जयपुर में निजी खातेदारी की जमीन पर बिना सरकार की मंजूरी के अवैध कॉलोनी काटने वालों पर जेडीए ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है. ऐसे निजी खातेदारों की जमीन को सरकारी जमीन में तब्दील करने यानी उनकी खातेदारी खत्म करने पर विचार कर रहा है.
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Jaipur: प्रदेश में भी अवैध कॉलोनियां बेरोकटोक बस रही है. खुद राजधानी जयपुर में ही मास्टर प्लान के विपरीत सैकड़ों अवैध कॉलोनियां धड़ल्ले से बस रही हैं. मास्टर प्लान के अनुरूप शहर के डवलपमेंट के लिए जिम्मेदार जेडीए का दावा है कि पिछले 4 साल में अवैध रूप से बस रही 501 कॉलोनियों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया.
जयपुर में निजी खातेदारी की जमीन पर बिना सरकार की मंजूरी के अवैध कॉलोनी काटने वालों पर जेडीए ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है. ऐसे निजी खातेदारों की जमीन को सरकारी जमीन में तब्दील करने यानी उनकी खातेदारी खत्म करने पर विचार कर रहा है.
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खातेदारों का उदेश्य बार-बार प्रयास करके अवैध कॉलोनी बसाने का
जेडीए की एक रिपोर्ट देखें तो पिछले साढ़े तीन साल में जयपुर में 501 कॉलोनियों पर कार्रवाई की है, जो बिना जेडीए की अनुमति के बसाई जा रही थी. इनमें से 50 से ज्यादा कॉलोनियां ऐसी है जहां 1 से ज्यादा बार यानी 2 या 3 बार कार्रवाई की जा चुकी है. जेडीए की एन्फोर्समेंट विंग के अधिकारियों की माने तो ऐसे खातेदार जिन पर 2 या उससे ज्यादा बार कार्रवाई की जा चुकी है हम उनकी खातेदारी समाप्त करने पर विचार कर रहे है क्योंकि ऐसे खातेदारों का उदेश्य बार-बार प्रयास करके अवैध कॉलोनी बसाने का है, जिससे आमजन को तो नुकसान होगा ही, बल्कि सरकार को भी रेवेन्यू नहीं मिलेगा.
क्या बोले जेडीए के प्रवर्तन शाखा के मुख्य नियंत्रक प्रवर्तन
जेडीए के प्रवर्तन शाखा के मुख्य नियंत्रक प्रवर्तन रघुवीर सैनी ने बताया की जेडीए की एन्फोर्समेंट विंग से मिली रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 से अब तक 501 अवैध कॉलॉनियों पर कार्रवाई की जा चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा 159 कॉलोनियों इस साल पिछले 7 महीने में बसी है. जेडीए के जोनवार स्थिति देखे तो सबसे ज्यादा 109 कॉलोनियां जोन 12 एरिया में तोड़ी गई, जो अजमेर रोड से सीकर रोड के बीच बसाई गई थी. सैनी ने बताया कि जिन खातेदारों के खिलाफ 2 या उससे ज्यादा बार कार्रवाई हो चुकी है उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. निजी खातेदारों के खिलाफ राजस्थान कास्तकारी अधिनियम की धारा 175 के तहत कार्यवाही कर खातेदारी सरकार के नाम करने के सबंध में कार्यवाही के लिए जोन उपायुक्तों को पत्र लिखे जा रहे हैं ताकि आगे की कार्यवाही के लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट को लिखा जा सके.
उन्होंने बताया कि जेडीए के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का नियमानुसार खर्चा-वसूली के लिए जविप्रा अधिनियम की धारा 37(2) के तहत नोटिस जारी जाते हैं. ऐसे मामलो में निजी खातेदारों की ओर से रिकवरी राशि भी जयपुर विकास प्राधिकरण कोष में जमा करवायी जा चुकी है. वहीं अवैध कॉलोनी बसाने वाली सोसायटियों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग को लिखे जाने की कार्रवाई की जाती है.
बहरहाल, भले ही जयपुर विकास प्राधिकरण दावा करता है कि चार साल में करीब 501 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर चला लेकिन इनमें से कुछ ऐसी कॉलोनियां भी हैं, जिन पर एक बार नहीं तीन-तीन बार बुलडोजर चलाने की प्रवर्तन शाखा को जरूरत पड़ी है. जेडीए की कार्रवाई के बाद भी कुछ बिल्डर्स ने फिर से अवैध कॉलोनियां बसा दी, जिस पर रिहायशी मकानों के साथ कई जगह वेयर हाउस, व्यावसायिक गोदाम, दुकानें तक बन गईं. ज्यादातर अवैध कॉलोनियों की बसावट खातेदारी जमीन पर बिना लैंड यूज चेंज करवाए हुई हैं.
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