सवेरे से मंदिर में दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की रेलमपेल लगी रही. गणपति को 500 किलो मोदक का भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरण की. यह मंदिर भीनमाल शहर के एकांत जगह पर स्थित है, जो आज मंदिर गणेश भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
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Bhinmal: जालोर ज़िले के भीनमाल शहर के खजुरिए नाले स्थित प्राचीन सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी पर्व पर मेले का आयोजन हुआ. मंदिर में यज्ञ और महाआरती हुई. यजमानों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां दी.
सवेरे से मंदिर में दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की रेलमपेल लगी रही. गणपति को 500 किलो मोदक का भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरण की. यह मंदिर भीनमाल शहर के एकांत जगह पर स्थित है, जो आज मंदिर गणेश भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
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गणेश भक्तों की मान्यता है कि बुधवार के दिन जो भक्त मन्नत मांगते हैं, उसे नाड़ी वाले गणपति पूरी करते हैं. मान्यता अनुसार कई साल पुराने इस मंदिर जो मुगल शासन के समय अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर ध्वस्त कर दिया था, जिसके अवशेष आज भी मंदिर परिसर में मौजूद हैं. मंदिर का करीबन 50 वर्ष पूर्व निर्माण करवाया गया. शहर सहित आसपास के गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
पांडालों में गाजे-बाजे के साथ विराजे गजानंद
नगर में गाजे बाजे के साथ बुधवार से गणपति की स्थापना के साथ ही दस दिन गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई. शहर के प्रत्येक गली मोहल्लों व घरों में तैयार पांडालों में गणपति की स्थापना की गई है. विनायक गणेश की स्थापना का कार्य शुभ मुहूर्त में सुबह से ही शुरू हो गया था. लोग गाजे-बाजे के साथ गणपति बप्पा मोरिया के नारों व डीजे की धून पर नाचते हुए गणेश प्रतिमाएं घरों और स्थापना स्थल तक ले गए. विधिवत पूजन के साथ गणेशजी को लड्डुओं का भोग लगाया गया. पाण्डालों में गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे गूंजते रहे.
शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया
महोत्सव को लेकर युवाओं और बच्चों में क्रेज देखते ही बन रहा था. शहर के नेहरू मार्केट, पिपली चौक, गणेश चौक समेत कई जगहों पर गणपति महोत्सव का शुभारंभ हुआ. इसके अलावा शाम को वराह श्याम मंदिर से शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासियों ने भाग लिया. इस दौरान जहां-जहां से रेवाडी निकली, वराहश्याम की प्रतिमा के नीचे से लोगों ने निकल कर परिक्रमा की.
ये रहे मौजूद
इस मौके मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हरिसिंह सोलंकी, सचिव अमृतलाल प्रजापत, डूंगरसिंह सोलंकी, जबरसिंह सोलंकी, नारायण माली, नेकाराम बंजारा, नरेन्द्रसिंह सोलंकी, भंवर माली, नंदकिशोर वैष्णव, किशनलाल, गणपत बोहरा, निरंजन बोहरा, पारसमल माली, नरपतसिंह राव, हकसिंह राव, बसंत अग्रवाल, मानसिंह, खेताराम ,वेलाराम माली, डॉ. समरजीतसिंह समेत क्षेमकरीमाता मंदिर के ट्रस्ट के पदाधिकारियों और लोग मौजूद रहे. साथ ही पुलिस व्यवस्था को लेकर पुलिस ज़ाब्ता भी मौजूद रहा.
Reporter- Dungar Singh
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