Rajasthan- उत्तर पश्चिम रेलवे दो सालों में करेगा 'कवच' तैनात, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर की ट्रेनों को मिलेगी सुरक्षा की शील्ड
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Rajasthan- उत्तर पश्चिम रेलवे दो सालों में करेगा 'कवच' तैनात, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर की ट्रेनों को मिलेगी सुरक्षा की शील्ड

Rajasthan News: उत्तर पश्चिम रेलवे का अगले दो वर्षों में  सभी रेलगाड़ियों में 'कवच' तैनात करने का लक्ष्य बनाया है.इस कवच के प्रयोग से ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर एक्सीडेट होने की दुर्घटनाएं कम होने लगेगी.

northern railway

 

Rajasthan News: उत्तर पश्चिम रेलवे का अगले दो वर्षों में  सभी रेलगाड़ियों में 'कवच' तैनात करने का लक्ष्य बनाया है. जिससे की  ट्रेनों में टकराव होने की स्थिति से बचा जा सके.  इस बारे में रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को  बताया कि  भारतीय रेलवे का उत्‍तर पश्चिम जोन राजस्थान और हरियाणा में  काफी फैला  हुआ है. 

 गौरतलब है कि उत्तर पश्चिम रेलवे तीन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन करता है, जो स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच से लैस हैं. हालांकि,इस टक्कर-रोधी उपकरण का इस्तेमाल इस रेलवे जोन में नहीं  हो पाया है क्योंकि यह प्रणाली अभी  रेलेवे के  इस हिस्से में लागू नहीं है। वंदे भारत एक्सप्रेस स्वदेशी रूप से विकसित सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें हैं, जो अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं.

आगे अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने पूरे क्षेत्र में 1,600 किलोमीटर में 'कवच' प्रणाली को तैनात करने के लिए 426 करोड़ रुपये के टेंडर दिए हैं।' उन्होंने बताया कि इस रास्ते पर 4G और 5G नेटवर्क की उपलब्धता का पता लगाने के लिए एलटीई सर्वेक्षण चलया जा रहा है. पिछले महीने, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया था कि दक्षिण मध्य रेलवे के 1,465 किलोमीटर रूट पर 'कवच' प्रणाली तैनात किया गया है. 

उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के लिए कवच टेंडर दिए गए हैं. जिसका काम जारी है। भारतीय रेलवे 6,000 किलोमीटर लंबे दूसरे रूट के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और विस्तृत अनुमान तैयार कर रहा है. अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित 121 लोकोमोटिव को 'कवच' प्रणाली से लैस किया गया है.

उल्लेखनीय है कि ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटना ने रेलवे की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली "कवच" की ओर लोगों का ध्यान खींचा था। इस हादसे में 290 से अधिक लोग मारे गए और कम से कम 1,000 घायल हुए थे। रेलवे का कहना था कि 2 जून को जिस रेलमार्ग पर यह हादसा हुआ, उस पर 'कवच' प्रणाली लागू नहीं थी.

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