Astrology : वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि साढ़ेसाती के दौरान जातकों को कई तरह के कष्ट और परेशानियों से गुजरना पड़ता है. शनि को न्याय का देवता माना जाता है जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर परिणाम देता है. शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रहों में से एक है. जो एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 2.5 वर्ष का समय लेते हैं. जब शनि गोचर करता है तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है, जबकि कुछ राशियों पर समाप्त हो जाती है
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Astrology : वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि साढ़ेसाती के दौरान जातकों को कई तरह के कष्ट और परेशानियों से गुजरना पड़ता है. शनि को न्याय का देवता माना जाता है जो व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर परिणाम देता है. शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रहों में से एक है. जो एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 2.5 वर्ष का समय लेते हैं. जब शनि गोचर करता है तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है, जबकि कुछ राशियों पर समाप्त हो जाती है . आज का पंचांग
वैदिक गणना के अनुसार शनि को सभी 12 राशियों में गोचर करने में लगभग 30 वर्ष लगते हैं. साल 2023 से ये कुंभ राशि में है और अब ये अपनी राशि बदलने जा रहे हैं. शनि जब मीन राशि में गोचर करेंगे तो कुछ राशियों पर अपनी बुरी दृष्टि डालेंगे, तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. चलिए बताते हैं कि साल 2025 में शनि गोचर के क्या प्रभाव पड़ेगा.
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2027 तक संभलकर रहें कुंभ राशि के जातक
29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इससे मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का पहला चरण शुरू हो जाएगा. इसी प्रकार मीन और कुंभ राशि पर क्रमशः शनि साढ़े साती का दूसरा और अंतिम चरण प्रारंभ होगा. 3 जून 2027 तक कुंभ राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का प्रभाव दिखाई देग. शनि के मीन राशि में प्रवेश करते ही मेष राशि के जातकों पर 2032 तक साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी.
मकर और कर्क के लिए गुड न्यूज
2027 में वृषभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती का पहला चरण शुरू होगा. वहीं 8 अगस्त 2029 को मिथुन राशि वालों के लिए साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी, जो अगस्त 2036 तक रहेगी. मई 2032 में कर्क राशि वालों पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा, जो 22 अक्टूबर 2038 तक रहेगा. कुम्भ, मीन, मिथुन, मेष और कर्क पर शनि की दृष्टि रहेगी. मार्च 2025 में शनि के मीन राशि में गोचर से मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्ति मिलने वाली है, वहीं कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिलेगी.
क्या होती है शनि की साढ़े साती और इसके तीन चरण
शनि साढ़े साती का पहला चरण
साढ़े साती के पहले चरण के दौरान, शनि चंद्र राशि के 12वें घर में गोचर करता है. इस अवधि में आर्थिक हानि, शत्रुओं से परेशानी, फिजूल या अनावश्यक यात्राएं और धन की कमी का सामना करना पड़ता है. जातक अपने सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में असमर्थ रहते हैं. कार्यस्थल पर चीज़ें उनके पक्ष में नहीं हैं. इन्हें परिवार में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह चरण व्यक्ति के लिए बहुत अधिक दबाव और चिंता लेकर आता है.
शनि साढ़े साती का दूसरा चरण
शनि साढ़े साती का यह चरण कठिन होता है. इस अवधि के दौरान जातकों को अपने जीवन में स्वास्थ्य समस्याओं, रिश्तों में दरार, मानसिक तनाव, दर्द और दुख से गुजरना पड़ता है. इस अवधि में सफलता प्राप्त करना व्यक्ति के लिए अत्यंत कठिन होता है. उन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिल पाता है. साथ ही इस दौरान उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है.
शनि साढ़े साती का तीसरा चरण
शनि साढ़े साती के इस चरण के दौरान, शनि चंद्र राशि के दूसरे घर में गोचर करता है. व्यक्ति को आर्थिक और पारिवारिक जीवन में परेशानियों से गुजरना पड़ता है. अन्य चरणों की तुलना में इस चरण में अधिक राहत है लेकिन पैसों का दबाव इस चरण में भी बना रहता है. खर्चों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. अचानक हुए आर्थिक नुकसान से भी लोग परेशान हैं. उनके यहां चोरी होने की भी आंशका होती है और विचार नेगेटिव रहते हैं.
(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी जी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)