एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए जी राजस्थान ने इस सिस्टम में लगी दीमक को दिखाया ताकि जिम्मेदार सरकार इन्हे पहचाने और इन पर कार्रवाई करें.
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Jaipur: भ्रष्टाचार को लेकर राजस्थान की गहलोत सरकार जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन सरकार की इस नीयत को पलीता लगाने वाले भ्रष्टाचारियों की तादाद कम नहीं हो रही है. शर्मनाक हालात तब होते हैं जब ये लालची उन लोगों की जेब से भी पैसा निकालने में संकोच नहीं करते जिन्हें इन पैसों की बेहद जरुरत है. जिस व्यक्ति को पेंशन मिल रही है अगर उसे भी अपनी पेंशन के लिए इस सरकारी सिस्टम को पैसा देना पड़ेगा तो फिर लानत है ऐसी व्यवस्था पर. एक इंसान जो अपनी पूरी जिंदगी मेहनत करने के बाद अपने जीवन के आखिरी वक्त में इस पेंशन पर निर्भर होता है उसे भी भ्रष्टाचारी बख्स नहीं रहे है.
जी राजस्थान ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए खोजी पत्रकारिता के जरिए ऐसे ही लालची और भ्रष्टाचारियों के गुनाह को सामने लाया. एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए जी राजस्थान ने इस सिस्टम में लगी दीमक को दिखाया ताकि जिम्मेदार सरकार इन्हे पहचाने और इन पर कार्रवाई करें क्योकि अगर ये चेहरे बेनकाब नहीं होंगे तो एक ना एक दिन ये पूरी व्यवस्था को बर्बाद कर देंगे.
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राजस्थान सरकार ने पेंशन योजना में बदलाव कर जरुरतमंदों को सहूलियत देने की कोशिश की है. सरकार के दावे के मुताबिक अब मिनटों में पेंशन बन जाएगी और ऑनलाइन आ जाएगी इस व्यवस्था से सरकार ने ये सुनिष्चित किया कि धांधली और घोटाले की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी. लेकिन इस दावे में कितना सच है? क्या अब सच में कोई गड़बड़ी नहीं होगी? क्या वाकई बिना पैसे मिनटों में काम हो जाएगा?
इसी सच को जानने के लिए जी राजस्थान ने एक स्टिंग आपरेशन किया. पहले आपको हम बताते है कि पेंशन का ये सिस्टम है कैसा ?
Video: ZEE राजस्थान के स्टिंग 'ऑपरेशन पेंशन' से मचा हड़कंप
वृद्धावस्था और वृद्धजन किसान पेंशन योजना के तहत 55 वर्ष की वरिष्ठ महिलाओं को 750 रूपए की राशि प्रतिमाह दी जाती है.75 वर्ष वाली वरिष्ठ वृद्धजन महिला को 1000 रूपए प्रतिमाह पेंशन की राशि दी जाती है.58 साल के वरिष्ठ पुरुष वृद्धजन को 750 रूपए प्रतिमाह और 75 वर्ष या अधिक के वृद्धजन नागरिक को 1000 रूपए प्रतिमाह पेंशन दी जाती है.आवेदकों की सालाना इनकम 48 हजार से कम होनी चाहिए.
वहीं एकल नारी सम्मान पेंशन योजनाके तहत राज्य की तलाकशुदा और विधवा निर्धन महिलाओं को लाभन्वित किया जाता है.ये एक ऐसी योजना है, जिसमें महिलाओ की उम्र के हिसाब से 750 से 1500 रूपए तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इस योजना के तहत न्यूनतम 18 वर्ष की उम्र से अधिकतम 75 या उससे अधिक उम्र वाली महिलाओं को प्रतिमाह पेंशन दी जाती है.इसमें 18 से 54 वर्ष की उम्र की महिलाओं को 500 रूपए, 55 से 59 तक 750 रूपए, 60 से 75 तक 1000 और 75 साल से अधिक की महिलाओं को 1500 रूपए की पेंशन दी जाती है. इस योजना का लाभ 48 हजार सालाना पारिवारिक आय से कम वाले परिवार ले सकते हैं.
विशेष योग्यजन पेंशन योजना के तहत 55 साल से कम की विशेष योग्यजन महिला और 58 वर्ष से कम के पुरूष को 750 रूपए, 55 साल से अधिक की विशेष योग्यजन महिला और 58 साल से अधिक के पुरूष को 1000 रूपए, 75 साल या अधिक के विशेष योग्यजनों को 1250 रूपए प्रतिमाह पेंशन दी जाती है.बशर्ते इनकी सालाना इनकम 60 हजार रूपए से कम हो.
