6 जिलों में हो रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में विधायकों के बेटे-बेटी और बहू को टिकट देने का फॉर्मूला चल निकला है. विधायकों की सिफारिश पर टिकट तय हुए. 6 जिलों में 7 विधायकों के परिवार वालों को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारा गया है.
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Jaipur: जयपुर सहित प्रदेश के 6 जिलों में पंचायत चुनाव (Panchayat Election) में वंशवाद की 'बेल' को बढ़ाने के लिए विधायकों ने अपने परिवार के सदस्यों में से किसी ना किसी को चुनावी मैदान में उतार दिया है.
कई दिग्गज नेता के उत्तराधिकारी पिता की बनाई सियासी पिच पर बैटिंग करने निकले हैं. इनमें से कुछ हैं, जो पूर्व में ही राजनीति में सक्रिय थे. वहीं इनमें से तो कई युवा नेता हैं, जो अपने राजनीतिक करियर का शुभारंभ ही इस चुनाव से करने जा रहे हैं.
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राजनीति से वंशवाद का अंत होता नहीं दिख रहा है. वंशवाद जारी है और इसके अभी खत्म होने की संभावना भी नहीं दिख रही है. ये देखने में आया है कि जिस परिवार से कोई एक बड़ा नेता हो गया है, वो अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसी में खींच लेता है, जिसके कारण राजनीति को वंशवाद और परिवारवाद से निजात नहीं मिल पा रही है. हर राज्य में जिस परिवार का कोई बड़ा नेता है वहां उस परिवार के बाकी सदस्यों को विरासत में राजनीति मिल जाती है.
चल रहा बेटे-बेटी और बहू को टिकट देने का फॉर्मूला
6 जिलों में हो रहे जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में विधायकों के बेटे-बेटी और बहू को टिकट देने का फॉर्मूला चल निकला है. विधायकों की सिफारिश पर टिकट तय हुए. 6 जिलों में 7 विधायकों के परिवार वालों को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारा गया है. 5 कांग्रेस विधायकों के अलावा सरकार समर्थक दो निर्दलीय विधायक के परिजन भी पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं. कामां विधायक के परिवार से 3 लोग चुनाव लड़ रहे हैं. 2 विधायकों के परिवार के दो-दो सदस्यों को भी टिकट दिया गया है. नेताओं के परिजनों को टिकट देने पर विवाद भी होते रहे हैं. पंचायत चुनाव में कांग्रेस ने स्थानीय विधायक की सिफारिश पर ही टिकट बांटें हैं. 7 विधायकों ने अपने बेटे-बेटियों और बहूओं को भी टिकट दिलवाए हैं. इस साल जनवरी में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में भी विधायकों और नेताओं के परिजनों को टिकट मिले थे. इस बार भी वही हाल है.
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बताते हैं किस-किस को टिकट मिला
1- दूदू से गहलोत समर्थक निर्दलीय विधायक बाबूलाल नागर (Babulal Nagar) के बेटे और पुत्रवधू को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. बाबूलाल नागर के बेटे विकास नागर जयपुर जिला परिषद के वार्ड 12 से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि जयपुर जिला प्रमुख की सीट सामान्य महिला की है. इसलिए विकास नागर जिला प्रमुख की दौड़ से बाहर है. वही विकास नागर की पत्नी और बाबूलाल नागर की पुत्रवधू रूपाली नागर मोजमाबाद पंचायत समिति के वार्ड 13 से उम्मीदवार है. नागर की पुत्रवधू को मौजमाबाद पंचायत समिति प्रधान का दावेदार माना जा रहा है. क्योकि ये सीट SC महिला के लिए रिजर्व है. इससे पहले भी बाबूलाल नागर के भाई हजारीलाल नागर जयपुर जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतकर जिला प्रमुख रह चुके हैं.
2- गृह रक्षा राज्य मंत्री और वैर से विधायक भजनलाल जाटव (Bhajanlal Jatav) की बेटी सुमन और बहू साक्षी कांग्रेस टिकट पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. जाटव की बेटी सुमन वैर पंचायत समित के वार्ड 12 से और बहू साक्षी वार्ड 5 से चुनाव लड़ रही हैं. जाटव की बेटी और बहू में से किसी एक को वैर पंचायत समिति प्रधान का उम्मीदवार बनाया जा सकता है. प्रधान की सीट SC के लिए रिजर्व है.
