भाभी-ननद के झगड़े ने बनाया जीण माता का मंदिर, जानें क्या है खास
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भाभी-ननद के झगड़े ने बनाया जीण माता का मंदिर, जानें क्या है खास

नवरात्रि (Navratri Special) के पावन पर्व पर जीण माता (Jeenmata Temple) के मंदिर में हर साल लाखों भक्त आते हैं.

जीण माता.

Sikar: शक्ति की देवी दुर्गा मां को पूजा जाता है. नवरात्रि (Navratri 2021) के अवसर पर दुर्गा माता के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है. अखंड ज्योति और नौ दिनों तक व्रत, पूजा और भक्ति के कार्यक्रम और मेले आयोजित होते हैं.

मां दुर्गा के मंदिरों में नवरात्रि में भक्ति और आस्था का ज्वार उमड़ता  है. लाखों भक्त मंदिरों में नवरात्रि में इष्ट देवी माता रानी की पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगते हैं. ऐसी ही करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र सीकर की जीण माता है. नवरात्रि (Navratri Special) के पावन पर्व पर जीण माता (Jeenmata Temple) के मंदिर में हर साल लाखों भक्त आते हैं.

अरावली (Aravali) की वादियों में रलावता के समीप बसे जीण माता के मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब (Mughal Emperor Aurangzeb) की सेना जीण माता के मंदिर को तोड़ने पहुंची तो मधुमक्खियों ने उन पर हमला कर दिया और उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया था. आदिकाल की माता जयन्‍ती ही आज जीणमाता के नाम से घर-घर पूजी जा रही हैं. नवरात्रि के अलावा यहां पर साल भर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहता है.

जीणमाता के इतिहास
ऐसा माना जाता है कि जीण माता का जन्म चूरू (Churu) के घांघू गांव के राजपूत परिवार में हुआ था. वह अपने भाई से बहुत स्नेह करती थीं. जीण माता अपनी भाभी के साथ तालाब से पानी लेने गई और पानी लेते समय भाभी और ननद में इस बात को लेकर झगड़ा शुरू हो गया कि भाई हर्ष किसे ज्यादा स्नेह करता है. इस बात को लेकर दोनों में यह निश्चय हुआ कि हर्ष जिसके सिर से पानी का मटका पहले उतारेगा, वही, उसकी अधिक प्रिय होगा.  

जीण माता ने घर जाने से मना कर दिया
भाभी और ननद दोनों मटका लेकर घर पहुंची लेकिन हर्ष ने पहले अपनी पत्नी के सिर से पानी का मटका उतारा. यह देखकर जीण माता नाराज हो गई और नाराज होकर वह आरावली के काजल शिखर पर पहुंच कर तपस्या करने लगीं. अभी तक हर्ष इस विवाद से अनभिज्ञ था. इस शर्त के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने उन्हें मनाने काजल शिखर पर पहुंचे और अपनी बहन को घर चलने के लिए कहा लेकिन जीण माता ने घर जाने से मना कर दिया.

जीण माता का वास्तविक नाम है जयंती माता 
बहन को वहां पर देख हर्ष भी पहाड़ी पर भैरों (Bhairon Temple) की तपस्या करने लगे और उन्होंने भैरों पद प्राप्त कर लिया. जीण माता का वास्तविक नाम जयंती माता है. माना जाता है कि माता दुर्गा की अवतार है. घने जंगल से घिरा हुआ है यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ों के संगम पर स्थित है. इस मंदिर में संगमरमर का विशाल शिव लिंग और नंदी प्रतिमा आकर्षक है. इस मंदिर के बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है. फिर भी लोग कहते हैं किमाता का मंदिर 1000 साल पुराना है लेकिन कई इतिहासकार आठवीं सदी में जीण माता मंदिर का निर्माण काल मानते हैं.

जीण माता ने दिखाया चमत्कार
लोक मान्यता के अनुसार, एक बार मुगल बादशाह औरंगजेब ने राजस्थान के सीकर में स्थित जीण माता और भैरों के मंदिर को तोड़ने के लिए अपने सैनिकों को भेजा, जब यह बात स्थानीय लोगों को पता चली तो बहुत दुखी हुए. बादशाह के इस व्यवहार से दुखी होकर लोग जीण माता की प्रार्थना करने लगे. इसके बाद जीण माता ने अपना चमत्कार दिखाया और वहां पर मधुमक्खियों के एक झुंड ने मुगल सेना पर धावा बोल दिया था. मधुमक्खियों के काटे जाने से बेहाल पूरी सेना घोड़े और मैदान छोड़कर भाग खड़ी हुई. कहते है कि स्वयं बादशाह की हालत बहुत गंभीर हो गई तब बादशाह ने अपनी गलती मानकर माता को अखंड ज्योत जलाने का वचन दिया और कहा कि वह हर महीने सवा मन तेल इस ज्योत के लिए भेंट करेगा.

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भव्य मंदिर में हर रोज माता रानी की आरती की जाती
जीण माता मंदिर के चलते रलावता ग्राम पंचायत के जीण माता गांव में पहाड़ियों के बीच भव्य जीण माता का मंदिर है. भव्य मंदिर में हर रोज माता रानी की आरती की जाती है और ढोल-नगाड़ों से आरती के बाद प्रसाद वितरण होता है. मंदिर कमेटी और प्रशासन की और से यहां मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. ठहरने के लिए धर्मशालाएं हैं. सैकड़ों की संख्या में दुकानें हैं.

नवजात का जडूला भी उतारा जाता 
वैसे तो जीण माता के दर्शन के लिए सालभर भक्त आते रहते हैं लेकिन नवरात्रि में भारी भीड़ उमड़ती है. लाखों भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं और मन्नतें मांगते हैं. साथ हीं, नवविवाहित जोड़ों के सुखी दांपत्य के लिए यहां पूजा-अर्चना करते हैं और नवजात का जडूला भी उतारा जाता है. जीण माता के मंदिर के पास ही एक पहाड़ी पर हर्ष भैरव नाथ का मंदिर भी बना हुआ है हालांकि कोरोना वायरस (Coronavirus) चलते पिछले दो-तीन साल से मेले का आयोजन नहीं हो रहा है. इस बार भी जीण माता के मेले पर रोक लगा रखी है लेकिन दर्शनों के लिए मंदिर खुला है.

Reporter- Ashok Singh

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