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राजस्थान में कितने पेंशनधारी पेंशन का लाभ उठा रहे हैं, जरा एक नजर इसपर भी डाल लेते हैं
सूबे में 78 लाख 12 हजार 976 पेंशनधारिययों को हर महीने पेंशन का लाभ मिल रहा है.इसमें वृद्धजन पेंशनर्स 52 लाख 62 हजार 9, एकल नारी पेंशनर्स की संख्या 16 लाख 97 हजार 660, विशेष योग्यजनों की संख्या 5 लाख 91 हजार 406 और वृद्धजन किसानों की संख्या 2 लाख 61 हजार 901 है.
इन सभी पेंशमनधारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने पुराने सिस्टम को हटाकर नए सिस्टम की शुरुआत की.
पहले सूबे में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पडता था.आवेदक को ईमित्र पर आवेदन करने के बाद कम से कम डेढ महीने का इतंजार तो करना ही पडता था.पहले डेटा वैरीफिकेशन के लिए 30 दिन और सैंक्शन में 15 दिन का समय लगता था.शहरी क्षेत्र में एसडीएम और ग्रामीण में बीडीओ को पेंशन को सैंक्शन करना पडता था. आनलाइन पोर्टल होने के बावजूद पेंशन स्वीकृति में 45 दिन का वक्त तो लगता ही था.
अब सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से ऑनलाइन पोर्टल को जनआधार लिंक से जोड़ दिया है. आवेदक को सिर्फ आवेदन की करने ही जरूरत होगी. लेकिन इससे पहले आवेदक को जनआधार कार्ड से लिंक करवाना जरूरी होगा.यदि आवेदक पात्र है तो उसे तुरंत पेंशन मिलने लगेगी और यदि अपात्र है तो उसका फॉर्म रिजेक्ट हो जाएगा. दावा किया गया कि पात्र आवेदक को नए सिस्टम से मिनटों में पेंशन अप्रूव हो जाएगी और केवल पात्र व्यक्तियों को ही पेंशन मिलेगी यानि गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी, लेकिन इन दावों की सच्चाई जानने के लिए ही ज़ी राजस्थान की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची फिर आगे क्या हुआ वो सुनकर आपके होश फाख्ता हो जाएंगे.
जी मीडिया की टीम राजधानी जयपुर के ईमित्रों के पास पहुंचती है.जहां हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि क्यों पेंशनधारियों की पेंशन नहीं आ रही है. जरूरमंदों लोगों की जो शिकायतें आ रही हैं, क्या वो वाकई सही है.
ये वो बाते हैं जो जी मीडिया के रिपोर्टर ने स्टिंग के जरिए भ्रष्टाचारियों से की.
स्टिंग ऑपरेशन पेंशन -1
जगह- हैरिटेज जयपुर, जयलाल मुंशी का रास्ता
रिपोर्टर- पेंशन चालू करवानी है
ईमित्र संचालक- सत्यापन करवाना है या चालू करवाना
है?
रिपोर्टर-नहीं चालू करवानी है, क्या क्या लाना है?
ईमित्र संचालक- बैंक पासबुक, आधार कार्ड, जनाधार कार्ड
रिपोर्टर- चालू भी करवाओगे क्या आप?
ईमित्र संचालक- नहीं, हम चालू नहीं करवाएंगे.. हम ओनली बढाकर दे देंगे.. चालू आगे होगी
रिपोर्टर-अब आगे कहां जाना पडेगा हमें?
ईमित्र संचालक- पेंशन ऑफिस नगर निगम यहां से बन जाएगी.. 10-15 दिन में वहां चले जाना.. आगे की बात वो करेंगे
रिपोर्टर-व हां कुछ पैसे लेते हैं क्या?
ईमित्र संचालक- 1500 रूपए लगेंगे.. यहीं से चालू हो जाएगी पेंशन.. 15 दिन में चालू हो जाएगी
रिपोर्टर- कुछ कम करो
ईमित्र संचालक- नगर निगम, कलेक्ट्री दोनों में देना पडता है
रिपोर्टर-दोनों जगह पैसे देने पडते हैं?
ईमित्र संचालक- बिना पैसे कोई काम नहीं होता
रिपोर्टर दूसरे ग्राहक से- आप भी पेंशन शुरू करवा रहे हो क्या?
ग्राहक- सत्यापन करवा रहा हूं
रिपोर्टर- आपकी भी पेंशन इन्हीं ने शुरू करवाई थी क्या?
ग्राहक- हां
रिपोर्टर-कितने रूपए लिए थे?
ग्राहक- 2-2 हजार रूपए लिए थे.. मिसेज की भी शुरू करवाई थी
स्टिंग ऑपरेशन पेंशन -2
जगह- बगरू वालों का रास्ता, चांदपोल बाजार
ईमित्र संचालक- दलाल खाते हैं.. आगे देना पडता है
रिपोर्टर- पैसे पहले देने पडते हैं क्या?
