राजस्थान के SMS हॉस्पीटल के डॉ. रंजन लांबा की मुश्किलें बढ़ गई है. सीजेएम झुंझुनूं के न्यायालय में प्रस्तुत इस्तगासे के आधार पर रोड नंबर एक स्थित गोल्डन टावर के तीन शो रूम्स को गलत तरीके से कागजात बनवा कर, शो रूम हड़पने का मुकदमा शहर के सराफा व्यवसाय एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवकरण जानूं की ओर से दर्ज करवाया गया है.
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Case registered against SMS doctor Dr. Ranjan Lamba : झुंझुनूं में पिछले दिन आय से अधिक संपत्ति मामले में एसीबी के सर्च के बाद एक बार फिर डॉ. रंजन लांबा और उनका परिवार चर्चा में आ गया है.
दरअसल शहर के जाने-माने सर्राफा कारोबारी और समाजसेवी शिवकरण जानूं ने डॉ. रंजन लांबा समेत उनके ही परिवार के चार सदस्यों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कोतवाली में मामला दर्ज करवाया है.
सीजेएम झुंझुनूं के न्यायालय में प्रस्तुत इस्तगासे के आधार पर रोड नंबर एक स्थित गोल्डन टावर के तीन शो रूम्स को गलत तरीके से कागजात बनवा कर, शो रूम हड़पने का मुकदमा शहर के सराफा व्यवसाय एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवकरण जानूं की ओर से दर्ज करवाया गया है.
इसमें गुढ़ा रेलवे फाटक के समीप रहने वाले चार जनों डॉ. रंजन लांबा पुत्र रामनिवास लांबा, माली देवी पत्नी रामनिवास लांबा, डॉ. सुनिता लांबा पत्नी डॉ. रंजन लांबा व डॉ. अभिषेक लांबा पर आरोप लगाया गया है. हमीरी खुर्द निवासी जानूं ने इस्तगासे में बताया कि उन्होंने गोल्डन टावर में अपनी मां धनपती देवी के नाम से धनपति ज्वैलर्स फर्म कंपनी बनाई थी.
इसमें डॉ. रंजन लांबा हिस्सेदार, साझेदार डायरेक्टर थे. इसके तहत गोल्डन टावर में तीन शो रूम्स जी-2, एफ-2 तथा एस-2 थे. इन शो रूम्स को खरीदने के लिए फर्म की ओर से आईसीआईसीआई बैंक से 2 करोड़ 46 लाख रुपए का ऋण लिया गया था.
इसकी गारंटी के रूप में शिवकरण जानूं की पत्नी संजना जानूं ने अपनी संपत्ति बैंक में गिरवी रखी थी. इस बीच डॉ. रंजन लांबा ने फर्म कंपनी का साझेदार डायरेक्टर होने का लाभ उठाते हुए शिवकरण जानूं को अंधेरे में रखते हुए जी-2 रूम अपनी मां माली देवी, पत्नी डॉ. सुनिता लांबा, डॉ. अभिषेक के नाम से करवा लिया. इनकी रजिस्ट्री भी करवा ली.
इसके लिए डॉ. रंजन लांबा ने दिखावटी भुगतान किया. इसका पता चलने पर जानूं के पांवों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवाना चाहा तो आरोपी डॉ. रंजन लांबा ने अपने रसूखात के चलते मामला दर्ज नहीं होने दिया.
इधर जानूं को न तो उस शोरूम में काम करने दिया और ना ही बैंक का लोन चुकाने में मदद की। लोन की किश्तें और ब्याज जानूं को ही चुकाना पड़ रही हैं, क्योंकि उनकी पत्नी इसमें गारंटर है. जानू ने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 442, 147, 420, 467, 468, 471, 511 व 34 के तहत इस्तगासा प्रस्तुत किया.
जिस पर न्यायालय के आदेश से पुलिस ने अब मामला दर्ज किया है. कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इस मामले में डॉ. रंजन लांबा और अन्य आरोपितों की प्रतिक्रिया की भी कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका. हमें डॉ. लांबा व अन्य की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा.