Sardarshahar by-election : सरदारशहर उपचुनाव को लेकर सियासत तेज होती जा रही है. इसी बीच चार बार चुनाव हार चुके पूर्व विधायक अशोक पिंचा पर भाजपा ने दांव खेला है.
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Sardarshahar by-election : 5 दिसंबर को सरदारशहर विधानसभा के लिए होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा की ओर से टिकट के लिए चल रही गहमागहमी आखिरकार मंगलवार को समाप्त हो गई. भाजपा की ओर से पूर्व विधायक अशोक पिंचा को अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि आपको बता दें कि अशोक पिंचा पिछले 2 दिन से अपनी टिकट को लेकर आस्वस्थ थे और लगातार भाजपा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर 16 नवंबर यानी बुधवार को नामांकन दाखिल करने के लिए निमंत्रण दे रहे थे. अब ऐसा माना जा सकता है कि 2 दिन पूर्व ही आलाकमान की ओर से अशोक पिंचा को हरी झंडी मिल गई थी लेकिन भाजपा की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई थी, जिसको लेकर कयास यह भी लगाए जा रहे थे कि भाजपा की ओर से अंत समय में बदलाव देखा जा सकता है, लेकिन अब यह तस्वीर साफ हो गई है और भाजपा की ओर से अशोक पिंचा बुधवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे और उनका मुकाबला कांग्रेस के अनिल शर्मा से होगा.
अशोक पिंचा सन 1998 से चुनाव लड़ते आ रहे हैं और उन्होंने अब तक मात्र एक बार जीत हासिल की है. सन 2008 में उन्होंने विधायक भंवरलाल शर्मा को हराया था. उन्होंने सन 1996, 2003, 2008, 2013, 2018 में चुनाव लड़ा था लेकिन सिर्फ 2008 में उनक जीत हासिल हुई. इसके अलावा हर बार उनको हार झेलनी पड़ी थी. वहीं टिकट मिलने के बाद मंगलवार 12 बजे से ही शहर के ओसवाल बड़ा पंचायती भवन में भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने शुरू हो गई है और अशोक पिंचा को प्रत्याशी बनाए जाने पर उनको कार्यकर्ताओं द्वारा बधाई दी जा रही है. अशोक पिंचा को 5 बार हार का सामना करने के बाद भी भाजपा ने एक बार फिर उनको सरदारशहर विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है, जिसका मुख्य कारण यह है कि अनिल शर्मा को एकमात्र अशोक पिंचा ऐसे चेहरे हैं जो टक्कर दे सकते हैं, इसके अलावा सरदारशहर में ऐसा कोई चेहरा सामने नजर नहीं आ रहा है जो दिवंगत विधायक पंडित भंवर लाल शर्मा के पुत्र और वर्तमान में राज्य मंत्री अनिल शर्मा का मुकाबला कर सके. पार्टी के बड़े नेताओं ने लगातार यहां पर रहकर कार्यकर्ताओं का मन टटोला और स्थानीय जनता से भी उनकी राय जानी, जिसके बाद पार्टी नेताओं को एक बार फिर अशोक पिंचा पर अपना भरोसा जताना पड़ा है.
आपको बता दें कि भाजपा से टिकट के लिए 1 दर्जन से ज्यादा भाजपा नेता दौड़ में थे. जिनमें से मुख्यतः उद्योगपति प्रह्लाद सर्राफ, शिवचंद सहू, सत्यनारायण झाझरिया, सुशीला सारण, विधायक भंवरलाल शर्मा के भाई श्यामलाल शर्मा, पूर्व पालिका उपाध्यक्ष मुरलीधर सैनी सहित कई भाजपा नेता भाजपा से टिकट की मांग कर रहे थे वही 2 दिन पूर्व है एक बार शहर के उद्योगपति प्रह्लाद सर्राफ का नाम भाजपा से तय माना जा रहा था. लेकिन रविवार को भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक में प्रह्लाद सर्राफ को भारी विरोध का सामना करना पड़ा जिसके बाद पार्टी के सामने अशोक पिंचा ही एकमात्र प्रत्याशी के रूप में चेहरा दिखाई देने लगे थे.
वही जब अशोक पिंचा से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद हमने बात की तो उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की राय को देखते हुए एक बार फिर मुझे प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस की सरकार बनी थी तो उनमें नेतृत्व करने वाले लोगों के बीच लड़ाई चलती आई है और उसी को बचाने में उन्होंने अपना समय व्यतीत किया है. सरकार ने हर विधायक को खुली लूट करने की छूट दे दी, उनके विधायक विकास का काम न करके अपने व्यक्तिगत काम कर रहे हैं.
रिपोर्ट- मनोज कुमार प्रजापत
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