खाद्य मंत्री खाचरियावास ने केंद्र सरकार से की NFSA में लिमिट बढ़ाने की मांग
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खाद्य मंत्री खाचरियावास ने केंद्र सरकार से की NFSA में लिमिट बढ़ाने की मांग

करीब डेढ़ लाख पात्र लोग एनएफएसए योजना (NFSA Scheme) के तहत गेहूं लेने के लिए कतार में लगे हुए हैं.

प्रतापसिंह खाचरियावास

Jaipur: तमाम कोशिशों के बाद भी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग (Food and Civil Supplies Department) सालों से गेहूं में घुन का काम कर रहे अपात्रों को पूरी तरह से बाहर नहीं कर पा सका हैं. जिसके कारण पात्र लोगों को मजबूरी में बाजार से महंगा अनाज खरीदना पड़ रहा हैं. करीब डेढ़ लाख पात्र लोग एनएफएसए योजना (NFSA Scheme) के तहत गेहूं लेने के लिए कतार में लगे हुए हैं, लेकिन केंद्र ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act) के तहत पंजीकरण के लिए अधिकृत पोर्टल 18 मई 2020 से बंद कर दिया हैं.

केंद्र से की मांग, 10 फीसदी बढाई जाए राजस्थान कोटे की संख्या
एनएफएसए में लिमिट क्रॉस होने के साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियत के तहत पंजीकरण के लिए अधिकृत पोर्टल को बंद कर दिया हैं. सरकार ने केंद्र से मांग की हैं की दस फीसदी संख्या को बढ़ाया जाए. वर्तमान में 4.46 करोड़ लोगों को राशन से गेहूं मिल रहा है. खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ने कहा की केन्द्र को पत्र लिखकर इसमें 10 प्रतिशत संख्या बढ़ाने की मांग की है. ताकि और जरूरतमंद लोगों को फायदा हो सके, क्योंकि डेढ़ साल से योजना में आवेदन करने के लिए सरकार का पोर्टल तो बंद है ही. 

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इससे पहले आवेदन करने वाले 1.47 लाख लोगों के आवेदन ही पेंडिंग पड़े हैं. अगर संख्या में 10 प्रतिशत का भी इजाफा हो तो 44 लाख से ज्यादा लोगों को इसका फायदा और मिल सकता है. जानकारी के अनुसार 2011 की जनगणना के अनुसार केन्द्र से इसकी लिमिट 4.46 करोड़ मिली हुई है. मई 2020 में एनएफएसए का पोर्टल बंद हुआ था. इसके बाद अब तक नए आवेदन नहीं लिए गए. 18 मई 2020 तक 3.87 लाख आवेदन पेंडिंग पड़े थे. अब भी 1.47 लाख आवेदन पेंडिंग हैं. जानकारी के अनुसार 4.46 करोड़ में से करीब 4.20 करोड़ लोग ही राशन लेते हैं. इसलिए विभाग ने इसकी संख्या बढ़ाने की मांग की है.

अब तक 55 लाख अपात्रों को योजना से किया बाहर
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा की विभाग ने पिछले दिनों सरकारी कर्मचारियों, अपात्र और गेहूं ना ले रहे करीब 55 लाख से ज्यादा नाम निरस्त कर दिए. जांच के बाद गेहूं लेने वालों में से करीब 80 हजार सरकारी कर्मचारियों के नाम हटाए गए और इनसे करीब 72 करोड़ की वसूली हुई. इसके अलावा करीब 45 लाख से ज्यादा अपात्र लोगों के नाम सूची से हटाए हैं. जिनमें 1 साल से गेहूं नहीं लेने वाले करीब 3 लाख, जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके करीब साढे़ 8 लाख, विवाह के बाद बाहर गए 4.70 लाख और 2-3 बार नाम जुड़वाने वाले करीब 18 लाख आवेदनों को भी सूची से हटा दिया, जिससे पेंडिंग पड़े लोगों को जगह मिली. केन्द्र को पहले भी पत्र लिखा, अब फिर लिख रहे हैं कि चाहे एनएफएसए में कोटा वही रखें पर कम से कम 10 प्रतिशत संख्या बढ़ा दी जाए. ताकि करीब 40 लाख लोगों को और अन्न मिल सके.

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बहरहाल, एक तरफ तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में जुडे परिवारों को केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से प्रति व्यक्ति पांच किलो अतिरिक्त गेहूं उपलब्ध करवाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक तंगी के शिकार गरीब परिवारों को 20 से 25 रुपये किलो के गेहूं खरीद कर परिवार का पेट भरना पड़ रहा है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में 15 माह के बाद भी गरीब परिवारों के नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं. इनमें अधिकतर ऐसे गरीब परिवार है जो रोज कमाते-खाते हैं.
 

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