थान पुलिस सरकार से लाइसेंस की वर्तमान फीस के भुगतान के लिए बजट मांग रहे थे. हालांकि राज्य सरकार ने वायरलैस सैट के स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस के लिए 85 करोड़ 76 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान किया. इसके बाद मामला ठंडा पड़ गया.
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दूरसंचार मंत्रालय की मंजूरी से चलते हैं वायरलेस
राजस्थान के सभी पुलिस थानों, पुलिस चौकियों एवं कानून व्यवस्था के लिए वायरलैस सैट काम में लिए जा रहे हैं. राजस्थान पुलिस दूरसंचार विभाग इन सैट के संचालन की व्यवस्था करता है. विभिन्न तकनीकी युक्त वायरलैस सैटस के नेटवर्क संचालन के लिए फ्रिक्वेंसी का आवंटन तथा वायरलैस सेटस रखने का लाइसेंस दूर संचार मंत्रालय की डब्ल्यू पीसी विंग देती है. डब्ल्यू पीसी विंग ने 419 जगहों के लाइसेंस भी पुलिस महकमें को दिए हुए हैं.
132 करोड़ यूं हुए बकाया
पुलिस मुख्यालय दूर संचार विंग के अनुसार राजस्थान पुलिस के 116 नेटवर्क के वर्ष 2004 से 2018 तक रिकान्सिल्ड स्पैक्ट्रम चार्जेज राशि में मूल स्पैक्ट्रम चार्जेज राशि लेट फीस को छोड़कर डब्ल्यू पीसी विंग में जमा करा दी गई. डब्ल्यू पीसी विंग ने 13 अप्रेल 2023 को स्पैक्ट्रम चार्जेज राशि पर आरोपित लेट फीस जुलाई 2023 तक करीब 132 करोड़ रुपए बकाया निकाली. निदेशालय ने इस लेट फीस को माफ करने के लिए पत्र लिखा, लेकिन जवाब नहीं मिला. दूर संचार निदेशालय ने राज्य सरकार से मंत्रालय को पत्र लिखने की मांग की है.
रॉयल्टी से बढ़ी पुलिस की मुसीबत
दरअसल वर्ष 2004 से पूर्व उपयोग में लाए जा रहे समस्त वायरलैस सेट की लाइसेंस फीस 1 हजार रुपए प्रति सेट का भुगतान किया जाता रहा है. इस बीच वर्ष 2008 में भारत सरकार ने आदेश जारी कर स्पेक्ट्रम चार्जेज का प्रावधान कर दिया. इसके बाद से ही पुलिस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई. प्रत्येक वायरलैस सेट की लाइसेंस फीस के अलावा रॉयल्टी राशि की आरोपित की गई जिसे जमा करवाना राज्यों के लिए अनिवार्य किया गया. इसमें स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस से कई गुना ज्यादा रॉयल्टी पेनल्टी की मांग की जा रही है.