Indian Law: कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान, जिनकी चर्चा से ही देश में बवाल खड़ा हो जाता है, जान लीजिए
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Indian Law: कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान, जिनकी चर्चा से ही देश में बवाल खड़ा हो जाता है, जान लीजिए

Rohingya Muslimरोहिंग्या मुसलमानों ( rohingya musalman ) को लेकर देश में आए दिन कोई ना कोई चर्चा छिड़ी रहती है. आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या मुसलमान जिनकी वजह से भारत में बवाल खड़ा हो जाता है. ये इंडिया कैसे पहुंचे. आइए आज इनके बारे में बारीकी से जानते हैं.

Indian Law: कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान, जिनकी चर्चा से ही देश में बवाल खड़ा हो जाता है, जान लीजिए

Rohingya Muslims In India: रोहिंग्या मुसलमानों ( rohingya musalman ) को लेकर देश में आए दिन कोई ना कोई चर्चा छिड़ी रहती है. लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो नहीं जानते कि देश के मुसलमानों और रोहिंग्या मुसलमानों में आखिर फर्क क्या है. रोहिंग्याओं का जिक्र आते ही देश में बवाल क्यों मच जाता है. कभी विदेश मंत्रालय ( Foreign Ministry ) इन्हें लेकर कोई बयान जारी करता है. तो कभी किसी बड़े नेता के ट्वीट ( Tweet ) से हंगामा खड़ा हो जाता है. आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी? ये सब इंडिया कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए? आप भी जान लीजिए.

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कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी

कहानी 16वीं शताब्दी से शुरू होती है. म्यांमार देश के पश्चिमी छोर पर मौजूद राज्य रखाइन था. जिसे कई लोग अराकान भी कहते हैं. इस राज्य में उसी दौर से मुस्लिम आबादी रहती थी. 1826 में पहले एंग्लो-बर्मा वार के बाद अराकान पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया. युद्ध जीतने के बाद अंग्रेजों ने बंगाल (वर्तमान में बांग्लादेश) से मुसलिम मजदूरों को अराकान लाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे रखाइन में मुसलमान मजदूरों की आबादी बढ़ती गई. बांग्लादेश से आकर रखाइन में बसे मुसलमानों को रोहिंग्या कहा जाता है. 

1948 में म्यांमार पर से ब्रिटिश राज्य का अंत हुआ. वह आजाद मुल्क के रूप में उभरा. यहां के बहुसंख्यक बौद्ध और मुस्लिम आबादी में फसाद शुरू हो गया. रोहिंग्याओं की आबादी बढ़ते देख म्यांमार के जनरल विन सरकार ने 1982 में देश में नया राष्ट्रीय कानून लागू किया. इस Law में रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा समाप्त कर दिया गया. इसी सामय से म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को मजबूर करती रही है. तब से ये बांग्लादेश और भारत में घुसपैठ करके यहां आते रहे हैं. 

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2012 दंगों के बाद बढ़ा इनका पलायन

2012 के दौरान रखाइन में सांप्रदायिक दंगे हुए. इसके बाद यहां से रोहिंग्याओं का पलायन और बढ़ा. वहां में 2012 से ही सांप्रदायिक हिंसा जारी है. हिंसा में हजारों लोग मारे जा चुके हैं. लाखों विस्थापित भी हुए. 2014 की जनगणना में म्यांमार की सरकार ने रखाइन के करीब 10 लाख लोगों को जनगणना में शामिल ही नहीं किया. ये वही लोग थे, जिन्हें म्यांमार की सरकार रोहिंग्या घुसपैठिया करार देती है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1,30,000 हजार रोहिंग्या आज भी शरणार्थी कैम्पों में हैं. जबकि, छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी अपने गांवों में ही बुनियादी सेवाओं तक से वंचित रखा गया है. 

इंडिया में कितने अवैध प्रवासी रहते हैं

भारत सरकार कई मौकों पर लोकसभा में इसे लेकर जवाब दे चुकी है. 2021 के अगस्त में लोकसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि अवैध प्रवासी बिना वैध दस्तावेज के गैरकानूनी हैं. और गुप्त तरीके से देश में घुसते हैं. जिसकी चलते देश में अवैध रोहिंग्या मुसलमानों का कोई सही आंकड़ा नहीं है.

देश की कोर्ट का रोहिंग्या को लेकर क्या नजरिया है

सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर कई याचिकाएं लंबित हैं. इनमें एक याचिका 2017 में भाजपा नेता उपाध्याय द्वारा लगाई गई थी. उन्होंने अपनी याचिका में इंडिया में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की पहचान करके, उन्हें एक साल में वापस उनके देश भेजने की मांग की थी. कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब मांगा था. केंद्र सरकार और ज्यादातर राज्य सरकारों ने अब तक इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है. जबकि कुछ राज्यों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट जो आदेश देगा वो उसका पालन करेंगे.  

2021 में भी याचिका लगाई गई थी

इसमें रोहिंग्या लोगों ने प्रशांत भूषण के जरिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी. याचिका में रोहिंग्या लोगों को इंडिया में शरणार्थी का दर्जा देने की मांग की गई है. इस याचिका में फैसला आना बाकी है. वहीं, 2021 में भी इसी तरह की एक याचिका लगाई गई थी. तब जम्मू की जेल में बंद 168 रोहिंग्या लोगों को रिहा करके उन्हें शरणार्थी का दर्जा देने की अपील भी की गई थी. कोर्ट ने ऐसा आदेश देने से इंकार कर दिया था. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि सरकार इन्हें तब तक जेल में रखे, जब तक उचित कानूनी प्रक्रिया से इन्हें वापस भेजने की व्यवस्था नहीं हो जाती.

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