मंदिरों ही नहीं, घरों में भी मां दुर्गा का आगमन, बंगाली संस्कृति से रूबरू नहीं हो सकेंगे जयपुरवासी
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मंदिरों ही नहीं, घरों में भी मां दुर्गा का आगमन, बंगाली संस्कृति से रूबरू नहीं हो सकेंगे जयपुरवासी

जगत जननी मां भगवती की अराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ कल से होगा. नवरात्रि 14 अक्टूबर तक चलेंगे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: शक्ति की आराधना और साधना का विशेष पर्व शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होगी. घरों से लेकर मंदिरों में घटस्थापना होने के साथ माता के जयकारे गूंजेंगे. इस बार माता का आगमन डोली में होगा, विदाई नर यानि मनुष्य पर होगी, यानि आमजन के लिए नवरात्रि विदाई वैभवकारी और शुरुआत मध्यम फल वाली होगी.

पहले दिन मां के शैल पुत्री रूप की पूजा अर्चना की जाएगी. दुर्गासप्तशति के पाठ के साथ ही अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे. राजधानी में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर दुर्गामाता के पंडाल आदि इस बार नहीं सजाएं जाएंगे. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में घटस्थापना की जाएगी.

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जगत जननी मां भगवती की अराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ कल से होगा. नवरात्रि 14 अक्टूबर तक चलेंगे. इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 9 की बजाय 8 दिन के ही होंगे. महाष्टमी 13 अक्टूबर को और महानवमी 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी. वहीं, दशहरा 15 अक्टूबर का रहेगा.

खास बात यह है कि नवरात्रि गुरुवार से शुरू होकर गुरुवार को ही संपन्न हो रहे हैं. इस बार माता रानी डोली पर बैठकर हमारे घर आएंगी. नवरात्रि में माता का डोली पर बैठकर आना प्राकृतिक आपदा, भूकंप, कहीं आगजनी की घटना अथवा राजनीतिक द्वेष भावना फैलाने की घटना हो सकती है.

46 मिनट का समय इस बार स्थापना के लिए मिलेगा
ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि देवी पुराण के मुताबिक, घटस्थापना, देवी का आहवान, पूजा का समय प्रात:काल के समय बताया गया है लेकिन प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र, वैद्यृति योग को वर्जित बताया गया है. पूरे दिन यह योग रहे तो देवी का आहवान, घटस्थाना अभिजीत मुहूर्त करना श्रेष्ठ बताया है. पहले दिन चित्रा नक्षत्र 9.13 बजे तक और वैद्यृति योग रात 1.39 बजे तक रहेगा. इस बार शारदीय नवरात्रि का घटस्थापना 11.52 से 12.38 तक अभिजीत मुहूर्त में रहेगा यानि महज 46 मिनट का समय इस बार स्थापना के लिए मिलेगा. 9 को रवियोग, 10 को रवियोग, 10 को कुमार-रवियोग, 12 को राजयोग, रवियोग, 14 को रवियोग, 15 को सर्वार्थसिद्धि, कुमार और रवियोग होंगे, जो की वाहन, आभूषण, प्रॉपर्टी की खरीददारी के लिए फलदायी रहेंगे. देवी मां की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होंगी और देश-दुनिया की अशांति खत्म होगी, व्यापार बढ़ेगा और जनता को सुख मिलेगा. दुर्गााशप्तसती का पाठ करें. संयम पूर्वक रहें.  

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बंद रहेंगे शिला माता मंदिर के दर्शन 
नवरात्रि में शहरवासी शिला माता रानी का दीदार नहीं कर सकेंगे. महंत महेन्द्र भट्टाचार्य ने बताया कि घटस्थापना सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 6.09 से 6.12 बजे के बीच होगी. सुबह 6 से 12 शाम 5 से 9.30 बजे तक दर्शन कर सकेंगे. प्रसाद माला नहीं चढ़ा सकेंगे. नौ दिनों तक माता रानी को आरी तारी, गोटा चुनरी की पोशाक धारण करवाई जाएगी. अपेक्स सर्किल वन क्षेत्र स्थित कालक्या माता मंदिर सुबह सात से शाम छह बजे तक खुलेगा. राजापार्क पंचवटी सर्किल स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में घटस्थापना दोपहर 12.51 बजे होगी. आम भक्त दर्शन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5.30 बजे से रात 9 बजे तक कर सकेंगे. उपसचिव कमलेश आसुदानी ने बताया कि रोजाना छह बार माता की साड़ी बदली जाएगी. साड़ी, चुनरी भक्त चढ़ा सकेंगे. वहीं, शाम को हलवा, छोले और पूरी का प्रसाद बांटा जाएगा. आमेर के शिला माता, मनसा माता, पुरानी बस्ती स्थित रुद्र घंटेश्वरी, दुर्गापुरा के दुर्गा माता मंदिर, राजापार्क स्थित वैष्णो देवी मंदिर, घाटगेट श्मशान स्थित काली माता मंदिर सहित छोटीकाशी के सभी देवी मंदिरों में घट स्थापना के साथ नवरात्रि की विशेष आराधना की जाएगी. त्रिपोलिया बाजार तंवर जी का नोहरा स्थित शिव शक्ति हनुमान मंदिर में पं. पुरुषोत्तम भारती के सान्निध्य में अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी.

कब कौन सी नवरात्रि पड़ती
बहरहाल, देवी पुराण के अनुसार नौ शक्तियों के मिलन को “नवरात्रि” कहा जाता है, जो एक साल में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में 4 बार आती हैं. बसंत ऋतु में आने वाले को चैत्र या वासंती नवरात्रि कहा जाता है जबकि, शरद ऋतु और आश्विन मास में आने वाले नवरात्रि को शारदीय कहा जाता है बाकी दो यानि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आते है, जिस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविधाओं की साधना होती है.

 

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