सिलोकोसिस श्रमिकों को नहीं झेलना होगा दर्द, सहायता के लिए कलेक्टर ने उठाया खास कदम
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सिलोकोसिस श्रमिकों को नहीं झेलना होगा दर्द, सहायता के लिए कलेक्टर ने उठाया खास कदम

जयपुर जिले में करीब 334 सिलोकोसिस पीड़ित और उनके परिजनों को प्रमाण पत्र के अभाव सहायता नहीं मिल पा रही हैं. जिला कलेक्टर राजन विशाल के सामने जब से आंकड़ें सामने आए तो उन्होंने तुरंत डॉक्टरों को कहा कि अभियान चलाकर इन पीड़ितों को प्रमाण पत्र बनाओ ताकि राज्य सरकार की सुविधाओं का लाभ दिया जाएगा.

सिलोकोसिस श्रमिकों को नहीं झेलना होगा दर्द

Jaipur: पहाड़ों की चट्टानों को तोड़कर दो वक्त की रोटी की जुगत में सिलिकोसिस (silicosis disease) से ग्रसित श्रमिकों को अब सहायता की दरकार है. इनके पास और कोई ना रोजगार है और ना जरिया.

जयपुर जिले में करीब 334 सिलोकोसिस पीड़ित और उनके परिजनों को प्रमाण पत्र के अभाव सहायता नहीं मिल पा रही हैं. जिला कलेक्टर राजन विशाल के सामने जब से आंकड़ें सामने आए तो उन्होंने तुरंत डॉक्टरों को कहा कि अभियान चलाकर इन पीड़ितों को प्रमाण पत्र बनाओ ताकि राज्य सरकार की सुविधाओं का लाभ दिया जाएगा.

साथ में जयपुर के अलावा कोटपूतली में भी सिलिकोसिस बोर्ड गठित कर तीन चिकित्सकों को मनोनीत कर दिया है, जिससे आवेदनकर्ताओं को जल्द से जल्द प्रमाण पत्र मिल जाए और वो सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकें. सिलिकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आए सैकड़ों लोगों को सरकारी सहायता के लिए जारी होने वाले चिकित्सक प्रमाण पत्र के लिए फूलती सांसों से सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर जयपुर आने का दर्द नहीं झेलना पड़ेगा.

सिलिकोसिस के लक्षण
जिले कोटपूतली में सिलिकोसिस (silicosis disease side effects) पीड़ितों की संख्या ज्यादा है क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकतर लोगा खदानों, पत्थर तरासने, तोड़ने, क्रेसर, ईट भट्टों पर काम करते है. सांस के साथ उनके फेफड़ों में सिलिकोसिस के कण चले जाते हैं और वे इस जानलेवा बीमार की चपेट में आ जाते हैं. उन्हें सांस लेने में कठिनाई, खांसी आना, बुखार, भूख में कमी, सीने में दर्द, थकान आदि का शिकार हो जाते हैं.

इनके दर्द को जब जयपुर कलेक्टर ने समझा तो तुरंत अफसरों को ताकित कर दिया. कलेक्टर राजन विशाल ने आंकडों को टटोला तो सामने आया कि करीब जयपुर जिले में 300 से ज्यादा पीड़ित और उनके परिजन प्रमाण पत्र नहीं बनने से योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने तत्काल अफसरों को अभियान चलाकर प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए.

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इतना ही नहीं कोटपूतली में सिलिकोसिस पीड़ितों को तत्काल राहत देने के लिए राजकीय बी.डी.एम जिला चिकित्सालय, कोटपूतली में सिलिकोसिस बोर्ड गठित कर तीन चिकित्सकों को मनोनीत कर दिया. जिसके तहत डॉ. देवेन्द्र शर्मा (मेडिसिन), डॉ. घनश्याम गहलोत (रेडियोलॉजी), डॉ. जितेन्द्र शर्मा (दमा एवं श्वास) उप जिला चिकित्सालय, शाहपुरा को मनोनीत किया गया है.

जिला कलेक्टर राजन विशाल ने बताया कि सिलिकोसिस पीड़ितों को परेशानी ना हो इसके लिए आवश्यक है की उन्हें तत्काल जांच आदि की सुविधा मुहैया कराई जा सकें, जिससे वे राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नियत समय पर ले सकें. कोटपूतली में अनेक उद्योग संचालित है, जिनमें बड़ी संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं. सिलिकोसिस से पीडित होने के बाद कोटपूतली से श्रमिकों को जयपुर आना होता था. अब श्रमिकों को कोटपूतली में ही चिकित्सा सुविधा व सिलिकोसिस से संबंधित योजनाओं को लाभ मिल सकेगा.

राज सिलिकोसिस पोर्टल
जयपुर जिले में सिलिकोसिस पीडि़त व्यक्तियों से संबंधित समस्त डाटा ऑनलाइन किया जा रहा है. राज सिलिकोसिस पोर्टल से पूर्व के ऑफलाइन या मैनुअल भुगतान या प्रमाणीकरण किए गए प्रकरणों को ऑनलाइन किया जा रहा है. सिलिकोसिस पीड़ितों को तीन लाख एकमुश्त व पेंशन की सुविधा मिलती हैं. प्रमाण पत्र के बाद मरीज को एक मुश्त मिलते 3 लाख मिलते हैं, वहीं प्रतिमाह 500 रुपये पेंशन मिलती हैं.

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मृत्युपरांत परिजनों को दी जाती है ये सुविधाएं
यदि किसी सिलोकोसिस मरीज की मौत हो जाती है तो मृत्युपरांत परिजनों को एक मुश्त मिलेंगे 2 लाख की सहायता दी जाती हैं. साथ में पालनहार योजना के तहत प्रति बच्चे को एक हजार की राशि, स्कूल पोशाक के लिए 2 हजार रुपये वार्षिक और पीड़ित की मृत्यु होने पर पत्नी को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है. जयपुर जिले में सीएचसी स्तर पर करीब 235 और जयपुर मेडिकल बोर्ड स्तर पर करीब 99 आवेदन लंबित चल रहे हैं.

सिलिकोसिस नीति के तहत कोई भी व्यक्ति जिसे लगता है कि उसे सिलिकोसिस या फेफड़ों से संबंधित कोई रोग है तो सबसे पहले ई.मित्र पर जाकर सिलिकोसिस ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. वहां से आवेदन सीधा ही बीसीएमएचओ के पास जाएगा. बीसीएमएचओ चेक करने के बाद मेडिकल बोर्ड द्वारा अंतिम परीक्षण किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति को सिलिकोसिस प्रमाण पत्र दिया जाता है.

बहरहाल, पत्थर की खदानों में काम करने वाले हजारों खान मजदूर जानलेवा सिलिकोसिस बीमारी का शिकार होकर दुनिया छोड़ गए, लेकिन इनकी बेवाओं और बच्चों को आज भी सरकार की नीति के तहत मिलने वाले मुआवजे और मासिक पेंशन का इन्तजार ही है....शायद जयपुर कलक्टर की पहल के बाद इनका इंतजार जल्द खत्म होगा.

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