बिग्रेडियर भूपेश हाड़ा बने बूंदी के 26वें महाराजा, पूर्व राजघराने ने नहीं माना पाग समिति का फैसला
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बिग्रेडियर भूपेश हाड़ा बने बूंदी के 26वें महाराजा, पूर्व राजघराने ने नहीं माना पाग समिति का फैसला

ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को बूंदी का 26वां महाराव राजा घोषित करते हुए पाग बांधने का फैसला लिया. आपको बता दें की बूंदी के पूर्व राजघराने की पाग का मसला 12 साल से सुलझ नहीं रहा था। 

बिग्रेडियर भूपेश हाड़ा बने बूंदी के 26वें महाराजा, पूर्व राजघराने ने नहीं माना पाग समिति का फैसला

Bundi: बूंदी राजघराने में 12 साल बाद ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा (Brigadier Bhupesh Hada)के सिर पर पाग बांधी गयी. राजघराने की सहमति नहीं होने के बाद भी पाग समिति के निर्णय अनुसार भूपेश को सुबह पूजा अर्चना के बाद पाग पहनाई गई. 

इस बीच शहर में कोरोना गाइडलाइन के चलते किसी जुलूस की इजाज़त नहीं मिली और पुलिस ने पूरी सख्ती दिखायी. इससे पहले पूर्व कर्नल महाराज बहादुर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण का कार्यक्रम हुआ.

पाग समिति बूंदी ने ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा को बूंदी का 26वां महाराव राजा घोषित करते हुए पाग बांधने का फैसला लिया. आपको बता दें की बूंदी के पूर्व राजघराने की पाग का मसला 12 साल से सुलझ नहीं रहा था। पाग समिति का दावा है कि उसके पास 118 ठिकानों में से, 108 ठिकानों का लिखित सहमति पत्र है। ब्रिगेडियर भूपेश हाडा शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मैडल विजेता हैं और ब्रिगेडियर रेंक पर पहुंचनेवाले, एवरेस्ट फतेह करनेवाले पहले शख्स हैं।

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पाग समिति के संयोजक  शक्तिसिंह रामपुरिया के मुताबिक कई दावेदारों में से योग्य उत्तराधिकारी के रूप में ब्रिगेडियर भूपेश को पाग का हकदार माना गया. आपको बता दें की बूंदी के हाडा राजाओं को महाराव राजा की उपाधि हासिल थी.इनसे पहले बूंदी के 25 राजा हुए हैं. महाराव राजा रणजीतसिंह के साल 2010 में देव लोकगमन के बाद से राजगद्दी सूनी पड़ी थी और पाग समिति , एक साल से राज्याभिषेक के लिए योग्य उत्तराधिकारी तलाश रही थी. 

क्या है मामला
 पाग के किसी भी फैसले पर बूंदी राज परिवार के भाणेज और अलवर के पूर्व महाराजा भंवर जितेंद्रसिंह, कोटा के महाराजकुंवर इज्येराजसिंह और प्रदेश के बाकी राज परिवारों की सहमति महत्वपूर्ण है. खास बात यह की गुर्जर समाज की भी सहमति लेनी होती है. बूंदी राजघराने में गुर्जर समाज का बड़ा सम्मान और प्रभाव रहा है. बूंदी रियासत के मुख्य दीवान गुर्जर हुआ करते थे. खजाने की चाबी उनके पास ही रहती थी.  7 जनवरी-2010 को बूंदी के महाराव रणजीतसिंह का निधन हुआ. वे नि:संतान थे, किसी को गोद भी नहीं लिया. 21 जनवरी को पगड़ी दस्तूर की तैयारियां चल रही थीं. भंवर जितेंद्रसिंह के ससुराल के लोग पाग लेकर बूंदी आ चुके थे. बूंदी, अलवर ही नहीं, देश-प्रदेश के पूर्व राजघराने भी उत्सुक थे। उस समय किसी कारण से जितेंद्र सिंह की पाग की रस्म नहीं हो सकी थी और  तभी से पाग के लिये हाड़ाओ  में उत्सुकता का माहौल था.

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कैसा रहा माहौल
बूदी पुलिस ने आज ब्रिगेडियर भूपेश सिंह के पाग बांधने की घोषणा पर भारी पुलिस जाब्ता तैनात किया था. बूंदी रंगनाथ जी के मंदिर में प्रशासन ने कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी और सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी थी इस पर बूंदी जिले के सभी थाना प्रभारी डीएसपी लाइन का जाब्ता आरएसी विशेष शाखा पुलिस जगह-जगह तैनात रही.

Report- Sandeep Vyas

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