Govardhan Puja 2024: इस वर्ष गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 02 अक्तूबर को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 34 मिनट तक निर्धारित किया गया है. यह समय गोवर्धन पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस समय में गोवर्धन पूजा करने से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए, भक्तों को इस शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करने का अवसर नहीं चूकना चाहिए.
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष दीपावली के एक दिन बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. गोवर्धन पूजा प्रकृति और मानव के बीच संबंध का प्रतीक है. विशेष रूप से, मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाना में यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.
आमतौर पर गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण यह 02 नवंबर को मनाई जाएगी. गोवर्धन पूजा के अवसर पर घरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाता है, जो भगवान कृष्ण को समर्पित होता है. यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण की भावना को बढ़ावा देता है.
गोवर्धन पूजा की शुभ तिथि
गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा के लिए है. इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हुई और 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के आधार पर, गोवर्धन पूजन 02 नवंबर को किया जाएगा. यह दिन भगवान कृष्ण की विजय और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, और इसे विशेष रूप से मनाने का महत्व है.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा के लिए इस वर्ष दो शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं. प्रातःकाल मुहूर्त सुबह 06:34 से 08:46 तक है, जबकि सायंकाल मुहूर्त दोपहर 03:22 से शाम 05:34 तक है. इसके अलावा, एक विशेष शुभ मुहूर्त दोपहर 03:22 से शाम 05:34 तक भी है, जिसमें गोवर्धन पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इन शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करने से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है.
गोवर्धन पूजा का है बड़ा महत्व
गोवर्धन पूजा का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन की पूजा करने से न केवल आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि इससे धन-धान्य, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है. भगवान गिरिराज की पूजा करने वाले भक्तों के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और गिरिराज महाराज, जो भगवान श्री कृष्ण का ही स्वरूप हैं, का आशीर्वाद पूरे परिवार पर बना रहता है. यह पूजा भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति को बढ़ावा देती है.
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा विधि में गाय, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विशेष महत्व है. इस पूजा को करने के लिए सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं. इसके बाद, रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें. पूजा के बाद, अपने परिवार सहित श्रीकृष्ण स्वरुप गोवर्धन की सात प्रदक्षिणा करें. मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने और गायों को गुड़ व चावल खिलाने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है.
गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट का भोग
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट त्योहार के नाम से भी जाना जाता है, जहां भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न, फल और सब्जियों से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है. अन्नकूट के लिए ऋतु संबंधी अन्न, फल, सब्जियां जैसे चावल, दूध और मावे से बने मिष्ठान, विभिन्न सब्जियां आदि का उपयोग किया जाता है. इसे पहाड़ के आकार में सजाकर भगवान कृष्ण को समर्पित किया जाता है. इसके बाद, इस अन्नकूट को प्रसाद के रूप में सभी को बांटा जाता है, जो भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक है. यह अन्नकूट गोवर्धन पूजा की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो प्रकृति और भगवान के प्रति सम्मान को दर्शाती है.
गोवर्धन पूजा कथा
गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण की महिमा और इंद्र के अभिमान की कहानी है. द्वापर युग में, इंद्र कुपित होकर मूसलाधार बारिश करने लगे, जिससे गोकुलवासी और गायें खतरे में पड़ गए. तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों और गायों की रक्षा की. इस तरह, ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी और वे गोवर्धन पर्वत की छाया में सुरक्षित रहे.
इंद्र को जब पता चला कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं, तो वह अपने कार्य पर लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की. भगवान कृष्ण ने इंद्र को क्षमा कर दिया और आशीर्वाद दिया कि गोवर्धन पूजा में इंद्र की भी पूजा की जाएगी. तब से, गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण, गाय, गोवर्धन पर्वत और इंद्र की पूजा की जाती है, जो भगवान की महिमा और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है.
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