एक मॉडल मेनका से ऐसे हुई संजय गांधी की दोस्ती, जानिए उनकी जिंदगी के अनसुने राज
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1076797

एक मॉडल मेनका से ऐसे हुई संजय गांधी की दोस्ती, जानिए उनकी जिंदगी के अनसुने राज

Sanjay Gandhi and Maneka Gandhi love story: सैबीन ने बताया कि जब उसका विमान तेहरान पहुंचा तब संजय ने पायलट से रेडियो पर बात की और सैबीन से वापिस आने का निवेदन किया. ऐसे वक्त में सैबीन संजय को मना नहीं कर पाई. अब सोनिया को एक बार फिर लगने लगा था कि उसकी सहेली जल्द ही उसकी देवरानी बनकर घर में आने वाली है

संजय गांधी और मेनका गांधी

Jaipur: आज बात संजय गांधी और मेनका गांधी की दोस्ती, प्रेम, शादी और पारिवारिक रंजिश की करेंगे. संजय गांधी (Sanjay Gandhi) लंदन से पढ़ाई कर जब भारत लौटे. तो सस्ती कार बनाकर भारत की सड़कों पर दौड़ाने का सपना, जिसका नाम रखा मारूती, जिसे साकार करने के लिए मां ने अपनी सत्ता की ताकत का भरपूर उपयोग किया. ये बात उस दौर की है जब किसी भी तरह के उत्पादन के लिए सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता था. 

प्रोजेक्ट सफल होता तो देश को फायदा होता. नहीं होता तो देश को घाटा होता लेकिन संजय को कौन मना कर सकता था. बहरहाल संजय की तमाम कोशिशों के बावजूद उनका मारूती प्रोजेक्ट सक्सेज होता नजर नहीं आ रहा था. 1973 का वक्त. तब संजय गांधी 27 साल के हो चुके थे. शादी की उम्र हो चुकी थी, लेकिन संजय अब अपनी उस छवी से बाहर आ चुके थे जो लंदन में पढ़ाई के वक्त बनी थी. लंदन से लौटने तक संजय गांधी के दो प्रेम प्रसंग हो चुके थे. एक तो मुस्लिम लड़की के साथ जो ज्यादा वक्त तक नहीं चला था.

और दूसरा एक जर्मन लड़की सैबीन वॉन स्टीग्लिट्ज के साथ, ये लड़की क्रिस्टीन की बहन थी. वहीं क्रिस्टीन जिसने पहली बार राजीव और सोनिया की मुलाकात करवाई थी. सैबीन दिल्ली में ही एक अध्यापक के रूप में काम करती थी. वह दोपहर का वक्त अक्सर सोनिया के घर मिलकर बातें करने और गप्पें लड़ाने में बिताती थी. सोनिया भी समझ रही थी कि सैबिन और संजय के संबंध उन्हैं एक दिन विवाह के बंधन में बांधेंगे लेकिन सैबिन इंतजार से थक चुकी थी. क्योंकि संजय अपने मारूती प्रोजेक्ट में कुछ ज्यादा ही व्यस्त थे. थक हारकर सैबीन वापिस यूरोप रवाना हो गई. सोनिया (Sonia Gandhi) उन्हे छोड़ने एयरपोर्ट तक गई लेकिन दो दिन बाद ही सैबीन वापिस लौट आई. 

यह भी पढ़ें- REET 2021 का पेपर आउट करने वाले मास्टरमाइंड के बाद पुलिस ने 2 और को पकड़ा, अब तक 33 गिरफ्तार

सैबीन ने बताया कि जब उसका विमान तेहरान पहुंचा तब संजय ने पायलट से रेडियो पर बात की और सैबीन से वापिस आने का निवेदन किया. ऐसे वक्त में सैबीन संजय को मना नहीं कर पाई. अब सोनिया को एक बार फिर लगने लगा था कि उसकी सहेली जल्द ही उसकी देवरानी बनकर घर में आने वाली है लेकिन जल्द ही संजय और सैबीन के बीच फिर से अनबन हो गई.

इस बार सैबीन वापिस यूरोप नहीं गई. वो दिल्ली में ही रही और एक अध्यापक के साथ शादी कर ली. इंदिरा (Indira Gandhi) के लिए भी ये अच्छा ही हुआ क्योंकि वो भी नहीं चाहती थी कि उसके दोनों बेटे विदेशी बहुएं लेकर आए. 