3- कामां से कांग्रेस विधायक जाहिदा के परिवार से कांग्रेस ने 3 टिकट दिए हैं. जाहिदा की बेटी डॉ. शहनाज, बेटा साजिद खान और देवरानी साहिरा पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. जाहिदा के पति जलीस खान पहले पहाड़ी पंचायत समिति से प्रधान रह चुके हैं. इस बार भी प्रधान पद पर विधायक जाहिदा के परिवार से ही दावेदारी है.
4- नदबई विधायक जोगिन्द्र सिंह अवाना (Joginder Singh Awana) के बेटे हिमांशु उच्चैन पंचायत समिति के वार्ड 13 से कांग्रेस टिकट पर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. हिमांशु को प्रधान का दावेदार बताया जा रहा है.
5- पूर्व सांसद बद्री जाखड़ की बेटी और पोती को टिकट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नजदीकी पूर्व सांसद बद्री जाखड़ की बेटी और पाली से सांसद उम्मीदवार रही मुन्नी देवी जाखड़ कांग्रेस टिकट पर वार्ड 18 से जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं. बद्री जाखड़ की पोती सोनिया जाखड़ पीपाड़सिटी के वार्ड 16 से पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रही हैं.
6- जिला प्रमुख को लेकर कांग्रेस में लीला मदेरणा और मुन्नी देवी की दावेदारी कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा की मां और दिग्ग्ज कांग्रेस नेता रहे परसराम मदेरणा की पुत्रवधू लीला मदेरणा जिला प्रमुख चुनाव में दावेदार हैं. उधर, पूर्व सांसद बद्री जाखड़ की बेटी मुन्नी देवी जाखड़ भी जिला प्रमुख चुनाव के टिकट की दावेदार हैं. जिला प्रमुख चुनाव में बद्री जाखड़ और मदेरणा परिवार के बीच खींचतान तय मानी जा रही है.
7- खंडार विधायक अशोक बैरवा के बेटे कांग्रेस से तो भाई की पत्नी बागी होकर चुनाव मैदान में खंडार से कांग्रेस विधायक अशोक बैरवा के बेटे संजय बैरवा खंडार पंचायत समिति के वार्ड 3 से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बैरवा के भाई की पत्नी भोमेश को कांग्रेस का टिकट नहीं मिला तो चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति के वार्ड से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.
8- गंगापुर सिटी से विधायक रामकेश मीणा की पुत्रवधू वजीरपुर पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ रही है. बहू पहले भी प्रधान रह चुकी है.
जिला प्रमुख चुनावों में बढ़ी थी रिश्तेदारी
दिसंबर-जनवरी में हुए जिला प्रमुख चुनावों में 10 प्रधान और 6 जिला प्रमुख नेताओं के रिश्तेदार बने थे. कांग्रेस विधायक महेंद्र जीत मालवीय की पत्नी रेशम मालवीय बांसवाड़ा से जिला प्रमुख हैं, जबकि प्रतापगढ़ से कांग्रेस विधायक रामलाल मीणा की पत्नी इंदिरा मीण प्रतापगढ़ जिला प्रमुख हैं. कांग्रेस नेता रघुवीर मीणा की पत्नी बसंती देवी सराड़ा से प्रधान हैं. बीकानेर के पूगल पंचायत समिति प्रधान गौरव मेघवाल विधायक गोविंद मेघवाल के बेटे हैं.
इसी तरह निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला (Mahadeo Singh Khandela) के बेटे गिर्राज खंडेला खंडेला पंचायत समिति से प्रधान हैं. कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर की मां सीता देवी गुर्जर भीलवाड़ा के जहाजपुर से प्रधान हैं. विधायक अमीन खान के बेटे सलमान खान गडरारोड़ से तो पूर्व विधायक अब्दुल हादी की बहू समा बानो धनाउ से प्रधान हैं. बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल की पत्नी मनभरी मेघवाल सुजानगढ़ से प्रधान हैं.
बहरहाल, राजनीति में वंशवाद का मुद्दा हर चुनाव में छाया रहा है. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर वंशवाद के आरोप लगाती हैं, लेकिन खुद को भी वंशवाद से दूर नहीं रख पाती. पंचायत चुनाव में भी वंशवाद का मुद्दा सिर उठा रहा है.