इसके बाद ई मित्र संचालक फोन पर किसी दलाल से बात करता है कि वृद्धावस्था पेंशन के लिए कितने रूपए लगेंगे. क्या क्या दस्तावेज देने होंगे. फिर ई मित्र संचालक ने हमारी टीम ने बात शुरू की.
ई मित्रसंचालक- आधार में मोबाइल नंबर जुडा है क्या?
रिपोर्टर- हां
ईमित्र संचालक- 1800 रूपए लगेंगे
ई मित्र संचालक फिर फोन पर दलाल से बात करता है..
रिपोर्टर- चालू कब होगी पेंशन? जनवरी के एंड तक हो जाएगी? फिक्स एक महीना लगेगा?
ईमित्र संचालक- कम की कोई गुजांईश नहीं.. आगे और ईमित्र हैं मालूम कर लो
हमारे स्टिंग ऑपरेशन में हैरान करने वाला सच सामने आया.. जिसमें ये साफ हो गया कि मिनटों में किसी भी पेंशनधारी की पेंशन मंजूर नहीं होती.. ईमित्र संचालक सरकारी बाबूओं को पैसा खिलाकर पेंशन पास करवा देते हैं.. सरकारी सिस्टम में बिना पैसे कोई कुछ नहीं करता..
यानि अब तक साफ हो चुका है कि सिस्टम को पैसा खिलाओ, काम करवाओ. पैसा नहीं है तो पात्र शख्स भटकता रह जाएगा.ज़ी मीडिया की टीम ने आगे भी अपना ऑपरेशन जारी रखा.हमने उन लोगों को साथ लिया, जिनके फॉर्म रिजेक्ट किए जा चुके थे और पहुंच गए ई मित्र संचालकों के पास.
सच जानने के लिए न्यू सांगानेर रोड निवासी सुनीता देवी को हम आवेदन के लिए ईमित्र पर लेकर जाते हैं. सुनीता देवी के पति का दो साल पहले स्वर्गवास हो गया.इसलिए वो अब एकल नारी विधवा पेंशन योजना की हकदार हैं. अब उन्हें लेकर हमारी टीम एक ई मित्र संचालक के पास पहुंची.
स्टिंग ऑपरेशन पेंशन -3
जगह- सिद्धिविनायक कॉम्प्लेक्स, स्वेज फार्म
ईमित्र संचालक- मदन चौधरी
मदन चौधरी- हमारा काम है अप्लाय करना. हमने अप्लाय कर दिया. वैरिफिकेशन का काम है इनका यानि सुनीता देवी का. मानसरोवर या सिविल लाइन जोन लगेगा इनका
रिपोर्टर- चालू तो हो जाएगी ना पेंशन?
मदन चौधरी- इनका चालू हो जाएगा. लोग तो 5-5 हजार रूपए खर्च कर देते हैं
मदन चौधरी- एक अंकल जी आए थे. पूरी बात सुनो. तीन बार रिजेक्ट हो गई थी. मैंने चालू करवाई है. दोनों मियां बीवी की. 2-2 हजार रूपए लिए थे
रिपोर्टर- तो इनकी भी चालू करवा दो ना जल्दी
मदन चौधरी- महीना भर मानकर चलो.10 दिन वैरिफिकेशन के लग जाते हैं
रिपोर्टर- अखबार में तो आया था कि एंड टू एंड चालू हो जाएगी.मशीन से क्लिक करते ही सारी डिटेल आ जाती है. तुरंत चालू हो जाती है
मदन चौधरी- 10 दिन तो वैरिफिकेशन के ही लग जाते हैं
रिपोर्टर- फर्जीवाड़ा करते हैं क्या ये लोग?
मदन चौधरी- बावला बनाते हैं.इसमें क्या है, मैं बताऊं ना, आजकल निगम में क्या है. सब ठेके पर है.ठेके के आदमी बैठे हैं.ये तो आपको भी पता है
रिपोर्टर- हां
मदन चौधरी- मैं अधिकारी हूं मान लो.10 छोटे काम कर रहे हैं मेरे अंडर में
रिपोर्टर- अटकना नहीं चाहिए
मदन चौधरी- मैं करवाऊंगा. एक बार रिजेक्ट, दो बार रिजेक्ट, मैं करवाऊंगा चालू गारंटी से.अगर मेरे पर विश्वास है तो
रिपोर्टर- विश्वास है
मदन चौधरी-चलता फिरता तो हूं नहीं.. इतनी बडी दुकान लेकर बैठा हूं और आज से ही नहीं इस मॉल में सबसे पुराना मैं ही हूं
रिपोर्टर- कितने पैसे देने हैं.पेंशन अप्रूव हो जाए बस
मदन चौधरी-आप इतना रिक्वेस्ट कर रहे रहे हैं.गरीब आदमी के लिए तो दो के 3800 देकर गया था.पूरी बात सुन लो
रिपोर्टर- कितने देने है
मदन चौधरी- 1800 रूपए, इनकी चालू हो जाएगी. मैं बैठा हूं ना
रिपोर्टर- लो भाईसाहब पैसे.भाईसाहब आगे भी देने पडते हैं क्या?
