सुंधा माताजी का मंदिर लगभग 900 वर्ष के करीब पुराना है, जो ऊंची पहाड़ी पर बसा है. इसमें मां सुंधा की मूर्ति स्थापित है. वहीं, दर्शनार्थियों में लिए रोप-वे की सुविधा की है.
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Raniwara: जालोर जिले के भीनमाल की कुछ दूरी पर ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ धाम सुंधामाता मंदिर में घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ हो गया है.
सुंधा माताजी का मंदिर लगभग 900 वर्ष के करीब पुराना है, जो ऊंची पहाड़ी पर बसा है. इसमें मां सुंधा की मूर्ति स्थापित है. वहीं, दर्शनार्थियों में लिए रोप-वे की सुविधा की है.
राजस्थान का पहला रोपवे यहां लगा हुआ है. सुंधा माता जी का मदिर लगभग 850 मीटर ऊंचाई पर स्थित है. यह मंदिर सफेद रंग के संगमरमर पत्थर से बनाया गया है, जो आबू के देलवाड़ा मंदिर जैसा दिखता है. मंदिर में मां चामुंडा देवी की मूर्ति भी है.
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घट स्थापना को लेकर मंदिर में विधि- विधान के साथ घट स्थापना का कार्यक्रम हुए. वही पंडितों द्वारा विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार कर घट स्थापना की गई. इस दौरान स्थापना पर विशेष पूजा-अर्चना की गई. वहीं, नवरात्रि को लेकर मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों तथा रंग-बिरंगी रोशनी से मंदिर को सजाया गया है. नवरात्रि के पहले दिन भक्तों का दर्शन को लेकर तांता लगा रहा. भक्तों ने दर्शन कर खुशहाली की कामना की गई. यहां गुजरात, राजस्थान सहित कई जगहों से लोग दर्शन करने आ रहे हैं.
बात दें कि आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. दूसरे दिन पूजित ब्रह्मचारिणी आंतरिक जागरण का प्रतिनिधित्व करती हैं. मां सृष्टि में ऊर्जा के प्रवाह, कार्यकुशलता और आंतरिक शक्ति में विस्तार की जननी हैं. ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं.
इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल है. यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं. भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है. अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं.
Reporter- Dungar Singh