क्षेत्र के जालीहेड़ा और विनोदकलां गांव के कुछ ऐसे ही पीड़ित परिवारों ने यहां पुराने उपखंड कार्यालय के बाहर धरना दिया.
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Sangod: गत वर्ष उजाड़ नदी में आई भीषण बाढ़ ने कई लोगों का सबकुछ तबाह कर दिया. किसी के खाने-पीने और घर-गृहस्थी के सारे सामान बह गए तो किसी का बसा-बसाया घर तक बाढ़ से उजड़ गया, ना रहने का ठिकाना बचा ना खाने का अनाज, लेकिन अब भी ज्यादातर लोग सरकारी मदद से महरूम है. खासकर कई गरीब तबके के लोगों को आर्थिक मदद के रूप में एक फूटी कोड़ी भी नहीं मिली.
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क्षेत्र के जालीहेड़ा और विनोदकलां गांव के कुछ ऐसे ही पीड़ित परिवारों ने यहां पुराने उपखंड कार्यालय के बाहर धरना दिया. सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर मामोर के नेतृत्व में कई लोग दिनभर धरने पर बैठे रहे और सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई. सामाजिक कार्यकर्ता मामोर ने बताया कि गत वर्ष अगस्त माह में उजाड़ नदी में आई भीषण बाढ़ से नदी किनारे बसे कई गांवों में जमकर नुकसान हुआ.
क्षेत्र के जालीहेड़ा व विनोदकलां गांव में भी बाढ़ का पानी कई गरीब परिवारों के लिए कहर बनकर आया. दर्जनों गरीब परिवारों के कच्चे मकान ढह गए. खाने-पीने का सारा सामान यहां तक की कई लोगों के कच्चे आशियानों को भी काफी नुकसान पहुंचा, लेकिन मदद के लिए नाम पर इन्हें कुछ नहीं मिला, तो फिर करेंगे आंदोलन.
सामाजिक कार्यकर्ता मामोर ने आरोप लगाया कि बाढ़ राहत के नाम पर अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने अपने चहेतों को जमकर फायदा पहुंचाया, लेकिन जो पात्र है वो आज भी मदद के लिए सरकार की नजरें इनायत होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जल्द इन लोगों को मदद नहीं मिली तो 20 और 21 जुलाई को पंचायत समिति और जिला कलेक्टर कार्यालय पर पीड़ित परिवारों के साथ धरना और सत्यागृह आंदोलन किया जाएगा.
Reporter: Himanshu Mittal