जानिए ज्योतिष के 6 सबसे शुभ और प्रभावशाली योग, जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे
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जानिए ज्योतिष के 6 सबसे शुभ और प्रभावशाली योग, जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे

Astrology 18 May 2022: ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण किया जाता है.

शुभ मुहूर्त

Jaipur: ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के आधार पर मुहूर्तों का निर्धारण किया जाता है.

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जिन मुहूर्तों में शुभ कार्य किए जाते हैं, उन्हें शुभ मुहूर्त कहते हैं. इनमें सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, रवि पुष्य योग, पुष्कर योग, अमृत सिद्धि योग, राज योग, द्विपुष्कर और त्रिपुष्कर, यह कुछ शुभ योगों के नाम हैं. आइए जानते हैं 6 प्रमुख योगों के बारे में-

अमृत सिद्धि योग
अमृत सिद्धि योग अपने नामानुसार बहुत ही शुभ योग है. इस योग में सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं. यह योग वार और नक्षत्र के तालमेल से बनता है. इस योग के बीच अगर तिथियों का अशुभ मेल हो जाता है तो अमृत योग नष्ट होकर विष योग में परिवर्तित हो जाता है. सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र होने पर जहां शुभ योग से शुभ मुहूर्त बनता है, लेकिन इस दिन षष्ठी तिथि भी हो तो विष योग बनता है.

सिद्धि योग
वार, नक्षत्र और तिथि के बीच आपसी तालमेल होने पर सिद्धि योग का निर्माण होता है. उदाहरण स्वरूप सोमवार के दिन अगर नवमी अथवा दशमी तिथि हो एवं रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, श्रवण और शतभिषा में से कोई नक्षत्र हो तो सिद्धि योग बनता है.

सर्वार्थ सिद्धि योग
यह अत्यंत शुभ योग है. यह वार और नक्षत्र के मेल से बनने वाला योग है. गुरुवार और शुक्रवार के दिन अगर यह योग बनता है तो तिथि कोई भी यह योग नष्ट नहीं होता है अन्यथा कुछ विशेष तिथियों में यह योग निर्मित होने पर यह योग नष्ट भी हो जाता है. सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा, अथवा श्रवण नक्षत्र होने पर सर्वार्थ सिद्धि योग बनता है जबकि द्वितीया और एकादशी तिथि होने पर यह शुभ योग अशुभ मुहूर्त में बदल जाता है.

पुष्कर योग
इस योग का निर्माण उस स्थिति में होता है जबकि सूर्य विशाखा नक्षत्र में होता है और चन्द्रमा कृतिका नक्षत्र में होता है. सूर्य और चन्द्र की यह अवस्था एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ होने से इसे शुभ योगों में विशेष महत्व दिया गया है. यह योग सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम मुहूर्त होता है.

गुरु पुष्य योग
गुरुवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग से निर्मित होने के कारण इस योग को गुरु पुष्य योग के नाम से सम्बोधित किया गया है. यह योग गृह प्रवेश, ग्रह शांति, शिक्षा सम्बन्धी मामलों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है. यह योग अन्य शुभ कार्यों के लिए भी शुभ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है.

रवि पुष्य योग
इस योग का निर्माण तब होता है जब रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है. यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है, जिसमें सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जा सकते हैं. इस योग को मुहूर्त में गुरु पुष्य योग के समान ही महत्व दिया गया है.

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