जालोर में गैर महोत्सव का हुआ समापन, गैरियों ने फाल्गुनी रंग में मदमस्त होकर किया नृत्य
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जालोर में गैर महोत्सव का हुआ समापन, गैरियों ने फाल्गुनी रंग में मदमस्त होकर किया नृत्य

Jalore News: शहर के भक्त प्रहलाद चैक में आयोजित छह दिवसीय गैर महोत्सव का समापन मंगलवार को हुआ. महोत्सव के अंतिम दिन गैरिये शीतला माता की भक्ति में लीन होकर गैर नृत्य कर लोगों को राजस्थानी संस्कृति के रंग में डूबो दिया.

जालोर में गैर महोत्सव का हुआ समापन, गैरियों ने फाल्गुनी रंग में मदमस्त होकर किया नृत्य

Jalore News: शहर के भक्त प्रहलाद चैक में आयोजित छह दिवसीय गैर महोत्सव का समापन मंगलवार को हुआ. भक्त प्रहलाद सेवा समिति जालोर के अध्यक्ष नवीन सुथार ने बताया कि जालोर शहर के बड़ी पोल के बाहर स्थित भक्त प्रहलाद चैक में आयोजित गैर महोत्सव के समापन पर गैरियों ने फाल्गुनी रंग में मदमस्त होकर एक लय व ताल के साथ गैर नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी. मंगलवार को अंतिम दिन स्थानीय गैरियों ने गैर नृत्य की प्रस्तुति देकर लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया. शीतला सप्तमी का मेला होने से दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक गैर नृत्य देखने के लिए लोगो की काफी भीड़ नजर आईं.

वहीं गैरियें भी अंतिम दिन पूरे जोश के साथ गैर नृत्य की प्रस्तुति देकर लोगो को रोमाचित कर दिया. जालोर शहर के माली, प्रजापत, घांची, देवासी सहित अन्य समाज के गैरियों ने ढोल व थाली की थाप पर पूरे लगन के साथ गैर नृत्य की प्रस्तुति देकर राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी. वही एएसपी डॉ. अनुकृति उज्जैनिया गैर महोत्सव स्थल पहुंची. जहां आयोजन कमेटी की ओर से एएसपी डॉ. उज्जैनिया का साफ़ा व शॉल ओढ़ाकर बहुमान किया गया. वही डॉ. उज्जैनिया ने कहा कि प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर जालोर के गैर नृत्य ने अपनी विशेष पहचान बनाई है.

होली पर्व पर विभिन्न समाजों द्वारा एक साथ गैर नृत्य करने से आपसी सौहार्द बढ़ता है. उन्होने आयोजन कमेटी द्वारा गैर महोत्सव करवाने की सराहाना की. वही मंगलवार को गैर महोत्सव के समापन परं आयोजन कमेटी की ओर से भामाशाहो व गैर नृत्य दल का भी स्मृति चिन्ह देकर बहुमान किया गया. भक्त प्रहलाद सेवा समिति के सचिव हितेष प्रजापत ने गैर महोत्सव के सफल आयोजन पर सभी कार्यकर्ताओं, भामाशाह, गैर नृत्य दल सहित समस्त नागरिको का आभार जताया.

इस दौरान ओबाराम देवासी, मीठालाल दर्जी, पारसमल परमार, सार्दुलाराम घांची, पुखराज घांची, हीरालाल घांची, शंकर भादरू, हरीराम घांची, खसाराम सांखला, हीरपुरी, मकसा मेवाडा, भोमाराम प्रजापत, प्रहलाद माली, गमनाराम माली, अम्बालाल परिहार, विक्रम सोलंकी, गोविन्द पुरी, सुरेश सोलंकी, जवानाराम प्रजापत, सोहनलाल घांची, प्रकाश परमार, उमाकांत गुप्ता, उत्तम प्रजापत, धीरज सांखला, बंसत सुथार, नैनाराम लुहार, शांतिलाल सुथार, लक्ष्मणसिंह सांखला, कनिष्क चैधरी, चम्पालाल सुथार, पीराराम चैधरी एवं करनाराम देवासी सहित काफी संख्या में नागरिक मौजूद थे.

 

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