Rajasthan assembly election: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, चुनाव आयोग ने भी इस बार किए बड़े बदलाव किए हैं.बीते एक दशक में 150 प्रतिशत बढी प्रत्याशी के चुनावी खर्च की सीमा.अब दो दिन की बजाय एक दिन पहले ही पोलिंग पार्टियां होगी रवाना.
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Rajasthan assembly election: राज्य में बढ़ी मतदाताओं की संख्या और महंगाई का असर दिसंबर माह में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के दौरान देखने को मिलेगा.भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए प्रचार के दौरान खर्च की सीमा बढ़ा दी है.चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी अपने कैंपेन के लिए 40 लाख रुपए तक चुनाव में खर्च कर सकेंगे.
बीते एक दशक में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के खर्चे की सीमा 16 लाख से बढाकर 40 लाख कर दी हैं.2013 में 16 लाख रूपए खर्च करने की लिमिट थी उसके बाद 2018 के चुनाव में 16 लाख से लिमिट बढाकर 28 लाख की गई और अब 2023 के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में इसे बढ़ाकर 40 लाख कर दिया हैं.
इधर खर्च की सीमा बढने से अवैध धन पर निगाह रखने लिए जांच एजेंसियों को निगरानी तंत्र मजबूत करना होगा.मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया की कंज्यूमर या होलसेल प्राइज इंडेक्स से खर्च की राशि तय होती हैं.पूर्व में कोविड के समय हुई 28 से 30 लाख खर्च की लिमिट की गई थी उसके बाद दस प्रतिशत बढाई जिसके बाद प्रत्याशी की खर्च की सीमा 40 लाख हो गई हैं.चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की मांगों को देखते हुए चुनावी खर्च की सीमा में यह बढ़ोत्तरी की है.अब उम्मीदवारों को प्रचार-प्रसार में किए जाने वाले खर्च के पाई-पाई का हिसाब देना होगा.प्रचार में लगने वाले वाहनों की पूरी जानकारी देनी होगी.
चुनावी सभाओं की भी जानकारी देने के साथ ही खर्च का हिसाब भी बताना होगा.उधर चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने से उम्मीदवारों के साथ ही राजनीतिक दलों के रणनीतिकारों को भी राहत मिलेगी.एक विधानसभा चुनाव में अब खर्च की सीमा बढ़ाए जाने से प्रचार का अंदाज भी बदला-बदला नजर आएगा.बीते चुनाव के मुकाबले एक 12 लाख रुपए अधिक खर्च करने की छूट आयोग द्वारा दी गई है.12 लाख रुपए की सीमा बढ़ाने से उम्मीदवारों और चुनाव संचालक को कार्यकर्ताओं को मैनेज करने में भी अब आसानी होगी.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया की नए संशोधन अनुसार विधानसभा चुनाव में ड्यूटी पर तैनात रहने वाले 4 लाख से ज्यादा (चुनाव कर्मियों) को उनका वोट कास्टन अब फैसिलिटेशन सेंटर पर डाकमत पत्र के जरिए करना होगा.चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं (चुनाव कर्मियों) को दी जाने वाली डाक मतपत्र (पोस्टल बैलेट) सुविधा का संभावित दुरुपयोग रोकने के लिए बडा कदम उठाया हैं.अब चुनाव में ड्यूटी करने वाले वोटर्स को अपनी ड्यूटी पर जाने से पहले तय जगहों पर वोटर फैसिलिटेशन सेंटर पर ही अपना डाक मतपत्र के जरिए वोट डालना होगा.
अब तक ऐसे मतदाता (चुनाव कर्मियों) के पास अपना मतदान करने के लिए दो ऑप्शन रहते थे.पहला ऑप्शन डाक मतपत्र डाक के माध्यम से रिटर्निंग अधिकारी को भेजने का भी विकल्प होता था ताकि वे मतगणना शुरू होने के निर्धारित समय से पहले मतगणना के दिन सुबह 8 बजे पहुंच सकें.दूसरा ऑप्शन चुनाव ड्यूटी पर जाने से पहले फैसिलिटेशन सेंटर पर अपना डाकमत्र के जरिए अपना वोट कास्ट करने का.लेकिन अब पहला ऑप्शन यानि की वोट डाक के माध्यम से डाक मतपत्र रिटर्निंग अधिकारी को भेजने के विकल्प को बंद कर दिया हैं.सिर्फ अब केवल तय जगहों पर स्थापित फैसिलिटेशन सेंटर पर ही चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाताओं (चुनावकर्मी) अपना वोट कास्क कर सकेंगे.
गुप्ता ने बताया की चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता जिन्हें पोस्टल बैलेट प्रदान किया जाता है.वे मतदाता फैसिलिटेशन सेंटर में अपना वोट नहीं डालते हैं.बल्कि अपना पोस्टल बैलेट अपने साथ ले जाते हैं, क्योंकि उनके पास चुनाव कानून और नियमों के अनुसार मतगणना के दिन सुबह 8 बजे तक पोस्टल बैलेट डालने का समय होता है.आयोग की मानक नीति में प्रावधान है कि चुनाव ड्यूटी पर लगे मतदाताओं को आवंटित मतदान केंद्रों पर मतदान के प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र के अलावा किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में तैनात किया जाता है.इस व्यवस्था के कारण वे अपने गृह मतदान केंद्र पर व्यक्तिगत रूप से वोट नहीं डाल पाते हैं.
अब जो बदलाव किया गया हैं उसमें चुनाव ड्यूटी पर मौजूद मतदाता अपने प्रशिक्षण के समय संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को डाक मतपत्र के लिए आवेदन करते हैं.जो प्रशिक्षण के बाद के दौर में प्रशिक्षण केंद्र पर डाक मतपत्र जारी करते हैं.चुनाव ड्यूटी पर ऐसे मतदाताओं को चुनाव ड्यूटी के लिए आवंटित मतदान केंद्रों के लिए भेजे जाने से पहले अपना वोट डालने की फैसिलिटेशन सेंटर के लिए एक केंद्र भी स्थापित किया जाएगा.फैसिलिटेशन सेंटर में उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में गुप्त और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं होंगी.
बहरहाल, इस बार के चुनाव में चूरू मॉडल को फॉलो करते हुए दो दिन की बजाय मतदान से एक दिन पहले ही पोलिंग पार्टियां अपने अपने मतदान केंद्रों पर मोर्चा संभाले हुए नजर आएंगी.यानी की इस बार पूरे राज्य में पी-2 नहीं पी-1 मॉडल लागू होगा.2018 के चुनाव में 23 विधानसभा क्षेत्रों के लिए पोलिंग पार्टियों को दो दिन पहले रवाना किया गया था लेकिन इस बार इस व्यवस्था को बदल दिया हैं.
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