'चिरंजीवी' से मिलेगी झुंझुनू के बबलू को संजीवनी, मौत से बचेगा जीवन
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'चिरंजीवी' से मिलेगी झुंझुनू के बबलू को संजीवनी, मौत से बचेगा जीवन

Jhunjhunu news: झुंझुनूं के सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हीरवा गांव में नरेंद्र शर्मा के  बेटे बबलू को अज्ञात बीमारी हो जाने की खबर जी राजस्थान न्यूज पर प्रमुखता से प्रसारित होने के बाद जिले का  स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है.  जिसके बाद उनके बच्चे का चैकअप करवाया गया.

'चिरंजीवी' से मिलेगी झुंझुनू के बबलू को संजीवनी, मौत से बचेगा जीवन
Jhunjhunu news: झुंझुनूं के सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हीरवा गांव में नरेंद्र शर्मा के  बेटे बबलू को अज्ञात बीमारी हो जाने की खबर जी राजस्थान पर प्रमुखता से प्रसारित होने के बाद जिले का  स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया है. सराकारी अस्पताल के  सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने एक चिकित्सा दल को हीरवा में नरेंद्र शर्मा के घर भेजा , जिससे  बीमार उनके बच्चे का चैकअप करवाया गया.  
प्रारंभिक चैकअप में चिकित्सकों की टीम ने पाया है कि यह एक जेनेटिक डिजीज है. जिसकी जांच और  ईलाज, दोनों ही जयपुर में संभव है. डॉ. डांगी ने बताया कि सूचना मिलने के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास बड़सरा, फिजीशियन डॉ. राजीव दूलड़, डूमोली के चिकित्सा अधिकारी डॉ. लोकेश, लैब टेक्निशियन चुकेश कुमारी, हीरवा के नर्सिंग ऑफिसर देवकरण को नरेंद्र के घर पर भेजा गया है.
 
 डॉ. डांगी ने बताया कि परिवार से बातचीत कर उन्हें ईलाज करवाने के लिए आश्वस्त किया है. परिवार को बताया गया है कि वे अपनी सुविधानुसार जयपुर जाए. तब हमें इंफोर्म कर दें. जिसके बाद सरकारी खर्चे पर बबलू को एसएमएस जयपुर में ले जाया जाएगा. जहां पर जेनेटिक डिजीज को डाइग्नोस्टिक करवाने के बाद वहीं पर चिरंजीवी योजना में फ्री में ईलाज करवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी आम दिनों में बबलू के स्वास्थ्य को लेकर चिकित्सकों की टीम ने परिवार को हिदायत दी है. 
 
आपको बता दें कि हीरवा गांव के नरेंद्र शर्मा का एक पुत्र और उसके भाई का एक पुत्र इसी तरह एक अज्ञात बीमारी के कारण चल बसे है. इस अज्ञात बीमारी के कारण आठ-नौ साल तक तक तो बच्चे स्वस्थ रहते है. इसके बाद अचानक धीरे धीरे उनका वजन बढ़ता जाता है और फिर वे चलने, फिरने और बैठने में असहाय हो जाते है. इसके बाद बैड से खड़े तक नहीं हो सकते. नित्यकर्मों में भी परेशानी होने लगती है. नरेंद्र शर्मा का परिवार बेहद गरीब है. जिसके कारण वे ना तो पहले वाले बेटे का ईलाज करवा सके और अब इस बेटे की भी केवल घर में सेवा कर रहे है. ईलाज कराने में असमर्थ है.

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