71 वर्षीय लाखा खान को संगीत कला क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला है.
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Jodhpur: जिले के बाप तहसील क्षेत्र के रानेरी गांव के रहने वाले लाखा खान (lakha khan) को पद्मश्री सम्मान (padma shri award) मिला है. लाखा खान देश के एकमात्र प्यालेदार सिंधी सारंगीवादक (sarangi player) हैं जो 6 भाषाओं में गाते हैं. 71 वर्षीय लाखा खान को संगीत कला क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला है.
जोधपुर (Jodhpur News) के बाप तहसील के रनेरी गांव में पारंपरिक संगीतकारों (Traditional Musicians) के परिवार में जन्में लाखा खान को कम उम्र में ही उनके पिता थारू खान द्वारा और बाद में उनके चाचा मोहम्मद खान द्वारा मंगणियारों के मुल्तान स्कूल की रचनाओं का प्रशिक्षण दिया गया. 60 और 70 के दशक के उत्तरार्ध में लाखा खान का संगीत के क्षेत्र में सार्वजनिक प्रदर्शन प्रारंभ हुआ. लोक कला मर्मज्ञ कोमल कोठारी के मार्गदर्शन में यूरोप (Europe), ब्रिटेन, रूस और जापान सहित विश्व के कई देशों में लाखा खान ने अपनी कला का प्रदर्शनक किया है.
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मांगणियार समुदाय में प्यालेदार सिंधी सांरगी बजाने वाले लाखा खान एकमात्र कलाकार हैं. हिन्दी, मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी और मुल्तानी सहित 6 भाषाओं में गाने वाले लाखा खान को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (Sangeet Natak Akademi Award) सहित देश-विदेश में कई बार पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. लाखा खान ने जटिल वाद्ययंत्र सिंधी सारंगी में महारत हासिल की है. वर्ष 2017 में मारवाड़ रत्न पुरस्कार से भी लाखा खान को सम्मानित किया जा चुका है.
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लाखा खान ने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. लाखा ख़ान अपनी पुरखों की विरासत को संभाले हुए देश के साथ-साथ विदेशों में भी कार्यक्रम कर चुके हैं. लाखा खान जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) और जोधपुर रिफ फेस्टिवल में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं.