5 मई को प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के रजिस्टर्ड मदरसों को बड़ी राहत देते हुए 25 हजार 674 परीक्षार्थियों की 5वीं बोर्ड के परीक्षार्थियों का परीक्षा शुल्क माफ करने का फैसला लिया है.
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Jaipur: 5 मई को प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश के रजिस्टर्ड मदरसों को बड़ी राहत देते हुए 25 हजार 674 परीक्षार्थियों की 5वीं बोर्ड के परीक्षार्थियों का परीक्षा शुल्क माफ करने का फैसला लिया, जिसके चलते रजिस्टर्ड मदरसों में पढ़ने वाले 25 हजार 674 परीक्षार्थियों की 10 लाख 26 हजार 960 रुपये वापस करने का फैसला लिया गया, लेकिन सरकार द्वारा इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. बीजेपी ने सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर जमकर हमला बोलते हुए प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है.
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पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने तुरंत प्रभाव से इस फैसले को वापस लेने की सरकार को हिदायत तक दे डाली है, नहीं तो इसका परिणाम आगामी चुनावों में भुगतने की चेतावनी भी दी है. गौरतबल है कि प्रदेश में इस साल 5वीं बोर्ड की परीक्षा के समय सरकारी स्कूलों में परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था, लेकिन निजी स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड के लिए 40 रुपये परीक्षा शुल्क वसूला गया था, इसके साथ ही अगर बात की जाए निजी और सरकारी स्कूलों में तो 8वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ रखा गया था. ऐसे में अब सरकार स्कूलों और मदरसों में 5वीं बोर्ड का परीक्षा शुल्क माफ है तो वहीं, निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ही 5वीं बोर्ड परीक्षा शुल्क के दायरे में आ रहे हैं, जिसके चलते अब इस आदेश का विरोध देखने को मिल रहा है.
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले तीन सालों से तुष्टिकरण की राजनीति किए जा रही है, इसके साथ ही धड़ल्ले से मुस्लिम तुष्टीकरण देखने को मिल रहा है. प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ही बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करने का सरकार का फैसला तुगलकी है. सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण के लिबास में लपटे इस फैसले को तत्काल वापिस ले, नहीं तो आगामी विधानसभा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे.
कांग्रेस सरकार द्वारा हिन्दू त्यौहारों पर धारा 144 लगाई जाती है. रामनवमी और महावीर जयंती पर शोभायात्राओं को निकालने की अनुमति नहीं मिलती है. विजयादशमी पर संघ के पथ संचलन को निकालने की अनुमति नहीं दी जाती है. जबकि इसके विपरीत रमजान के महीने में मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों में बिजली नहीं काटने का आदेश दिया जाता है और कोटा में एक मुस्लिम संगठन को मार्चफास्ट निकालने की अनुमति दी जाती है.
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हिन्दू विरोधी दर्जनों निर्णय ऐसे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि प्रदेश सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी हैं. निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क वसूलना और मदरसों में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा शुल्क से मुक्त करना इसका जीता-जागता प्रमाण है. सरकार शिक्षा के मंदिरों को भी तुष्टीकरण की आग में झोंकने से नहीं चूकी. विद्यार्थी तो सब एक ही और सबके लिए समान होते हैं, तो फिर मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को इससे मुक्त करना कहां का न्याय है. कांग्रेस का तुष्टीकरण का घड़ा अब पूरी तरह से भर चुका है. प्रदेश की जनता अगले विधानसभा चुनाव में इस घड़े को फोड़ कर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने का इंतजार कर रही है.