वासुदेव देवनानी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर कहा-हम सब अधिकारों की मांग करते हैं,लेकिन अधिकारों को भूल जाते हैं
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वासुदेव देवनानी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर कहा-हम सब अधिकारों की मांग करते हैं,लेकिन अधिकारों को भूल जाते हैं

Republic Day 2024: विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गणतंत्र दिवस पर विधानसभा में ध्वजारोहण किया. इस मौके पर देवनानी ने कहा कि हम सब अधिकारों की मांग करते हैं, लेकिन अधिकारों को भूल जाते हैं.

Republic Day 2024

Republic Day 2024: विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने गणतंत्र दिवस पर विधानसभा में ध्वजारोहण किया. इस मौके पर देवनानी ने कहा कि हम सब अधिकारों की मांग करते हैं, लेकिन अधिकारों को भूल जाते हैं. अधिकारों की मांग के साथ कर्तव्यों को भी पालन करना होगा तभी देश तेजी से प्रगति करेगा. विधानसभा परिसर में सुबह अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने ध्वजारोहण किया. इस दौरान देवनानी को पुलिस गार्ड ने सलामी दी, वहीं पुलिस बैंड से राष्ट्रगान की धुन बजाई.

इतिहास को याद किया 
 विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि आजादी की लड़ाई के लम्बे संघर्ष के बाद आज यह अवसर हमारी नई पीढ़ी को देखने को मिल रहा है. पता नहीं कितने बलिदानियों ने जिनका इतिहास में भी नाम देखने को नहीं मिला उनके त्याग और बलिदान से आजादी मिली . आजादी के बाद देश में व्यवस्थाओं को लेकर संविधान सभा का गठन किया. 26 जनवरी 1950 को यह संविधान स्वीकृत हुआ . सबको एक बार संविधान को एक बार अवश्य पढ़ाना चाहिए. इसमें अधिकार और कर्तव्य काे बताया गया है. आज अधिकारों की चर्चा होती है लेकिन साथ में कर्तव्य को भी ध्यान से पढ़ेंगे तो पिछले कुछ वर्षों से प्रगति की ओर से तेज गति से बढ़ रहा और तेजी से बढ़ेगा.

गुलामी के चिन्हों को हटाना होगा

देवनानी ने कहा कि देश के संविधान में व्यवस्थाएं तो बहुत दी गई है . प्राचीनतम है देश है बीच-बीच में कमियां रही आक्रांत आए . उन्होंने देश गुलाम बनाया, लेकिन हम संघर्ष करते रहे. हमारा संघर्ष काल बहुत पुराना है. विदेशियों ने इस दौरान स्व को भुलाने की बहुत कोशिश की, नहीं भूले. स्व को भूल जाएंगे तो गुलामी की मानसिकता रहेगी. स्व के जागरण के प्रयत्न समय-समय पर हुए हैं. इसी का परिणाम है कि महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस से लेकर पता नहीं कितने क्रांतिकारी ने आंदोलन चलाया. जो स्व को भूल गए वह राष्ट्र समाप्त हो जाता है. गुलामी की दास्तान के चिन्ह समाप्त होते जा रहे हैं. पिछले दिनों इसका प्रयत्न हुआ है लेकिन तेज गति नहीं आ पाई . हमने देखा होगा कि राम मंदिर का बहुत बड़ा आंदोलन चला, किस प्रकार से 500 वर्ष की संघर्ष के बाद हजारों लोगों के बलिदान के बाद भगवान राम गर्भगृह में प्रतिष्ठित हुए हैं. 

एक बार का मंदिर का भाव नहीं था यह गुलामी के प्रतीक को समाप्त करना था. राष्ट्रपति भवन में गुलाब गार्डन था अमृतकाल उद्यान रखा गया. इंडिया गेट पर भी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई गई. नई पीढ़ी को प्रेरणा मिले. राजस्थान में भी अकबर को महान बताते रहे महाराणा प्रताप को नहीं. आज भारत विश्व की पांचवी की अर्थव्यवस्था बन चुका है एक समय था जब 11वीं इकोनामी था आज पांचवी इकोनामी पहुंचा है .

गण के साथ तंत्र भी समृद्ध होगा 
देवनानी ने कहा कि देश तीसरी इकोनामी की ओर बढ़ रहा है. हम अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे और देश के लिए योगदान देते रहें. जहां भी जिम्मेदारी है जिस भी पद पर हूं उसे पद पर रहकर के मैं देश के लिए क्या कर सकता हूं. यह विचार करके काम करेगा तो सबसे बड़ी देशभक्ति होगी. दूर बैठे व्यक्ति का कैसे सहयोग कर सकूं, यह भाव होगा तो गणतंत्र साकार होगा और गण के साथ तंत्र भी मजबूत हाेगा. छोटी छोटी बातों का पालन करना भी देशभक्ति है. देश भक्ति दिखाने की जरूरत नहीं बल्कि व्यवहार में लाने की आवश्यकता है . अपनी डिक्शनरी से यह शब्द निकालना होगा कि मैं यह काम नहीं कर सकता. देश का नेतृत्व बहुत मजबूत हाथों में है. कल फ्रांस के राष्ट्रपति के लिए यह किसी ने नहीं सोचा होगा अंदर का शहर घुमाया जाएगा.

विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया. इस मौके पर कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी, पूर्व विधायक नवरंगलाल टिबरीवाल सहित अधिकारी कर्मचारी मौजूद थे.

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