Jaipur Unique ward : जयपुर का यह पहला वार्ड है जो कचरा मुक्त हुआ है. शहर के सभी पार्षद यदि इसी तरह मुहिम चलाकर अपने वार्ड को कचरा डिपो मुक्त करने में जुट जाएं तो शहर साफ हो जाएगा.
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Jaipur Unique ward : सफाईकर्मी भर्ती में वाल्मिकी समाज को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर तीन दिन से 6 हजार शहर के सफाई कर्मी हडताल पर हैं. पूरे शहर में कचरे के ढेर लगे हैं. लोग नगर निगम और प्रशासन की ओर देख रहे हैं कि हड़ताल खत्म हो तो सफाई हो. इसी हड़ताल के बीच जी मीडिया नगर निगम ग्रेटर के वार्ड-26 में पहुंचा. जहां गंदगी का ढेर तो दूर, थोड़ा सा भी कचरा नहीं दिखा. पूरी गली दूर-दूर तक चमकती दिखी. इतना ही नहीं, ये इलाके हमेशा ही ऐसे दिखते हैं. क्योंकि वार्ड 26 पार्षद दिनेश कांवट समेत पूरी टीम-नाइन के 200 से ज्यादा मेंबर झाडू, तगारी, फावडे लेकर सफाई में जुटा रहता है. सफाई के लिए किसी का इंतजार नहीं करते. यहां आप जब भी जाएंगे, गलियां साफ-सुथरी और हरी- भरी ही मिलेंगी.
ये है नगर निगम ग्रेटर क्षेत्र का वार्ड-26 की टीम नाइन. इस टीम के 200 से ज्यादा सदस्य पिछले करीब नौ साल यानि की 3 हजार 169 दिनों से अपने वार्ड को चमकाने के लिए सुबह सुबह झाडू, तगारी, फावड़े लेकर सफाई में जुट जाते हैं. इन नौ सालों में जयपुर में भले ही सफाई कर्मचारियों की खूब हडताल हुई लेकिन इस वार्ड में टीम नाइन ने गंदगी का दाग नहीं लगने दिया. यही कारण हैं की तीन दिन से जयपुर शहर में करीब छह हजार सफाई कर्मचारी हडताल के बाद भी इस वार्ड में कचरा कही नजर नहीं आ रहा हैं. यहां क्या डॉक्टर और क्या इंजीनियर, क्या व्यापारी और क्या टीचर, क्या महिला और क्या युवा, स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ हर कोई हाथ में झाडू, तगारी, फावड़े ले सफाई में जुटता है.
अब इनकी दिनचर्या का दो घंटे श्रमदान करना हिस्सा बन गया हैं. इस वार्ड के विकास समितियो के पदाधिकारी भी टीम नाइन के काम के मुरीद हैं. उनका कहना हैं की कुछ भी समस्या होती हैं तुरंत कॉल करने पर समाधान हो जाता हैं. हमारे वार्ड में हडताल का असर नौ सालों में तो हमने देखा नहीं. दरअसल इस वार्ड में जिन लोगों के घर में नौकर काम करते हैं. उनमें से कोई हर रविवार तो कोई हर दिन 2 घंटे श्रमदान कर इलाके को चमकाने, हरा-भरा बनाने में अपना हाथ बंटाता है. संकल्प है, क्लीन और ग्रीन सिटी का. वार्ड पार्षद दिनेश कावंट बताते हैं की पूरा वार्ड ओपन कचरा डिपो मुक्त कर दिया हैं. 22 अगस्त 2014 को हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'स्वच्छ भारत अभियान' से प्रेरित होकर यह काम शुरू किया. शुरू में मैं अकेला परिवार और कुछ दोस्तों के साथ इस अभियान पर निकला. लेकिन आज इस अभियान से 200 से ज्यादा लोग जुड गए हैं.
