Jaipur News : विदेशी नागरिक होने के आधार पर विवाह पंजीकरण से नहीं किया जा सकता इनकार- हाईकोर्ट
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Jaipur News : विदेशी नागरिक होने के आधार पर विवाह पंजीकरण से नहीं किया जा सकता इनकार- हाईकोर्ट

Jaipur News : राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाह पंजीयन अधिकारी किसी व्यक्ति के विदेशी होने के आधार पर उसके विवाह पंजीकरण आवेदन को निरस्त नहीं कर सकते हैं, बशर्ते उसने विवाह होने का वैध दस्तावेज पेश किया हो. 

 

राजस्थान हाईकोर्ट

Jaipur : राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि विवाह पंजीयन अधिकारी किसी व्यक्ति के विदेशी होने के आधार पर उसके विवाह पंजीकरण आवेदन को निरस्त नहीं कर सकते हैं, बशर्ते उसने विवाह होने का वैध दस्तावेज पेश किया हो. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह विवाह पंजीकरण की गाइड लाइन और आवेदन के प्रारूप में तीन माह में संशोधन कराए और यह सुनिश्चित करें की यदि आवेदक शादी से जुडे वैध दस्तावेज पेश करे तो उसकी नागरिकता की जानकारी लेना आवश्यक नहीं है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शादियां स्वर्ग में तय की जाती हैं और उनका उत्सव धरती पर मनाया जाता है. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश अश्विनी शरद और उसके पति सिंह मनोहर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. 

अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता शादी के वैध दस्तोवज पेश करें तो उनके विवाह का तत्काल पंजीकरण किया जाए. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यह आदेश विदेशी पक्षकार के विवाह पंजीकरण के अधिकार को ध्यान में रहते हुए दिया जा रहा है. उसके अन्य अधिकारों को लेकर कोर्ट कोई मत प्रकट नहीं कर रहा है.

याचिका में अधिवक्ता कपिल प्रकाश माथुर ने अदालत को बताया कि दोनों याचिकाकर्ता हिंदू हैं और उन्होंने 18 जनवरी, 2010 को हिंदू रीति-रिवाज से विवाह किया था. आर्य समाज, अजमेर ने शादी का प्रमाण पत्र भी जारी किया था. याचिकाकर्ताओं ने 20 जनवरी को विवाह पंजीयक अधिकारी के समक्ष पंजीकरण के लिए आवेदन किया, लेकिन अधिकारी ने याचिकाकर्ता सिंह मनोहर के बेल्जियम नागरिक होने के आधार पर पंजीकरण से इनकार कर दिया.

इसे याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि विवाह पंजीकरण अधिनियम की धारा 3 के तहत विदेशी नागरिक के विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सकता. इसके अलावा आर्य समाज के दस्तावेज को विवाह का वैध दस्तावेज नहीं मान सकते. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने इस संबंध में मुख्य सचिव को निर्देश जारी कर आवेदकों के भारतीय नागरिक होने के संबंध में किए प्रावधान को संशोधित करने को कहा है.

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