मदन चौधरी- हल्ला मत करो.इतनी देर से समझा रहा हूं
रिपोर्टर- ठीक है भाईसाहब नहीं करता
मदन चौधरी- किसी से चर्चा मत करना बस
रिपोर्टर- बिल्कुल, किसी से नहीं करेंगे
अब हम नंदपुरी के रहने वाले बुजुर्ग रूपचंद पेशवानी को आवेदन के लिए लेकर चलते है. जिनके लिए हम पेंशन योजना के लिए ईमित्र संचालक से आवेदन करवाते हैं..
स्टिंग ऑपरेशन पेंशन -4
जगह- ज्योतिबाफुले कॉलेज के सामने
ईमित्र संचालक- पूरण
पूरण- 2340 रूपए लगेंगे.. पेंशन भी चालू हो जाएगी.. आधार भी
रिपोर्टर- किस हिसाब से ले रहे हो?
पूरण- 150 रूपए आधार के, 230 रूपए पैन कार्ड के, 2 हजार रूपए पेंशन के
रिपोर्टर- ज्यादा नहीं है या क्या,कम करो
पूरण- 2380 रूपए में सारा काम हो जाएगा.. लोग तो 2500 रूपए देते हैं
रिपोर्टर- 150 तो आधार के, 350 पैन कार्ड के.. 2 हजार रूपए पेंशन के
रिपोर्टर- आगे भी देने पडते हैं क्या?
पूरण- ऐसे ही थोड़े है.. इतने पैसे थोड़े लगते है नहीं तो
रिपोर्टर- कहां देने पडते हैं?
पूरण- आप तो आम खाने से मतलब रखो
रिपोर्टर- पेंशन के लिए कितने दिए थे?
पूरण- 2500 रूपए.. अलग ही रखे हैं.. ये देख तो आपके पैसे
सरकार ने योजना में बदलाव कर लोगों को सहूलियत देने की कोशिश की.लेकिन ज़ी मीडिया की टीम ने खुफिया कैमरे में जो कैद किया, वो समझने के लिए काफी है कि कैसे सरकारी योजनाओं का बंटाधार किया जा रहा है.आम आदमी को कैसे परेशान किया जाता है.पैसा है, तो काम हो जाएगा नहीं है, तो पात्र शख्स भी भटकता रह जाएगा.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के पात्र लोग ऐसे ही भटक रहे हैं.जिनके पास पैसा है, उनका काम तो हो रहा है.लेकिन जो पैसा देने में असमर्थ हैं, उनके फॉर्म रिजेक्ट हो जाते हैं.सुनीता देवी की ही कहानी सुनिए
परिवार के हालातों और मुसीबत से सामना करती सुनीता देवी, गरीबी के बीच पति की मृत्यु के बाद 5 बच्चों की जिम्मेदारियां उठा रही थीं.परिवार की इस बडी जिम्मेदारी के बीच वो खुद ही बीमारी भूल चुकी थी.बीमारी भी कोई छोटी मोटी नहीं, बल्कि कैंसर.सुनीता देवी 10 साल से कैंसर से पीडित हैं, लेकिन इसके बावजूद घरों में खाना बनाकर अपना और परिवार का भरण पोषण कर रही थीं.इसी बीच उन्होंने सरकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के लिए एक साल पहले आवेदन किया लेकिन सरकारी सिस्टम के आगे वो पूरी तरह से बेहस हो गईं और पात्र होने के बावजूद इस योजना के लिए उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया.इसके बाद उन्होंने फिर कोशिश की.1500 रूपए देकर कोशिश की ताकि जीवन भर की पेंशन शुरू हो जाए तो परिवार को सहारा मिल जाए.लेकिन इस बार भी वो पूरी तरह से हताश रहीं.इसके बाद जी मीडिया की टीम ने ईमित्र संचालक को 2 हजार रूपए देकर पेंशन के लिए आवेदन किया और कुछ दिन बाद उनके खाते में पैसे आ गए.
रूपचंद पेशवानी की भी इसी तरह की कहानी है.बुढापे में सरकार की पेंशन योजना के लिए उन्होंने सरकार के 'प्रशासन शहरों के संग' अभियान में आवेदन किया लेकिन उनका फॉर्म रिजेक्ट कर दिया लेकिन पैसा देकर काम करवाया तो तुरंत सारे काम हो गए अब उनकी पेंशन मंजूर हो गई. यानि साफ है कि पैसा फेंको, तमाशा देखो जरूरतमंदों को सरकारी स्कीम के लिए बस चप्पल घिसनी है.