खेती में ये नवाचार अपनाकर किसान की हुई बल्ले-बल्ले,जुनून और मेहनत लाई रंग
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खेती में ये नवाचार अपनाकर किसान की हुई बल्ले-बल्ले,जुनून और मेहनत लाई रंग

किसान शेडनेढ़-पालीहाउस व बागवानी खेतीं में लाखों की आमदनी ले रहे है. पश्चिम राजस्थान में सिचांई जल बचत करना एक महत्वपूर्ण बात है.

खेती में ये नवाचार अपनाकर किसान की हुई बल्ले-बल्ले,जुनून और मेहनत लाई रंग

Jodhpur: सूखा प्रदेश कहे जाने वाले  राजस्थान के किसान भी अब खेती में नवाचार कर रहे हैं. इस नवाचार से बागवानी खेती कर लाखों की आमदनी ले रहे है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जोधपुर जिले देचू गुमानपुरा के किसान गोपाल सिंह ने. 

किसान शेडनेढ़-पालीहाउस व बागवानी खेतीं में लाखों की आमदनी ले रहे है. पश्चिम राजस्थान में सिचांई जल बचत करना एक महत्वपूर्ण बात है. किसान खेत तलाई और सामुदायिक फार्म पौण्ड को अपनाकर बरसात का जल संचय कर उसमे संचय जल का कुशलतम उपयोग भी कर रहे है. 

नित्य खेती में नवाचार को अपना कर क्षेत्र के किसान खेती आय का लाभ भी ले रहे हैं. लेकिन ऐसे एक किसान को आपको रूबरू करवा कर रहे है जिसने अंजीर की खेतीं को सफलतापूर्वक पनपा कर नवाचार खेती में कदम रखा है. 

ग्राम गुमानपुरा पंचायत समिति देचू जिला जोधपुर के निवासी गोपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि उनका 90 बीघा कृषि फार्म हाउस है . जिस पर दो नलकूप हैं. सिंचित क्षेत्र में परमपरागत खेतीं का वास्तविक लागत आय का मुनाफा नहीं मिल रहा था. इसको देखते उन्होंने खेती के नवाचार का सोचा.

किसान ने बताया कि अंजीर की खेती को आजमाया जाए. उन्होंने पिछले वर्ष सितंबर में अंजीर की खेती करने का मानस बनाया.सिवाना बाड़मेर जिले में अंजीर की खेती के पौधे के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त किया. फिर सोचा क्यों नहीं मैं भी इस खेती को आजमाऊं.कुल 3500 पौधे ₹325प्रति पौधे के हिसाब से खरीद कर बीस बीघा कृषि भूमि पर बगीचा स्थापित किया.

नवाचार बगीचा अंजीर का अपनाया.3500पौधे स्थापित किये जिसमें 500 पौधे नष्ट हो गए और 3000 पौधे सफल पनपे.पौधे खरीद के समय एग्रीमेंट किया हुआ जो पौधे नष्ट होंगे उसके स्थान पर गेपफिलिंग में नि:शुल्क पुन पौधे मिलेगे.

500 पौधे वापस उस स्थान पर लगाये आज 3500 पौधों का अंजीर का बगीचा सफलतम पनपा.अभी 1200 किलोग्राम अंजीर उत्पादन उन्होंने प्राप्त कर बिक्री की और अब उम्मीद है प्रति पौधा 8 से 10 किलोग्राम उत्पादन मिलने की संभावना है. यदि प्रति पौधा 800 से 1000 रुपये प्रति पौधे से आय मिलती है तो कुल 3500 पौधे से कुल आय 25 से 30 लाख रूपये प्राप्त होने की उम्मीद है. जो अन्य फसलों से मिलना मुश्किल है.पौधों में सिचांई आधुनिक संसाधन में बूंद बूंद सिचांई पद्धति को अपनाया.यह एक औषधि खेती है.

Reporter-Bhawani Bhati

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