झुंझुनूं के समस तालाब के पास स्थित बाबा शंकरदास आश्रम में, जहां पर गुरू पूर्णिमा पर अपने गुरू के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचे. झुंझुनूं के बाबा शंकरदास करीब तीन दशक पहले ब्रह्मलीन हो गए थे, लेकिन उनके शिष्यों, भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था आज भी कम नहीं हुई.
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Jhunjhunu: झुंझुनूं में एक ऐसी आस्था का केंद्र है, जहां पर गुरू तो ब्रह्मीलन हो गए, पर उनके शिष्य, सेवक और भक्त आज भी उनकी मूर्ति मात्र के दर्शन कर अपने आपको सबसे भाग्यशाली मानते हैं. झुंझुनूं के समस तालाब के पास स्थित बाबा शंकरदास आश्रम में, जहां पर गुरू पूर्णिमा पर अपने गुरू के दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचे. झुंझुनूं के बाबा शंकरदास करीब तीन दशक पहले ब्रह्मलीन हो गए थे, लेकिन उनके शिष्यों, भक्तों और श्रद्धालुओं की आस्था आज भी कम नहीं हुई. हर साल गुरू पूर्णिमा पर मुंबई, हैदराबाद, जयपुर समेत महानगरों के अलावा राजस्थान के कोने कोने से श्रद्धालु केवल मात्र बाबा शंकरदास की मूर्ति के दर्शन करने और उनसे आशीर्वाद लेने आते हैं. बाबा शंकरदास के भक्तों की उनमें एकलव्य जैसी निष्ठा है.
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आश्रम के सहयोगी पवन पांडे ने बताया कि सुबह धर्मपाल ढंढ के आचार्यत्व में पूजा अर्चना कर प्रतिमा का अभिषेक किया गया. इसके बाद प्रतिमा और पूरे आश्रम को सजाया गया. इस मौके पर दिनभर दर्शन पूजन का दौर चला. वहीं शाम को भंडारे का आयोजन किया गया. मुख्य रूप से बाबा शंकरदास के आध्यात्मिक शिष्य कैलाश पनवाड़ी, मुंबई से सुरेश सहल, हैदराबाद से सुनिल राणासरिया, मुंबई से विवेक जैन, जयपुर राजेंद्र जोशी, मनीष जोशी, झाबरमल पुजारी, मुरारी ढंढ, सुशील जोशी एडवोकेट, कमल शर्मा एडवोकेट, गोपीशरण पारीक, उमाशंकर महमिया, कमलकांत शर्मा, राकेश सहल, रेखा खंडेलिया, सविता पांडे, मनीषा जोशी, एकता जोशी, प्रकाश सिंधी, प्रकाश सुरोलिया आदि इस मौके पर मौजूद रहें.
Reporter - Sandeep Kedia
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