राजस्थान का ऊर्जा महकमा बिजली संकट का स्थायी समाधान नहीं निकाल पा रहा है. मानसून के दरवाजे पर आने के बावजूद बिजली की मांग पीक पर है, जबकि उत्पादन सीमित है.
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Jaipur: राजस्थान का ऊर्जा महकमा बिजली संकट का स्थायी समाधान नहीं निकाल पा रहा है. मानसून के दरवाजे पर आने के बावजूद बिजली की मांग पीक पर है, जबकि उत्पादन सीमित है. प्रदेश की राजस्थान जयपुर की ही बात करें तो औसत मांग 650 मेगावाट के मुकाबले इन दिनों 1050 मेगावाट बिजली की डिमांड है. गांवो में परसे अंधरे ने लोगों का आक्रोश और सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है.
ब्लैक आउट के खतरे का अलर्ट
राजस्थान के थर्मल पॉवर प्लांट्स में मानसून में छत्तीसगढ़ की कोयला माइंस और कोल इंडिया से कोयला सप्लाई में कमी की आशंका ब्लैक आउट के खतरे का अलर्ट दे रही है. प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट्स को 70 फीसदी कोयले की सप्लाइ्र छत्तीसगढ़ से होती
है, ऐसे में ऊर्जा महकमें में बिजली प्रबंधन से जुड़े शीर्ष अधिकारी प्रमुख सचिव ऊर्जा भास्कर ए सावंत और सीएमडी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड आर के शर्मा छत्तीसगढ़ में डेरा डाले हुए हैं.
राजस्थान में 4340 मेगावाट के बिजली प्लांट्स मॉनसून पीरियड में ठप हो सकते
प्रदेश में बिजली उत्पादन से जुड़ी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को अंदेशा है कि राजस्थान में 4340 मेगावाट के बिजली प्लांट्स मॉनसून पीरियड में ठप हो सकते हैं. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि राजस्थान में कोयला
संकट की स्थिति ऊर्जा उपलब्धता पर असर डाल रही है. भारत सरकार से विदेश से कोयला खरीदने का ऑर्डर भी आर्थिक भार डाल रहा है. भारत सरकार से आवंटित छत्तीसगढ़ की खदानों से खनन प्रक्रिया एक बार फिर से रुकी है. ऐसे में मुश्किलें बढ़ रही है.
एनजीओ और स्थानीय जनप्रतिनिधयों का विरोध जारी
राजस्थान में थर्मल पावर प्लांट्स यूनिट्स की 23 इकाइयों की कुल कैपेसिटी 7580 मेगावाट है. इनमें से 3240 मेगावाट कैपेसिटी के प्लांट कोल इंडिया की एसईसीएल और एनसीएल से कोयला सप्लाई लेते हैं. जबकि 4340 मेगावाट प्लांट राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की छत्तीसगढ़ में खुद की कैप्टिव कोल माइंस से लिंक्ड हैं परसा ईस्ट कैंटे बेसिन एक्सटेंशन और पारसा कोल ब्लॉक के नए ब्लॉक में राजस्थान को केन्द्र से मंजूरी के बाद माइंस नहीं करने दी जा रही, क्योंकि वहां हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ काटने की परमिशन नहीं मिल रही है. आदिवासी, एनजीओ और स्थानीय जनप्रतिनिधयों का विरोध जारी है. ऊर्जा विभाग के बड़े अधिकारियों के दौरे पर परिणाम अगर नहीं निकले तो मुश्किलें बढ़नी तय है. राजस्थान के बिजली घरों में अभी औसत 8 से 10 दिन का कोयला है. प्रतिदिन 20 कोयला रैक आ रही है, लेकिन मानसून में इसकी रफ्तार कम हाने की पूरी आशंका है.
कोयला खनन जल्द शुरु करना बेहद जरूरी- ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी
ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि पारसा ईस्ट कैंटे बेसिन कोल ब्लॉक से पहले फेज में माइनिंग वर्क 2013 में शुरु हुआ और माइनिंग के बाद समतल की गई लैंड पर 8 लाख पेड़ लगाए गए हैं. राजस्थान की 4340 मेगावाट कैपेसिटी की थर्मल पावर यूनिट्स से बिजली की रेग्युलर सप्लाई के लिए छत्तीसगढ़ के हसदेव-अरण्य वन क्षेत्र में जारी आंदोलन को रोककर पारसा ईस्ट कैंटे बेसिन और परसा कोयला खदानों से कोयला खनन जल्द शुरु करना बेहद जरूरी है. ऊर्जा मंत्री ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र की जनता और छत्तीसगढ़ प्रशासन से राजस्थान को अंधकार से बचाने के लिए आंदोलन और विरोध को खत्म कर जल्द माइनिंग वर्क शुरु करने में मदद की अपील भी की.
बिजली संकट से निपटने के लिए ऊर्जा विकास निगम ने टेंडर निकाले
बिजली संकट से निपटने के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने अगले तीन महीनों- जुलाई, अगस्त, सितम्बर के लिए 500-500 मेगावट के शॉर्ट टर्म बिजली खरीद के टेंडर निकाले हैं। प्रदेश में 5 थर्मल पावर प्लांट की यूनिट फिलहाल ठप हैं. इनमें सूरतगढ़ प्लांट की 250-250 मेगावाट की दो यूनिट और सूरतगढ़ की सुपर क्रिटिकल 660 मेगावट की यूनिट, छबड़ा की 250 मेगावाट यूनिट और कोटा थर्मल की 210 मेगावट की एक यूनिट बंद हैं.
इन यूनिट्स के ठप होने से 1620 मेगावाट प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 14800 मेगावाट है और इस डिमांड को पूरी करने के लिए भी बाजार से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है. भीषण उमस और गर्मी से घरेलू मांग और रबी का सीजन शुरू होने से कृषि में बिजली की डिमांड पिछले सप्ताह के मुकाबले दोगुनी बढ़ी है. वहीं विंड से उत्पादन पिछले चार दिन प्रभावित हुआ है, ऐसे में घर में करंट पहुंचाना ऊर्जा महकमे के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.