शिवाजी जन्मोत्सव पर हुआ भव्य शोभायात्रा का आयोजन, संतों ने दिया एकता का अनोखा संदेश
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शिवाजी जन्मोत्सव पर हुआ भव्य शोभायात्रा का आयोजन, संतों ने दिया एकता का अनोखा संदेश

जोधपुर जिले के बिलाड़ा में हिन्दू जागरण मंच की ओर से आयोजित हिंदू स्वराज स्थापना दिवस पर कस्बे में भव्य शोभायात्रा निकाली गई. केसरिया पताका के साथ लहरा रही शोभा यात्रा का जगह जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया.

 

रामलीला मैदान में धर्म सभा

Bilara- जोधपुर जिले के बिलाड़ा कस्बे में हिंदू जागरण मंच की ओर से आयोजित हिंदू स्वराज स्थापना दिवस पर शोभायात्रा निकाली गई. शोभा यात्रा का लोगों ने जगह - जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया. कस्बे के रामलीला मैदान में आयोजित शिवाजी जन्मोत्सव समारोह के दौरान बौध्दिक प्रमुख शान्ति प्रसाद ने कहा कि शिवाजी कोई नाम नहीं है, बल्कि भारतीय हिंदू समाज के उस शौर्यपूर्ण यात्रा का इतिहास हैं. जिसने ''काफिर-कुफ्र'' अवधारणा को न केवल समझा साथ ही उससे भारतीय सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु सदियों तक चलने वाले वैचारिक और भौतिक संघर्ष की भूमिका भी तैयार की. जिस भव्यता के साथ हम काशी विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी गौरी श्रृंगार मंदिर के जन आंदोलन को देख रहे है. उसका छत्रपति शिवाजी द्वारा स्थापित परंपरा के बिना श्रीगणेश ही नहीं होता. इसी तरह तब 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से 7 का पुनर्निर्माण संभव हुआ.

उन्होंने कहा धरती पर कुछ ऐसी हस्तियां जन्म लेती हैं. जिनके कर्म और विचार सदियों तक लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. ऐसे ही व्यक्तित्व के स्वामी छत्रपति शिवाजी महाराज हुए. इसलिए महान मराठा छत्रपति शिवाजी की जयंती को एक पर्व की तरह मनाया जाना चाहिए . इस दिन ढे़रों सांस्कृतिक कार्यक्रम और जुलूसों का आयोजन होने लगे हैं. शिवाजी एक ऐसे महान योद्धा थे. जो अपने जीवन में बहुत पहले ही युद्ध के लिए तैयार हो गए थे और उन्होंने कई युद्ध लड़े थे. वह एक भारतीय योद्धा और मराठा वंश के सदस्य थे. उनके पिता शाहजी भोसले एक सेनापति थे. जबकि उनकी मां जीजाबाई एक धार्मिक महिला थीं. उन्होंने अपनी माता से सीखे हुए ज्ञान को अपने जीवन में उतार लिया था. यही वजह थी की वह धर्म और आध्यात्म से काफी जुड़े थे. शिवाजी महाराज बचपन से ही सामंती प्रथा के खिलाफ थे और उन्होंने मुगल शासकों की क्रूर नीतियों का जमकर विरोध किया था. इसी जोश के कारण उन्होंने मुगलों को धूल चटाई थी.

मलूक आश्रम के संत रामदास जी महाराज ने उपस्थित जन समूह से आह्वान किया कि अब समय आ गया है कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज को जातिवाद से ऊपर उठ कर संगठित होना चाहिए. पिछले आठ वर्षों में हिंदू समाज ने जो अपनी एकता का प्रदर्शन किया उसका परिणाम आज सभी के सामने है. कश्मीर की घाटी धारा 370 से मुक्त हुई, राम मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, विश्व में भारत शक्तिमान बना और अब जो लोग भारत को तोड़ने, विभाजित करने की चेष्टा कर रहे हैं वे भी मोदी की कूटनीति के आगे नही टिक पाएंगे. इस अवसर पर कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति को लेकर भी चर्चा की.

शिवा और राणा की जय जयकार से गुंजा सभागार
प्रारंभ में पालिका अध्यक्ष रूपसिंह परिहार, उपाध्यक्ष लक्ष्मण पटेल, हनुमान मंदिर के संत ताजा राम महाराज एवं बौद्धिक प्रमुख शांति प्रसाद ने छत्रपति शिवाजी महाराज के आदम कद चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया. स्वयंसेवक सोनी ने संघ का गीत प्रस्तुत किया. इस बीच रामलीला मैदान का सभागार शिवा की जय - जय, राणा की जय - जय के जयघोष से गूंज उठा. समारोह में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी धुरंधर मेघवाल, शिक्षक संघ राष्ट्रीय के अध्यक्ष सहीराम विश्नोई, पूर्व पालिका अध्यक्ष मदनसिंह राठौड़, नगर पार्षद और आत्माराम चौहान भी मौजूद रहे. समारोह में महिलाएं उपस्थित रही.

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कस्बे में निकला जुलूस 
हिंदू साम्राज्य के छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक दिवस को लेकर नवयुवकों ने अपने वाहनों पर केसरिया पताका लहराते हुए कस्बे के नाथद्वारा मैदान से जुलूस के रूप में निकले. यह केसरिया वाहन यात्रा बडेर चौक, सोचती गेट, नई सड़क, लाल चौक, सुभाष मार्ग, इंदिरा कॉलोनी, लाल बहादुर शास्त्री, मोती चौक, सदर बाजार, मोचीवाड़ा होते हुए शोभायात्रा बडेर चौक पहुंच रामलीला मैदान में धर्म सभा में परिवर्तित हो गई.

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Reporter- Arun Harsh

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