24 साल में तीसरी बार बदलने जा रहा सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म का रंग
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24 साल में तीसरी बार बदलने जा रहा सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म का रंग

साल 2018 में प्रदेश में सत्ता बदली और उसके बाद से ही सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म का रंग बदलने की सुगबुगाहट शुरू हुई 

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: राजस्थान के सरकारी स्कूलों (Government Schools) की ड्रेस एक बार फिर से राजनीति रंग के चलते रंग बदलने जा रही है. पिछली भाजपा सरकार (BJP Government)  ने सत्र 2017-18 में सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म का रंग बदलते हुए नीली शर्ट से बदलकर गहरे भूरे रंग की पैंट और हल्के भूरे रंग की शर्ट कर दिया था, जिसके बाद भाजपा पर यूनिफॉर्म का रंग आरएसएस (RSS) की तर्ज पर करने से आरोप लगे. 

साल 2018 में प्रदेश में सत्ता बदली और उसके बाद से ही सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म (School Uniform) का रंग बदलने की सुगबुगाहट शुरू हुई और 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने एक बार फिर से सरकारी स्कूलों की यूनिफॉर्म का रंग बदलने का आदेश जारी कर दिया है. सत्र 2022-23 में सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म का रंग तो बदलेगा लेकिन इस सत्र में यूनिफॉर्म की अनिवार्य से राहत भी दी गई है लेकिन सत्र 2023-24 में यूनिफॉर्म की अनिवार्यता के आदेश भी जारी किए गए हैं. 

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सरकार ने कक्षा 1 से 8वीं के बच्चों को निशुल्क ड्रेस वितरण की योजना तैयार की है, जिसके तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 94 लाख बच्चों में से कक्षा 1 से 8वीं तक के करीब 70 लाख बच्चों को निशुल्क सिली सिलाई ड्रेस का वितरण होगा. ड्रेस की अनुमानित लागत करीब 600 रुपये प्रति छात्र यूनिफॉर्म आने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में सरकार पर निशुल्क ड्रेस का भार करीब 420 करोड़ रुपये से ज्यादा आने की संभावना है. 

साथ हीं, कक्षा 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को निशुल्क ड्रेस वितरण नहीं होने से करीब 29 लाख बच्चों पर एक बड़ा आर्थिक भार पड़ता हुआ नजर आ रहा है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों की अगर बात की जाए तो प्रदेश में कक्षा 9वीं से 12वीं तक करीब 29 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं. ऐसे में बाहर से ड्रेस सिलवाने पर प्रति छात्र करीब 800 रुपये तक का खर्चा आ सकता है. ऐसे में इन 29 लाख विद्यार्थियों पर करीब 230 करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक भार आता हुआ नजर आ रहा है. 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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