नगर निगम ग्रेटर के वार्ड-26 के पार्षद दिनेश कावंट बताते हैं की टीम-9 के सदस्यों ने अपने पैंसों से संसाधन जुटाएं. और 3 हजार 169 दिनों से प्रतिदिन दो घंटे श्रमदान करते हैं. इस वार्ड में अब साफ-सुथरी चमचमाती सड़के और पार्क नजर आते हैं. लेकिन कुछ महीनों पहले तक नजारा बिल्कुल अलग था. जगह-जगह गन्दगी के ढेर पड़े थे. पार्कों मे कचरा फैला था सड़को पर सारे दिन धूल-मिट्टी से कचरा फैलता रहता था. पहले मेरा वार्ड-9 नंबर था तो सभी ने इस पूरी टीम का नाम टीम नाईन रखा और आज टीम -9 की जयपुर में एक अलग पहचान है. अब इस टीम के कारण ग्रेटर नगर निगम का वार्ड 26 कचरा डिपो मुक्त हो गया है.
क्षेत्रीय पार्षद ने लोगों का सहयोग लिया और एक एककर दस कचरा डिपो छह माह में खत्म करा दिए. जयपुर का यह पहला वार्ड है जो कचरा मुक्त हुआ है. शहर के सभी पार्षद यदि इसी तरह मुहिम चलाकर अपने वार्ड को कचरा डिपो मुक्त करने में जुट जाएं तो शहर साफ हो जाएगा. दरअसल, वार्ड को कचरा डिपो मुक्त कराने के लिए पार्षद दिनेश कांवट ने सुबह लोगों को जल्दी जगाया हूपर में बजने वाले गाने की आवाज तेज करवाई ताकि लोग जाग जाएं और लोगों के कहने पर गाड़ी लेकर पहुंचे और कचरा डलवाया.
पार्षद कांवट ने बताया कि वार्ड में जो कचरा डिपो बन गए थे. उनमें से ज्यादातर पार्क और मंदिर के आस-पास ही थे. ऐसे में जो लोग पार्क में घूमने और मंदिर में दर्शन करने के लिए आते थे, वे इसकी शिकायत करते थे. अग्रसेन पार्क के बाहर, एडब्ल्यूएचओ कॉलोनी के पास, सूरजमल पार्क के पास, जेपी कॉलोनी के सामने, पृथ्वी नगर तिराहा, खंडेलवाल टावर के पास, विद्यादेश्वर मंदिर के पास, नारायण पार्क के पास, डहर के बालाजी मंदिर के पास और मेजर योगेश अग्रवाल पार्क के कोने से कचरा डिपो हटाया. इसी के साथ विद्याधर नगर की ग्रीन बेल्ट कभी कचरे से अटी रहती थी. इस बेल्ट को ग्रीन बनाने का काम स्थानीय लोगों ने नौ साल पहले शुरू किया. एक एक हिस्से को पहले साफ किया और उसके बाद ग्रीन बेल्ट में अपने जेब खर्च से सैकड़ों पौधे लगाए. यही पौधे अब पेड़ बन चुके है. खास बात यह है इन आठ वर्षों में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब टीम ने काम नहीं किया हो.
बहरहाल,बकौल अफसर से लेकर नेता सफाई के लिए संसाधन और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराते हो लेकिन वार्ड-26 के लोगों की पहल देखे तो स्पष्ट है की सफाई के लिए कर्मचारी और संसाधनों से ज्यादा इरादे साफ होने चाहिए. जब पार्षद के साथ मिलकर क्षेत्र के लोग एक बडे क्षेत्र को साफ-सुथरा रख सकते हैं तो अन्य जनप्रतिनिधि क्या नहीं कर सकते हैं. जरूरत है पहल की. यदि विधायक एक वार्ड और पार्षद एक कॉलोनी को गोद लेकर शुरूआत करें तो स्वच्छ जयपुर की मंजिला दूर नहीं होगी.
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