BSP से कांग्रेस में आए विधायक संदीप यादव ने CM गहलोत को लिखा दर्द भरा पत्र, दी कई जानकारियां
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BSP से कांग्रेस में आए विधायक संदीप यादव ने CM गहलोत को लिखा दर्द भरा पत्र, दी कई जानकारियां

Sandeep Yadav Letter To CM Gehlot: बीएसपी से कांग्रेस में आए विधायक संदीप यादव का मुख्यमंत्री को दर्द भरा पत्र लिखा. इसके साथ ही चिट्ठी में खुद के साथ लगातार हो रहे भेदभाव के चलते जलालत भरे 2.5 सालो में उपजी मन की पीड़ा के बारे में, मानसिक पीड़ा के बारे में विस्तार से लिखा.

संदीप यादव ने CM गहलोत को लिखा दर्द भरा पत्र

Jaipur: बीएसपी से कांग्रेस में आए विधायक संदीप यादव का मुख्यमंत्री को दर्द भरा पत्र लिखा. इसके साथ ही चिट्ठी में खुद के साथ लगातार हो रहे भेदभाव के चलते जलालत भरे 2.5 सालो में उपजी मन की पीड़ा के बारे में, मानसिक पीड़ा के बारे में विस्तार से लिखा.

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यादव ने लिखा- मैं और मेरे साथी बहुजन समाज पार्टी से चुनाव जीत कर दिसम्बर 2018 में राजस्थान विधानसभा में पहुंचे. 2019 में हमने राजस्थान की जनता को एक मजबूत और स्थिर सरकार देने के क्षेत्र में विकास के कार्य कराने के लिए आपसे इन सब बातों को रखने के बाद आपको पूरा मान-सम्मान दिए. जाने के वादे के साथ हम कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये. जब से हम यहां आए हैं, लगातार हमें जलालत झेलनी पर रही है.

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हमारे पार्टी में शामिल होने से बहुत लोगों को परेशानी होने लगी, सभी जगह मूल पार्टी के लोगों को पहले सम्मान मिले. बाहर से आए लोगों का नही जबकि सबको ये भी पता था कि सरकार स्थिर नहीं है. इनके आने से हमें मजबूती मिली है. उनको ये भी पता था कि सरकार है तो ही आप सब की सरकार में भागीदारी है और सरकार में सत्ता का सुख भोग पा रहे हो. एक तरफ कोंग्रेस पार्टी के लोग एक के बाद एक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. हम लोग देश में मात्र दो प्रदेश में से एक बड़े प्रदेश की सरकार बचाने में खड़े थे.

दूसरी तरफ जाने वाले लोगों का जिस तरह मान सम्मान हो रहा था, सीधे केंद्रीय नेतृत्व उनकी सभी बातो को सुनकर उनके मान सम्मान का ध्यान रख रहा था. वहीं हमारे लिए पार्टी नेतृत्व इतने बड़े योगदान के कोई स्वागत सम्मान में दो शब्द नहीं बोले. ना ही हमारी समस्याओं और ना ही हमारे राजनीतिक भविष्य के बारे में चर्चा की. मैं एक सवाल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से करना चाहूंगा क्यूंकि कोई नया व्यक्ति आपके साथ जुड़े?

पांच लाख लोगों प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिये, जिन्होंने संकट के समय दिया उनको सुनने के लिए आपके पास समय नहीं है. तो आम आदमी कैसे उम्मीद कर सकता है. ये विचारणीय विषय है और तुलना भी करनी चाहिए कि सत्ता में बैठकर भी वो सबसे सीधा संवाद कर रहे हैं. जबकि आपके पास उनके लिये समय नहीं ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर विकास कार्य में भी हमारे साथ लगातार भेदभाव हुआ. मंत्रियों का हमारे लिए रुख उनका, नजरिया उनका, रवैया हमारे लिए भेदभावपूर्ण रहा.

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