चीफ काजी खालिद उस्मानी (Khalid Usmani) सहित अन्य धर्मगुरुओं ने समाजजनों से जुलूस भीड़भाड़ नहीं करने की अपील की है.
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Jaipur: मुहर्रम (Muharram) 20 अगस्त को राजधानी में मनाया जाएगा. इस मौके पर अकीदतमंद रोजे रखकर इबादत करेंगे. मुहर्रम के मौके पर निकलने वाले ताजियों को बनाने का काम परकोटे समेत अन्य जगहों पर पूरा हो चुका है. कल मुहर्रम के तहत कोरोना (Covid) की तीसरी लहर के चलते इस बार भी मुहर्रम का जुलूस आदि पर पूर्णतया रोक रहेगी.
चीफ काजी खालिद उस्मानी (Khalid Usmani) सहित अन्य धर्मगुरुओं ने समाजजनों से जुलूस भीड़भाड़ नहीं करने की अपील की है. इसके साथ ही प्रशासन को व्यवस्था में सहयोग रखने और शांति बनाने का आहवान किया है. वहीं, ताजियों के सुपुर्द-ए-खाक के लिए बाद में व्यवस्था की जाएगी.
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ताजिए का निर्माण हजरत इमाम हुसैन के रोजे के प्रतीक रूप में किया जाता है. भले ही इस बार जुलूस नहीं निकले लेकिन आस्था के रूप में कई महीनों पहले ताजिए बनाना शुरू कर चुके थे. इमामबाड़ों में ही ताजियों को रखकर सभी रस्मों को पूरा किया जाएगा, लोग यहीं इनकी जियारत करेंगे. दूसरी ओर अकीदतमंद ढोल—ताशों पर मातमी धुनों से हजरत इमाम हुसैन को याद कर रहे हैं. ताजिया बनाने में बांस, कागज, रंगीन पन्नी, थर्मोकॉल और चमकीली पन्नी के अलावा रात में ताजियों की रोशनी के लिए बिजली की सजावट के सामान आदि वस्तुओं का उपयोग किया गया है.
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मोहल्ला हांडीपुरा में बन रहे ताजिए की थीम इस बार वास्तुकला पर आधारित है. मोहम्मद नईम ने बताया कि उनका ताजिया 18 फुट ऊंचा और 22 फुट चौडा़ बनाया गया है. स्पेशल कागज को नीले रंग में डाई करवाकर ताजिए में लगाया गया है. उस्ताद सैयद रफीक ने बताया कि अभ्रक और चांदी के वर्क से बनाए गए झाड़वाले शीशे ताजिए में लगाए हैं. इसके साथ ही अभ्रक पर की गई महीन एम्बोजिंग से शामियाने पर एक्ट्राऑर्डनरी कार्य किया है. यह ताजिए राजा रजवाड़ों की शान थे. सोने चांदी का मोहल्ला महावतान बिरादरी का ताजिया 1868 से निकलता आ रहा है. यह शहर की शान होने के साथ—साथ कई मायनों में खास है. मोहल्ला तवायफान, बगरू वालों का रास्ता, चांदपोल बाजार, मोहल्ला नालबंदान, मोहल्ला हिरन वालान, मोहल्ला मछलीवालान, मोहल्ला सिलावटान के ताजिए भी खास हैं.