देश में पहुंच गया 5G लेकिन जैसलमेर के एक गांव में आज तक नहीं बजी है फोन की घंटी
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देश में पहुंच गया 5G लेकिन जैसलमेर के एक गांव में आज तक नहीं बजी है फोन की घंटी

Jaisalmer: देश में भले ही  5G पहुंच गया हो लेकिन जैसलमेर के एक गांव में आज तक फोन की घंटी नहीं बजी है.

देश में पहुंच गया 5G लेकिन जैसलमेर के एक गांव में आज तक नहीं बजी है फोन की घंटी

Jaisalmer: भारत अब विकसित देशों की गिनती में आने को जहां हर संभव प्रयास कर रहा है और टेक्नोलॉजी में भी अग्रिम पंक्ति में स्थान हासिल कर रहा है वहीं हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5G नेटवर्क का भी लोकार्पण किया गया है लेकिन बात करें भारत-पाक सीमा पर स्थित राजस्थान के जैसलमेर जिले की तो यहां एक गांव ऐसा भी है. जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है और ग्रामीणों ने कभी भी अपने घरों में बैठकर हेलो तक की भी आवाज नहीं सुनी है. ना ही अपने दुख-सुख को सुदूर क्षेत्रों में बसे अपने परिजनों के सामने वे मोबाइल के माध्यम से रख पाए हैं हालांकि आज के दौर में आपके लिए यह बात आश्चर्यचकित होगी लेकिन वास्तव में जैसलमेर का एक गांव ऐसा भी है.

हम बात कर रहे है जैसलमेर जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर विशाल रेतीले टीलों में बसा यह गांव जहां राष्ट्रीय मरू उद्यान का भी कुछ क्षेत्र इसमें आता है लेकिन यह गांव आज भी संचार सुविधा से वंचित है. जिसके चलते जहां डिजिटल क्रांति का देश में हर कोई ढिंढोरा पीट रहा है वहीं इस गांव के बाशिंदों को आज तक डिजिटल क्रांति तो क्या अपने खाते की ओपीडी के साथ ही यदि परिवार में कोई डिलीवरी केस हो या कोई बीमार हो या फिर कोई सुख-दु:ख के समाचार यहां के बाशिंदे अपने घरों में बैठकर कभी भी अपने सुख-दुख को व्यक्त नहीं कर पाते हैं.

जिससे उन्हें आज के दौर में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी के साथ बात करें शिक्षा की तो जहां कोरोना के चलते ऑनलाइन क्लासेज, मल्टीमीडिया का दौर जोरों शोरों से चला वही इस गांव के शिक्षा से जुड़े बच्चों को यह अवसर भौगोलिक परिस्थितियों के चलते नसीब नहीं हो पाया. जिसका कारण यहां आज तक भी नेटवर्क सुविधा का उपलब्ध न होना है. जिससे अन्य सुविधाओं के साथ ही शिक्षा से जुड़े बच्चों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

तीन हजार के करीब आबादी नेटवर्क के आगे विवश
बेरसियाला गांव में ढाई हजार से 3000 के करीब आबादी रहती है ऐसे में यदि कोई डिलीवरी का भी मामला हो या कोई दु:खद समाचार हो तो वाहन तक को मंगाने के लिए बाशिंदो को मोबाइल से संपर्क करने के लिए घरों से निकल 2 किलोमीटर तक आगे जाकर रेत के ऊंचे टीले पर पहुंचना पड़ता है और तब जाकर नेटवर्क मिलने से वह अपनी बात,अपना दर्द सामने वाले तक पहुंचा पाते हैं. ऐसे में यदि रात्रि का समय हो या बरसात का मौसम तब यह स्थिति कोड में खुजली की कहावत चरितार्थ करती है.

ग्रामीणों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन

नेटवर्क सुविधा के अभाव से जूझ रहे ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर टीना डाबी को ज्ञापन सौंप ग्रामीणों का दु:ख व्यक्त किया. गांव के सरपंच गफूर सिंह ने बताया कि आजादी के बाद से आज तक जहां भारत विकसित देशों की गिनती में अपना स्थान बना रहा है और डिजिटल क्रांति का जहां दौर चल रहा है वहीं बेरसियाला गांव के बाशिंदों को आज तक नेटवर्क सुविधा का लाभ नहीं मिला है. जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं उन्होंने इसमें हवाला दिया कि बॉर्डर के पास ओर भी कई गांव है जहां नेटवर्क सुविधा आसानी से मिल रही है लेकिन बड़ी आबादी में फैले इस गांव के बाशिंदों को यह हक नहीं मिल रहा है जिससे आज के दौर में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं उन्होंने ज्ञापन में निवेदन किया है कि इस संबंध में जिला प्रशासन शीघ्रता शीघ्र जनहित में निर्णय लें और बाशिंदों को नेटवर्क सुविधा उपलब्ध करवाएं.विज्ञापन सौंपते समय काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे और उन्होंने अपना दुखड़ा डीएम के सामने रखा.

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