खैर 14 सितंबर 1973 को संजय अपने एक दोस्त की शादी की पार्टी में गए थे. इस दिन संजय का जन्म दिन भी था, जिस दोस्त की शादी थी. उसी ने संजय की मुलाकात  मेनका आनंद नाम की लड़की से करवाई, जो बेहद खूबसूरत थी. एक रिटायर सिख्ख कर्नल की बेटी जो मॉडलिंग का काम करती थी और उसके दम पर उसने कई अवार्ड भी जीते थे लेकिन जिसका सपना था एक पत्रकार बनना, फिर संजय अपना ज्यादातर समय अपने से दस साल छोटी मेनका के साथ ही बिताने लगे लेकिन संजय गांधी के बड़े भाई राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की पत्नी सोनिया को संजय की ये नई दोस्त खास पसंद नहीं थी. मेनका का व्यवहार इतना परिपक्व नहीं था. एक महीने बाद ही संजय ने मेनका की मुलाकात अपनी मां इंदिरा से कराई. मेनका ने जब इंदिरा गांधी से मुलाकात की तो वो काफी डरी हुई थी. हालांकी पहली मुलाकात में मेनका ने अपनी मॉडलिंग के बारे में इंदिरा को नहीं बताया.

इंदिरा भी मेनका की बात से कोई खास प्रभावित नहीं हुई. इससे पहले भी संजय कई लड़कियों को इंदिरा से मिला चुके थे तो इंदिरा गांधी ने भी इसे हल्के में लिया. इंदिरा इस बात से आश्वस्त नहीं थी कि इन दोनों में प्रेम लंबा चलेगा लेकिन संजय और मेनका का प्रेम परवान चढ़ता गया. आखिर 29 जुलाई 1974 को दोनों की सगाई तय की गई लेकिन इस बीच मेनका के परिवार के बारे में ज्यादा जानने का मौका इंदिरा गांधी को नहीं मिला. सगाई की रस्म पूरी की गई और उस दोपहर दोनों परिवारों ने इंदिरा के घर भोजन किया और इसी दौरान इंदिरा गांधी ने इस बात को भांप लिया कि वो कुछ अलग तरह के लोग है.

यह भी पढ़ें- Weather alert: राजस्थान में तेज बारिश और गरज-चमक के साथ गिर सकते हैं ओले

उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी. लिहाजा इस परिवार की पूरी कुंडली निकलवाई गई. आखिर इंदिरा की आशंका सही निकली. मेनका की मां पिछले 10 साल से पिता की संपत्ति पर अपने भाई से केस लड़ रही थी. धीरे-धीरे उनके परिवार की बाकी बातें भी इंदिरा तक आने लगी. चूंकी सगाई हो चुकी थी तो इंदिरा के लिए अब शादी को टालना बेहद मुश्किल था. थक हारकर इंदिरा ने संजय से साफ कह दिया कि मेनका जब तक 18 साल की न हो जाती वो शादी के लिए तैयार नहीं है लेकिन आखिर में इंदिरा को झुकना पड़ा, क्योंकि बेटे संजय पर इंदिरा की किसी बात का कोई असर नहीं होता था और पहली मुलाकात के ठीक एक साल बाद 23 सितंबर 1974 को संजय गांधी और मेनका की शादी हो गई, लेकिन मेनका का व्यवहार सोनिया से काफी अलग था. 

वो बेहद ही महत्वकांक्षी थी. कभी-कभी तो वो ये भी कह देती थी कि एक दिन संजय प्रधानमंत्री बनेगें और बड़े-बड़े लोग उसके आगे पीछे घूमा करेंगे. मेनका के रिश्ते सोनिया और इंदिरा दोनों के साथ तनावपूर्ण रहते थे. खैर मार्च 1980 में बेटे वरूण गांधी (Varun Gandhi) का जन्म हुआ. इसके ठीक तीन महीने बाद जून 1980 में विमान क्रैश में संजय गांधी का निधन हो गया, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मेनका ने इंदिरा और सोनिया से रिश्ते हमेशा के लिए खत्म कर दिए. अपने दो साल के बच्चे के साथ रात के अंधेरे में इंदिरा के घर को हमेशा के लिए छोड़कर निकल गई. बेबस इंदिरा अपने पौते के बिछड़ने के दुख से रोती रही .

Trending news