शेखचिल्ली के डर से परियों ने दे दिया था जादुई घड़ा
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शेखचिल्ली के डर से परियों ने दे दिया था जादुई घड़ा

(Sheikh Chilli) शेख चिल्ली गरीब था, पढ़ाई लिखाई उसे पंसद नहीं थी. वो बस दिन रात खेलता रहता था. ज्यादातर समय मोहल्ले के लड़कों के साथ कंचे खेलने में बीतता और बाकी का ख्याली पुलाव पकाने में.

शेखचिल्ली के डर से परियों ने दे दिया था जादुई घड़ा

Bed Time Story : शेख चिल्ली गरीब था, पढ़ाई लिखाई उसे पंसद नहीं थी. वो बस दिन रात खेलता रहता था. ज्यादातर समय मोहल्ले के लड़कों के साथ कंचे खेलने में बीतता और बाकी का ख्याली पुलाव पकाने में.

शेख चिल्ली से उसकी मां परेशान थी. एक दिन उसने शेख चिल्ली को बुलाया और कहा कि तू कब तक आवारा लड़कों के साथ कंचे खेलेगा, अब तो बड़ा हो गया है कोई काम क्यों नहीं करता या जिंदगी भर बैठ बैठ कर मुफ्त की रोटियां खाएगा ?

अगले ही दिन शेख चिल्ली नौकरी के तलाश में लग गया. शेख चिल्ली की मां ने उसे रास्ते के लिए 7 रोटियां एक थैली में बांधकर दी. आधा रास्ते में ही शेख चिल्ली को भूख लगी तो वो एक कुएं के पास रूका और थैली से रोटियां निकाल कर खाने लगा.

थैली में 7 रोटियां थी. शेख चिल्ली सोचने लगा एक खाऊं, दो खाऊं या तीन या चार या फिर पांच या फिर छह या सारी सातों खा जाऊं ? शेख चिल्ली जिस कुएं के पास बैठकर सोच रहा था. वहां 7 परियां रहती थी.

शेख चिल्ली की खाने वाली बात सुनकर परियां डर गयी. उन्हे लगा शेख चिल्ली उन सातों परियों को खा जाएगा. डर के मारे डरी परियां कुएं से बाहर आई और बोली की शेख चिल्ली हमें मत खाना.

शेख चिल्ली कुछ समझ पाता उससे पहले ही परियों ने शेख चिल्ली को कहा कि हमें मत खाना, हम तुम्हे एक घड़ा देंगे. जिसमें तुम जो मुराद मांगोंगे पूरो होगी. जैसे शेख चिल्ली ये बात सुनी वो खुश हो गया. घड़ा लेकर वो अपनी मां के पास गया.

शेख चिल्ली ने मां को घड़े की कहानी बतायी. फिर मां ने सोचा क्यों ना घड़े को आजमाया जाए. तो घड़े से 56 भोग पकवान मांगे गये जो तुरंत सामने आ गये. रुपए -पैसे मांगे तो वो भी आ गये. शेख चिल्ली अब अमीर हो गया था. मां-बेटा बहुत खुश थे.

लेकिन शेख चिल्ली की मां को ये पता था कि उसका बेटा मूर्ख है, जो पूरी दुनिया को इस घड़े के बारे में बता देगा. इसलिए उसकी मां बाजार गयी और ढेर सारे बताशे खरीद लायी. फिर छप्पर पर चढ़कर बताशे की बारिश की.

मूर्ख शेख चिल्ली को लगा की घड़े की वजह से बताशे गिर रहे हैं, उसने बहुत सारे बताशे खाये.धीरे धीरे शेख चिल्ली और उसकी मां के पहनावे, घर और रहन सहन से सबको पता चल गया कि वो अमीर हो गये हैं. सबके मन में ये सवाल था कि ऐसा कैसे हुआ.

गांव के लोगों ने सोचा कि मूर्ख शेख चिल्ली से पूछते हैं, वो सब बता देगा. तो मौका पाते ही गांव के लोगों ने शेख चिल्ली से पूछ लिया आज कल तुम बड़े मजे से जी रहे हो. ऐसे में शेख चिल्ली ने परी और घड़े वाली कहानी उन लोगों को बतायी.

गांव के लोगों ने शेख चिल्ली से घड़ा दिखाने की बात कही. शेख चिल्ली उन लोगों के साथ जब घर पहुंचा तो मां ने कहा ऐसा कोई घड़ा नहीं है, शेख चिल्ली हमेशा सपनों में रहता है.

ये सुनकर शेख चिल्ली ने मां को कहा कि याद करों वो जादुई घड़ा जिसने छत से बताशे की बारिश की थी. ये सुनकर मां ने हंसते हुए कहा कि लो अब बताओं की क्या छप्पर से बताशे गिर सकते हैं. गांव के लोगों को लगा कि शेख चिल्ली की मां सही ही कह रही है, और सब वापस चले गये

इस कहानी से ये सीख मिलती है कि मूर्ख अगर सच भी बोल रहा हो, तो कोई उसका यकीन नहीं करता है. उम्र के साथ होशियारी और हुनर भी सीखना जरूरी है.

गर्दन कटने से ज्यादा शेखचिल्ली को थी बेगम के पैर चूमने की चिंता
 

 

 

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