OPS Breaking: हिमाचल के बाद ओपीएस बनेगा विधानसभा चुनाव में मुद्दा, राजस्थान में सुलगने लगी चिंगारी, 10 से हस्ताक्षर अभियान होगा शुरू
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OPS Breaking: हिमाचल के बाद ओपीएस बनेगा विधानसभा चुनाव में मुद्दा, राजस्थान में सुलगने लगी चिंगारी, 10 से हस्ताक्षर अभियान होगा शुरू

OPS Breaking: इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम OPS प्रमुख सियासी मुद्दा होगा. हिमाचल के बाद कांग्रेस इसे राजस्थान में भी चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है,लेकिन फिलहाल खुद खुलकर सामने नहीं आ रही है. वहीं दूसरी ओर कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर खुलकर कह रहे हैं कि OPS नहीं तो वोट नहीं!

 

फाइल फोटो

OPS Breaking News: अब तक राजस्थान,छत्तीसगढ़,झारखंड,हिमाचल में ओपीएस लागू हो चुकी है.इसे अब देश के अन्य राज्यों में भी लागू करवाने के लिए इंटर स्टेट फोरम बनाया गया है. देश में कर्नाटक,मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान और तेलंगाना में आने वाले दिनों में चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों में कांग्रेस ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को बढ़ा सियासी मुद्दा बनाने की तैयारी में है.

हिमाचल में कांग्रेस ने ओपीएस को चुनावी मुद्दा बनाया था और इसका व्यापक असर हुआ. कांग्रेस हिमाचल में सत्ता में आई और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं कि ओल्ड  पेंशन स्कीम हिमाचल में प्रमुख मुद्दा था.

 fallbackइससे कांग्रेस को कर्मचारियों और उनके परिवारों के व्यापक समर्थन के कारण ही सत्ता में आए. ऐसे में राज्य की कांग्रेस विधानसभा चुनावों में ओल्ड पेंशन स्कीम को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है.

खुद कांग्रेस सीधे तौर पर फिलहाल इसे नहीं उठा  रही,लेकिन कर्मचारियों को आगे कर रही है. राज्यों में ओपीएस के मुद्दे को लेकर आंदोलन खड़ा करने के लिए ज्वाइंट फोरम तैयार हो रहा है.

इस ज्वाइंट फोरम की ओर से नई दिल्ली में अगले सप्ताह धरना दिया जाएगा.वहीं, 10 अप्रैल से राजस्थान के सभी सरकारी दफ्तरों,बोर्ड-निगमों में ओपीएस के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाएगा. इसके लिए स्टिकर और फ्लेक्स छपवाए जा रहे हैं.जिनमें सीएम अशोक गहलोत की फोटो है. मोबाइल स्टिकर व बाइक स्टिकर भी छपवाए जा रहे हैं.

 हालांकि सरकार और कांग्रेस की तरफ से खुलकर अभी इस मूवमेंट को कोई समर्थन नहीं दिया जा रहा ताकि मेसेज दिया जा सके कि कर्मचारी खुद इसे लीड कर रहे हैं.वहीं फोरम की ओर से 11 अप्रैल को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा.

गौरतलब है कि राजस्थान में गहलोत सरकार को पिछले दो कार्यकालों में कर्मचारियों की नाराजगी के कारण हार झेलनी पड़ी थी. मुख्यमंत्री गहलोत यदा कदा कर्मचारियों की नाराजगी और उससे मिली हार का भी जिक्र करते रहे हैं.राज्य सरकार ओपीएस लागू कर चुकी है.ऐसे में कर्मचारियों में नाराजगी नहीं है.लेकिन अब चुनाव नजदीक हैं,  ऐसे में पांच लाख कर्मचारियों के संगठनों को गहलोत सरकार अपने पक्ष में करने में जुटी है.

गहलोत सरकार की ओर से कर्मचारियों को साधने के लिए ओपीएस का बड़ा दांव खेलने जा रही है.इसके लिए अलग-अलग कर्मचारी संगठनों की तरफ से मूवमेंट शुरू किया जा रहा है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश महामंत्री  विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है जिससे कर्मचारियों में उत्साह है.

 कर्मचारियों ने ठान लिया है कि देश में ओपीएस लागू हो, इसके लिए देश के कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं. 2024 के आम चुनावों में यह मुद्दो बनेगा. पीएम इसे पूरे भारत वर्ष में ओपीएस लागू करे. राष्ट्रीय महासंघ 11 को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे और बाद में  16 जुलाई को राज्यों के कर्मचारी दिल्ली में जाकर प्रदर्शन करेगा. जो ओपीएस लागू करेगा.कर्मचारी उसे ही वोट देगा.

इसी तरह राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने ओपीएस लागू कर दिया है.लेकिन चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली पार्टी ओपीएस से छेड़छाड़ कर सकती है इसको लेकर आशंका है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट करना चाहिए कि ओपीएस को लागू रखेंगे. 

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