Jodhpur News: नौलखा बावड़ी में छिपे खजाने से बना मां सच्चियाय मंदिर, सपने आकर मां ने खुद बताया था खजाने पता
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Jodhpur News: नौलखा बावड़ी में छिपे खजाने से बना मां सच्चियाय मंदिर, सपने आकर मां ने खुद बताया था खजाने पता

Jodhpur News: जोधपुर जिले में स्थित मां सच्चियाय के मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. यहां हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है. वहीं, नवरात्रि के दौरान यहां पर कई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. 

Maa Sachchiya temple

Rajasthan News: जोधपुर जिले में पूर्व दिशा में पहाड़ी पर स्थित तीन हजार साल से भी अधिक पुराना मां सच्चियाय का मंदिर विश्व विख्यात है. मंदिर आठवीं शताब्दी में बना और उसके बाद 12वीं शताब्दी में मंदिर की मरम्मत करवाई गई. पहाड़ी पर अपने आप प्रकट हुई महिषासुर मर्दिनी उसी स्वरूप में आज भी है. देवी मूर्ति की चार भुजाएं है. सत्य वचन कहने के कारण उसका नाम सच्चियाय माता कहा जाता है. 

मां सच्चियाय के मंदिर से जुड़ी कहानी
किंवदंतियों के अनुसार, राजा उत्पलदेव परमार का स्वप्न में आकर माता ने दर्शन दिए और बताया कि तात्कालिक ओसियां में स्थित नौलखा बावड़ी में स्वर्ण मुद्राओं का भंडार है. उसे निकालकर इस मंदिर का निर्माण करवाओं. यह कहकर देवी अन्तर ध्यान हो गई. इसके बाद स्वप्न में बताए अनुसार, राजा उत्पलदेव ने बावड़ी से स्वर्ण मुद्राओं का खजाना निकाला और इस मंदिर का निर्माण करवाया. 

नवरात्रि के दौरान होता है विशेष आयोजन
विश्व विख्यात सच्चियाय माता मंदिर में कोरोना काल से पहले प्रतिदिन सैकड़ों देशी विदेशी पर्यटक आते थे, जो मंदिर की कलाकृतियों को बारीकी से निहारते है. इनमें सबसे ज्यादा भक्त कलकत्ता और दिल्ली से यहां आते है जो कि नवरात्रि के दिनों ने पूरे नवरात्र यही पर रहकर मंदिर में देवी की पूजा अर्चना करते है. कहा जाता है कि सच्चियाय माता राजपूत, ओसवाल, जैन, माहेश्वरी, ब्राह्मण, जैन, सोनार, दर्जी, माली, विश्नोई, मेघवाल सहित कई समाज में आने वाली अलग-अलग जाति विशेष की कुलदेवी है. वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था और संचालन 1976 में पुजारी स्वर्गीय जुगराज शर्मा द्वारा स्थापित ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. साल भर में करीबन 40 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन को आते है. साल में दो नवरात्रि चैत्र और आसोज में मंदिर मेला लगता है, जहां पर 9 दिनों तक धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते है. 

मंदिर के बारे में श्रद्धालुओं की मान्यता
जानकारी के अनुसार, ओसवाल जैन समाज की उत्पत्ति यही से हुई मानी जा रही है. वही मंदिर के व्यवस्थापक ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि मंदिर में ये मान्यता है कि जो भी सच्चियाय माता को अपनी कुलदेवी मानता है वे अपने परिवार के जात, जडूले या प्रसादी चढ़ाने के बाद रात्रि में ओसियां में नहीं रुक सकते. यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान यहां दूर दराज से आने वाले 36 ही कौम के भक्त अपनी कुलदेवी की नवरात्रि के दौरान 9 दिन पूजा अर्चना कर 9 वे दिन प्रसादी चढ़ाकर यहां से प्रस्थान करते है. वहीं, यह भी मान्यता है कि भक्त प्रसाद को अपने साथ ओसियां से बाहर नहीं ले जा सकते.

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