Valentine Day Special Story: एक ही घर में आई थी डोली, एक ही घर से उठी अर्थी, दो बहनों के अनोखे प्यार का सफर
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Valentine Day Special Story: एक ही घर में आई थी डोली, एक ही घर से उठी अर्थी, दो बहनों के अनोखे प्यार का सफर

यह कहानी झुंझुनूं के केहरपुरा खुर्द गांव की है, जहां पर दो बहनों का प्यार अंतिम सांस तक रहा. दोनों इस दुनिया में चाहे तीन साल के अंतराल में आई हो, लेकिन उनके आपसी प्यार के आगे नियती भी झूक गई और दोनों को अंतिम सांस तक साथ रखा. 

दो बहनों के प्यार का सफर.

Jhunjhunu: कल वेलेंटाइन डे (Valentine day special love story) है, लेकिन आज हम आपको बताने जा रही है एक ऐसी प्यार की कहानी जो शायद नियती ने अंतिम सांस तक खुद ही लिखी हो. यह कहानी झुंझुनूं के केहरपुरा खुर्द गांव की है, जहां पर दो बहनों का प्यार अंतिम सांस तक रहा. दोनों इस दुनिया में चाहे तीन साल के अंतराल में आई हो, लेकिन उनके आपसी प्यार के आगे नियती भी झूक गई और दोनों को अंतिम सांस तक साथ रखा. इस अनूठे प्रेम के चलते केहरपुरा खुर्द गांव में ब्याही दो बहनों की अंतिम विदाई भी खूब चर्चा में है.

दरअसल चारवास की रहने वाली श्रवण, सुरजी, पंचमीदेवी और शांतिदेवी की शादी एक-आधे साल के अंतराल में केहरपुरा खुर्द के एक ही परिवार के क्रमश: बृजलाल, गाडाराम, प्रहलाद और श्रीराम के साथ हुई थी. चारों बहनों का एक ही परिवार में ब्याह होने के चलते सभी में गहरा प्यार हमेशा से ही रहा, लेकिन सुरजी देवी और पंचमी देवी का प्यार अनूठा था. वे अकसर घर में समय भी साथ ही बिताया करती थी. शनिवार को दोनों का निधन हो गया. खास बात यह है कि दोनों के निधन में महज एक रात निकली. सुरजीदेवी ने 94 साल की आयु में रात को इस दुनिया को अलविदा कहा तो सुबह सूरज निकलने के साथ ही 91 साल की पंचमीदेवी भी सुरजीदेवी के साथ विदा हो गई. परिवार ने इस प्रेम और अंतिम विदाई को भावुक पलों के साथ निभाया. दोनों बहनों की गांव में एक साथ ही अंतिम यात्रा निकाली गई. वहीं मुक्ति धाम में दोनों की पार्थिव देहों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया. 

डीजे बजाकर किया विदा
दोनों वृद्धा के निधन से परिवार में दुख था, लेकिन दोनों बहनों के प्रेम ने परिवार को भावुक भी कर दिया इसलिए अंतिम विदाई में गांव के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए तो डीजे भी बजाया गया. वहीं, परिवार के लोगों ने बताया कि वे संदेश देना चाहते है कि आजकल छोटी-छोटी बातों में भाई का भाई से, बहन का बहन से या फिर परिवार के सदस्यों के ​बीच झगड़े होते है, जो एक-दूसरे को मरने मारने पर उतारू होते हैं, लेकिन इन दोनों ने ताउम्र साथ रहकर साथ ही इस दुनिया से विदा होकर प्रेम को सचमुच में परिभाषित किया है. 

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पहले हो चुका है दो बहनों का निधन
परिवार के लोगों ने बताया कि चारावास के बांगड़वा परिवार की सगी चार बहनें केहरपुरा खुर्द तन भामरवासी के सगे चार भाइयों के साथ शादी की गई थी. इनकी शादी एक अंतराल के बाद एक के बाद एक की गई, लेकिन इनमें से शांति देवी और श्रवण देवी का पहले निधन हो चुका है. शेष सुरजी और पंचमी थी, जिनका एक साथ निधन हुआ. इनमें से चारों के पतियों की मौत पहले ही हो गई. सुरजी देवी के पति गाडाराम का निधन भी 94 वर्ष की अवस्था में और पंचमी देवी के पति का निधन मौत 70 साल की उम्र में हो गया था. इसके बाद दोनों बहनें आपस में एक दूसरे का और परिवारों का ध्यान रखती थी. 

अलग-अलग रहते, लेकिन मिलते रोज थे
बहनों की जोड़ी का साथ 45 साल तक एक ही घर में रहा. इसके बाद पंचमी देवी का परिवार खेत में रहने लगा, लेकिन फिर भी दोनों बहनों और सभी परिवारों में प्रेम बना रहा. बहनें एक दूसरे से मिलने आती-जाती रहती थी. निधन से 3 माह पहले आखिरी बाद दोनों बहनों की मुलाकात हुई क्योंकि बीमार होने के कारण वे एक-दूसरे के पास आ जा नहीं पा रही थी. पंचमीदेवी तो अंत समय तक झुंझुनूं के एक अस्पताल में भर्ती थी. वहीं सुरजीदेवी भी लकवे की बीमारी से ग्रसित होने के कारण चल नहीं सकती थी, लेकिन निधन के बाद एक बार फिर दोनों बहनों का मिलन श्मशान घाट तक रहा. वहीं, दोनों बहनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार हुआ. 

Reporter- Sandeep Kedia 

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