Congress Politics : कांग्रेस का आलाकमान कौन होगा, इस सवाल से ज्यादा राजस्थान के लोगों में इस बात की जिज्ञासा है कि आखिर राजस्थान पर फैसला क्या होगा. क्या अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे या सचिन पायलट के हाथ कमान आएगी.
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Congress Politics : देश की सबसे पुरानी पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस को कल नया आलाकमान मिल जाएगा. 22 साल के बाद हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों के परिणाम कल आएंगे. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच हुए मुक़ाबले में खड़गे का पलड़ा भारी है. कहा ये जा रहा है कि खड़गे की जीत गांधी परिवार की जीत होगी और शशि थरूर को मिलने वाले वोट ये तय करेंगे कि गांधी परिवार कितना कमज़ोर हुआ है. हालांकि इन परिणामों पर देश की नज़र है लेकिन राजस्थान की अगर बात करें तो यहां इन परिणामों से कहीं अधिक इस बात को लेकर चर्चा है कि कल यानी 19 अक्टूबर के बाद जब कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा तब राजस्थान के सियासी मसले को लेकर पार्टी किस तरीक़े से निर्णय लेगी.
क्या जो स्थिति यथावत है वो बनी रहेगी या पार्टी नए सिरे से राजस्थान कांग्रेस के भीतर चल रही गुटबाज़ी और बयानबाजी को ख़त्म करने के लिए कड़े फ़ैसले ले सकती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राहुल गांधी से मुलाक़ात करने के बाद कल जयपुर में कई तरह के संकेत दे चुके हैं. गांधी परिवार से अपने रिश्तों की बात कहते हुए अशोक गहलोत ने ये भी साफ़ कर दिया कि 19 अक्टूबर के बाद भी गांधी परिवार के साथ उनके रिश्ते वैसे ही रहने वाले हैं जैसे पिछले 50 सालों से हैं.
वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट लगातार दिल्ली में डेरा डाले हैं. पायलट प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं. कहा ये जा रहा है कि सचिन पायलट को प्रियंका का गांधी की ओर से उनकी नई भूमिका को लेकर आश्वस्त किया जा चुका है लेकिन सवाल फिर वही है कि राजस्थान में आख़िर होगा क्या. क्या आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कंटिन्यू करते हुए विधायक दल की बैठक से बग़ावत करने के सूत्रधार रहे 3 बड़े नेताओं शांति धारीवाल धर्मेन्द्र राठौड़ और महेश जोशी के ख़िलाफ़ कड़ा एक्शन लेकर अपनी मंशा साफ़ करेगा या फिर मिशन 2023 के मद्देनज़र नए नेता के चुनाव के लिए एक बार फिर से राजस्थान में पर्यवेक्षकों को जयपुर भेजा जाएगा. जो विधायकों से वन टू वन बात करें उनकी मंशा जाने और फिर आलाकमान उसी आधार पर फ़ैसला करें.
जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि नया अध्यक्ष नई भूमिका में नए क़दम तो ज़रूर उठाएगा लेकिन वो क़दम क्या होंगे अभी इस बात को लेकर केवल क़यास है. 25 सितंबर को राजस्थान के 82 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष CP जोशी को जो इस्तीफे दिए थे उनको लेकर सियासत जारी है. मंत्री प्रताप सिंह ने साफ कर चुके हैं कि अब पार्टी को आगे बढ़ना होगा. एक जुट होकर लड़ना होगा, अन्यथा भाजपा से मुक़ाबला संभव नहीं है. यानी कुल मिलाकर दिल्ली में अगर हवा बदलती है तो उसका असर राजस्थान की सियासत पर भी निश्चित तौर पर पढ़ने वाला है.
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