Measles Outbreak: राजस्थान में पोलियो के बाद बच्चों को मीजल्स-रुबेला के बढ़ रहे वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने दिसंबर-2023 तक जड़ से खत्म करने के लिए कमर कस ली है. राजस्थान के जोधपुर, अलवर, भरतपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सवाईमाधोपुर जिले हाई रिस्क जोन में शामिल है.
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Measles Outbreak: भारत में इस साल खसरा संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. खासतौर पर राजस्थान, महाराष्ट्र के कई इलाकों में इस संक्रमण का कहर बना हुआ है. महाराष्ट्र में अभी तक 200 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 10 बच्चों की खसरा से मौत की खबर भी आ चुकी है. जबकि राजस्थान में पोलियो के बाद बच्चों को मीजल्स-रुबेला के बढ़ रहे वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने दिसंबर-2023 तक जड़ से खत्म करने के लिए कमर कस ली है.
जयपुर, जोधपुर, अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, दौसा समेत 34 जिलों में पांच साल तक की उम्र के बच्चों का घर-घर सर्वे कर जानलेवा एमआर-1 और एमआर-2 का टीका लगाकर प्रतिरक्षित किया जाएगा. जिसके लिए चिकित्सा विभाग और राज्य सरकार ने रोड मैप तैयार किया है. राजस्थान के जोधपुर, अलवर, भरतपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सवाईमाधोपुर जिले हाई रिस्क जोन में शामिल है.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मौजूदा स्थिति में खसरा संक्रमण को देखते हुए 88 फीसदी कवरेज को बढ़ाकर 98 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है. राजस्थान समेत देशभर में हाई रिस्क कैटेगरी में 164, मीडियम में 386 और लो रिस्क में 183 जिले शामिल हैं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के परियोजना निदेशक (इम्यूनाइजेशन) डॉ. रघुराज सिंह का कहना है कि प्रदेश में दिसंबर-2023 तक मीजल्स-रुबेला पर काबू पाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. पांच साल तक की उम्र के बच्चों का घर-घर पहले सर्वे किया जाएगा, फिर टीककरण कर इस बीमारी से बच्चों को बचाया जाएगा.
बता दें कि खसरा एक वायरल बीमारी है जो तेजी से फैलने वाला बीमारी है. यह पैरामीक्सोवायरस परिवार के वायरस द्वारा सीधे संपर्क में आने या संक्रमित व्यक्ति के खाँसने, छींकने से उनकी सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है. मीजल्स इंफेक्शन पेरामिक्सोवायरस फैमिली की वजह से बच्चों को इंसेफेलाइटिस, निमोनिया, डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा होता है. यह श्वसन पथ और फिर शरीर के बाकी हिस्सों को संक्रमित करता है जिसमें संक्रमण के 10-12 दिनों के बाद लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें तेज बुखार, लाल चकत्ते, खांसी, बहती नाक और लाल और पानी वाली आंखें शामिल हैं. रोगी का इम्यून सिस्टम कमजोर है तो खसरे से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इस बीमारी की आशंका सबसे अधिक होती है. हालांकि, यह केवल मनुष्यों को प्रभावित करता है और जानवरों को नहीं.
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ध्यान दें कि इस बीमारी के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देना शुरू होते हैं. इसके कुछ लक्षण हैं-
- बुखार
- सूखी खांसी
- बहती नाक
- गला खराब होना
- आंखें मे सूजन
- गाल की अंदरूनी परत पर मुंह के अंदर छोटे सफेद धब्बे (कोप्लिक स्पॉट)
मीजल्स का बचाव सिर्फ और सिर्फ वैक्सीन है. टीकाकरण से ही 97% तक इस बीमारी से बचा जा सकता है.
संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकता है. ऐसे में बेहद सजग रहने की जरूरत होती है.
संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें जैसे चादर, तोलिया, साबुन कोई भी अन्य व्यक्ति यूज न करे.
अगर घर में किसी व्यक्ति को मीजल्स हुए हैं तो उसकी साफ सफाई का खास ख्याल रखा जाना चाहिए.
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