राजस्थान के जिस जिले में बेटियों को समझा जाता था बोझ, अब वहीं बदल रहा है पूरे प्रदेश की सोच
Advertisement

राजस्थान के जिस जिले में बेटियों को समझा जाता था बोझ, अब वहीं बदल रहा है पूरे प्रदेश की सोच

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के बाद अब राजस्थान में बेटियों के लिए सोच बदल रही है. अब मरूधरा की इस धरती पर बेटियां पैदा होने पर गालियां नहीं बल्कि थालियों की आवाज सुनाई देती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: राजस्थान में जन्म लिंगानुपात (Rajasthan Sex Ratio) के मामले में देश में सबसे स्थिति खराब थी, बालिकाओं को जन्म के बाद यहां बोझ समझा जाता था, लेकिन अब धीरे धीरे लिंगानुपात का ये कलंक राजस्थान के माथे से हटता हुआ दिखाई दे रहा है.

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के बाद अब राजस्थान में बेटियों के लिए सोच बदल रही है. अब मरूधरा की इस धरती पर बेटियां पैदा होने पर गालियां नहीं बल्कि थालियों की आवाज सुनाई देती है.

2011 में लिंगानुपात 888 था, अब 935 तक पहुंचा
यूं समझ लो कि बेमिसाल होती हैं बेटियां, असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटियां, खुशनसीब हैं वो जिनके आंगन में बेटियां होती है. जी हां, ये कहावत राजस्थान में बिल्कुल सही साबित हो रही है. प्रदेश को कलंकित करने वाला लिंगानुपात का काला अध्ययाय अब हटता जा रहा है. पिछले 6 सालों में शिशु लिंगानुपात में राजस्‍थान में देश भर में सबसे ज्‍यादा सुधार हुआ है. 

एक समय कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं इस हद तक बढ़ गई थी कि 2011 में लिंगानुपात 888 के चिंताजनक स्‍तर तक पहुंच गया था लेकिन आज राजस्थान का लिंगानुपात 935 तक पहुंच गया है, जो काफी संतोषजनक है. महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश (Mamta Bhupesh) का कहना है कि सरकार की कोशिश है कि लिंगानुपात में और सुधार हो, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें-Gold-Silver Price: कारोबारी सप्ताह के पहले दिन सोना में आई उछाल तो चांदी हुई सस्ती

अब पूरे देश में अग्रिम पक्ति में झुंझुनूं
जो झुंझुनूं पूरे देश में लिंगानुपात के मामले में सबसे पीछे था, वहीं झुंझुनूं अग्रिम पंक्ति में आकर खड़ा हो गया है. झुन्झुनू में जहां 2015 में लिंगानुपात 903 था, वहीं अब बढ़कर 950 हो गया है. इसके अलावा सीकर, नागौर, जोधपुर, पाली, हनुमानगढ़ में भी बेटियों को अब बोझ नहीं समझा जाता.

टॉप 6 जिले, जो जन्म लिंगानुपात में अग्रणी
जिला 2015 2016 2017 2018 2019-20
झुन्झूनू 903 949 949 936 950

जोधपुर 950 950 950 960 960
पाली 914 924 937 943 949

सीकर 923 961 946 945 960
हनुमानगढ 971 973 970 977 969

नागौर 950 973 967 963 975
मरूधरा में 2011 से अब तक का लिंगानुपात-

वर्ष            बालक बालिकाएं

2011 1000 पर 888
2016 1000 पर 929
2017 1000 पर 938

2018 1000 पर 944
2019 1000 पर 947

2020 1000 पर 948
2021 1000 पर 935

यह भी पढ़ें-Ajmer की गौरी ने बढ़ाया प्रदेश का नाम, प्रधानमंत्री बालिका पुरस्कार से हुई सम्मानित

बेटियां आगे बढ़ेगी, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया
ये रिपोर्ट जरूर बताती है कि अब राजस्थान में बेटियों को बोझ नहीं माना जाता है, लेकिन आज भी ऐसे गांव या शहर है,जहां बेटियों के लिए परिवार का नजरियां नहीं बदला. इसलिए अब वक्त आ गया है बदलाव का. सोच बदलेगी तो बेटियां आगे बढ़ेगी, बेटियां आगे बढ़ेगी तो इंडिया भी आगे बढ़ेगा.

Trending news